हर पल
मैं अपने गर्भ में ही
अपने अजन्मे कृष्ण की
करती रहती हूँ
भ्रूण - हत्या
तब तो
सदियों - सदियों से
सजा हुआ है
मेरा कुरुक्षेत्र
हजारों - हजारों युद्ध - पंक्तियाँ
आपस में बँधी खड़ी हैं
लाखों - लाख संघर्ष
चलता ही जा रहा है
और मेरा
हिंसक अर्जुन
बिना हिचक के ही
करता जा रहा है
हत्या पर हत्या
क्योंकि
वह चाहता है
शवों के ऊपर रखे
सारे राज सिंहासनों पर
अपने गांडिव को सजाना
और महाभारत को ही
महागीता बनाना
इसलिए
वह कभी
थकता नहीं है
रुकता नहीं है
हारता नहीं है
पर उसकी जीत के लिए
मेरे अजन्मे कृष्ण को
हर पल मरना पड़ता है
मेरे ही गर्भ में .......
मैं अपने इस
शाश्वत झूठ को
बड़ी सच्चाई से सबको
बताती रहती हूँ
कि मेरा कृष्ण
कभी जनमता ही नहीं है
और मैं
झूठी प्रसव - पीड़ा लिए
प्रतिपल यूँ ही
छटपटाती रहती हूँ
कि मेरा कृष्ण
कभी जनमता ही नहीं है .
मैं अपने गर्भ में ही
अपने अजन्मे कृष्ण की
करती रहती हूँ
भ्रूण - हत्या
तब तो
सदियों - सदियों से
सजा हुआ है
मेरा कुरुक्षेत्र
हजारों - हजारों युद्ध - पंक्तियाँ
आपस में बँधी खड़ी हैं
लाखों - लाख संघर्ष
चलता ही जा रहा है
और मेरा
हिंसक अर्जुन
बिना हिचक के ही
करता जा रहा है
हत्या पर हत्या
क्योंकि
वह चाहता है
शवों के ऊपर रखे
सारे राज सिंहासनों पर
अपने गांडिव को सजाना
और महाभारत को ही
महागीता बनाना
इसलिए
वह कभी
थकता नहीं है
रुकता नहीं है
हारता नहीं है
पर उसकी जीत के लिए
मेरे अजन्मे कृष्ण को
हर पल मरना पड़ता है
मेरे ही गर्भ में .......
मैं अपने इस
शाश्वत झूठ को
बड़ी सच्चाई से सबको
बताती रहती हूँ
कि मेरा कृष्ण
कभी जनमता ही नहीं है
और मैं
झूठी प्रसव - पीड़ा लिए
प्रतिपल यूँ ही
छटपटाती रहती हूँ
कि मेरा कृष्ण
कभी जनमता ही नहीं है .
मिथ में कई अर्थ देने की अथाह सामर्थ्य होती है. यह मिथ जानने वाले पर निर्भर करता है कि वो उसे कौन सी राह से देखता है. आपकी कविता में उभरा कृष्ण अपने अंतर्द्वंदों के साथ जी रहा है और अजन्मा भी है. शायद इसीलिए वह शाश्वत झूठ लगने लगता है. लेकिन इसके अर्थ भी कई है.👍
ReplyDeleteशायद कभी स्थितियाँ अनुकूल हों और वह जन्म ले सके .
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteमार्मिक विचार सोचने को विवश करती ,आभार ,"एकलव्य"
ReplyDeleteशाश्वत असत्य के साथ-साथ एक शाश्वत किंकर्तव्य की स्थिति भी बन गई है इस स्थिति में।
ReplyDeleteबहुत गहरी बात, पर जो अजन्मा है वही तो कृष्ण है, जो शाश्वत है वही तो कृष्ण है, जो अवध्य है वही तो कृष्ण है..जिसके होने से हम हैं वही तो कृष्ण है..मन कितने ही उपाय कर ले आत्मा कभी मरती नहीं हाँ, भुला अवश्य दी जाती है
ReplyDeletelekhni ko pranam ..
ReplyDeleteगहरी बात से लबरेज़ रचना... सोचने को विवश करती
ReplyDeleteथोड़ा वक़्त लगेगा ठीक से समझने में. प्रयास कर रहा हूँ कि इन शब्दों को परख सकूं.
ReplyDeleteसच ! झूठ ही तो शाश्वत है ।
ReplyDeleteमार्मिक रचना !
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