मन रे , भीतर कोई दीवाली पैदा कर !
अँधेरा तो केवल
उजाला न होने का नाम है
उससे मत लड़
बस उजाला पैदा कर !
कभी दीया मत बुझा
हर क्षण जगमगा कर
आँखों को सुझा !
जो दिखता है
कम - से - कम उतना तो देख
और मत पढ़ अँधेरे का लेख !
कर हर क्षण उमंग घना
बसंत सा - ही उत्सव मना !
मत रुक - क्योंकि तू तो
गति के लिए ही है बना !
मत देख - आगत या विगत
तू ही है संपूर्ण जगत !
जगत यानी जो गत है
जो जा रहा है
जो भागा जा रहा है
उत्सव मना , उत्सव मना
अर्थ अनूठा बतलाये जा रहा है !
हर क्षण बसंत हो !
हर क्षण दीवाली हो !
मंद - मंद ही मगर
हर क्षण , हर क्षण
तेरी लौ में लाली हो !
अँधेरा तो केवल
उजाला न होने का नाम है
मन रे , भीतर कोई दीवाली पैदा कर !
*** दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ ***
अँधेरा तो केवल
उजाला न होने का नाम है
उससे मत लड़
बस उजाला पैदा कर !
कभी दीया मत बुझा
हर क्षण जगमगा कर
आँखों को सुझा !
जो दिखता है
कम - से - कम उतना तो देख
और मत पढ़ अँधेरे का लेख !
कर हर क्षण उमंग घना
बसंत सा - ही उत्सव मना !
मत रुक - क्योंकि तू तो
गति के लिए ही है बना !
मत देख - आगत या विगत
तू ही है संपूर्ण जगत !
जगत यानी जो गत है
जो जा रहा है
जो भागा जा रहा है
उत्सव मना , उत्सव मना
अर्थ अनूठा बतलाये जा रहा है !
हर क्षण बसंत हो !
हर क्षण दीवाली हो !
मंद - मंद ही मगर
हर क्षण , हर क्षण
तेरी लौ में लाली हो !
अँधेरा तो केवल
उजाला न होने का नाम है
मन रे , भीतर कोई दीवाली पैदा कर !
*** दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ ***
बहुत सुन्दर भाव। दीप पर्व शुभ हो ।
ReplyDeleteहर क्षण बसंत हो !
ReplyDeleteहर क्षण दीवाली हो !
मंद - मंद ही मगर
हर क्षण , हर क्षण
तेरी लौ में लाली हो !..........Wah!!! Sadaiw aapke jeewan mein aisa hi deepotsav rahe.
"मन रे, भीतर कोई दीवाली पैदा कर!"
Deleteअपना दीपक खुद बनना ही रोशनी की सार्थक तलाश है. बहुत सुंदर कविता.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteएक दीप बन राह दिखाए
ReplyDeleteमन जुड़ जाए परम् ज्योति से,
अंधकार की रहे न रेखा
जगमग पथ पर बढ़े खुशी से !
ऐसा ही तो कुछ लिखा था दीवाली के दिन..आपके शब्दों से मेल खाता हुआ..शुभकामनायें !
मन रे भीतर कोई दीवाली कर....बहुत सुंदर
ReplyDeleteहर कदम, हर क्षण जीवन उत्सव हो, यही ज्यादा मुनासिब है. बगैर अँधेरा उजाला कहाँ बिखर सकता है...
ReplyDeleteअति अति सुंदर ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना !!
ReplyDeleteमत देख - आगत या विगत
ReplyDeleteतू ही है संपूर्ण जगत !
जगत यानी जो गत है
जो जा रहा है
जो भागा जा रहा है
उत्सव मना , उत्सव मना
अर्थ अनूठा बतलाये जा रहा है !....Wah ustad wah....
आपकी रचना अत्यंत प्रेरणाप्रद है।
ReplyDeleteNode js Development Company
ReplyDeleteSearch Engine Optimization Company
Desktop Application Development Company
Website Content Writing Company
Doctor Appointment App Development Company
Android App Development Company
Social Media Marketing Company
AngularJS Development Company
Android App Development Company