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Friday, December 26, 2014

प्रेम-प्रवण .........

आर्य प्रिय वो
जो तीक्ष्ण पीड़ा से
तृण तोड़कर
त्राण दे सके
और सुरभित कस्तूरी को
तेरे गोपित नाभि से
नीलिन होकर ले सके

निज क्लेश न्यून कर
और अपनी प्रीति
प्रदान उसे कर
जो तेरी सुधि में
नित पुष्पित हो
नित सुष्मित हो
निज सुध-बुध खोकर

उसे अवश्य
तुम सुख पहुँचाना
जो सदा रहे
अपने सुख से
सहर्ष अंजाना
और तेरे दुःख को
निज श्वास भूलकर
केवल अपना जाना

प्रेम दृढ
श्रद्धा अक्षय
हो अटूट अनुराग
तुमपर जिसका
निश्चय ही
भ्रमकारी देह से परे
प्राण एक होगा उसका

हो हरक्षण
उसकी भंगिमा मनोहर
सहज ही नैन
उठ जाते हों
मृदुल भाव से
हर्षित ये चित्त
सदा ही चैन पाते हों

हो नित्य नवीन जो
प्रेम-प्रवीण जो
विधाता की हो
पहली कृति
जिसे कोई देखे
तो कभी न लगे
कोई भी अतिश्योक्ति

अनायास ही
अहैतुक ही
जब हृदयंगम
होता है ये लक्षण
तब अहोभाग्य से
रहता सदैव ह्रदय
केवल और केवल
प्रेम-प्रवण .

18 comments:

  1. कठिन पर सुंदर.... कुछ शब्दों के अर्थ नीचे दे दें तो हम जैसे अल्प बुद्धि प्राणियों का भी भला होगा ॥ :)

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  2. अनायास ही
    अहैतुक ही
    जब हृदयंगम
    होता है ये लक्षण
    तब अहोभाग्य से
    रहता सदैव ह्रदय
    केवल और केवल
    प्रेम-प्रवण .
    >> दिल को छूती भावमयी रचना...काश जग जाएँ ये अहसास सब में ...

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  3. भावमयी सुंदर. रचना.....

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  4. हो नित्य नवीन जो
    प्रेम-प्रवीण जो
    विधाता की हो
    पहली कृति
    जिसे कोई देखे
    तो कभी न लगे
    कोई भी अतिशयोक्ति
    -------------
    उन्मीलित भावों का शब्दों में सहज रूपांतरण.........अच्छा लगा।

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  5. बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण.

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  6. भावपूर्ण बहुत सुन्दर

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  7. सुन्दर भाव प्रधान रचना ... जो निज भूल तम्हें पाए उसके सुख का ध्यान तो रखना ही चाहिए ...

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  8. बहुत सुन्‍दर। प्रतिवाक्‍य क्‍या हो सकता है इस पर, सिवाय हतप्रभ रहने के।

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  9. उत्सव सा खिलता रहे शब्द, खिलता रहे ख्वाब.............

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  10. अद्भुत भाव पूर्ण कृति

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  11. कठिन काव्य पर नूतन और अद्भुत।

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  12. बहुत ही सुंदर कविता. दार्शनिक उत्तरावली है यह. आपकी कविताओं में दर्शन सहज उतर आता है.

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  13. भावपूर्ण और प्रभावित करती अभिव्यक्ति

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  14. Thank you sir. Its really nice and I am enjoing to read your blog. I am a regular visitor of your blog.
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  15. नतशिर होने में नहीं: प्रवणता के इसी सातत्य में ही तो है 'एनलाइटेनमेंट'.

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  16. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१९-११-२०२१) को
    'प्रेम-प्रवण '(चर्चा अंक-४२५३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  17. बहुत ही सुन्दर रचना

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