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Saturday, March 22, 2014

क्षणिकाएँ ...

इस जगत सरोवर में
जिसमें जैसी तरंग का
उत्थान होता है
ठीक उसी के अनुसार
उसका पतन भी होता है

        ***

भौतिक सुख
केवल भौतिक दुःख का
रूपान्तर मात्र है
जो जितना सुखी दिखता है
वही दुःख का भी
उतना बड़ा पात्र है

        ***

मानव देह में
शुभ-अशुभ का एक
अदृश्य सा संतुलन है
इसलिए तो जड़ जगत में
बिल्कुल ही व्यर्थ
किसी भी सुख का अन्वेषण है

        ***

शुभ-अशुभ से
मुक्त होने की चेष्टा से ही
प्रत्येक कृत्य करुणाजन्य होता है
क्रमश: ह्रदय भी
अनुगामी होकर
पवित्र और धन्य होता है

        ***

किसी से
कुछ कहने के लिए
कुछ अपना भी होना चाहिए
दूसरों की बातें तो
खोया हुआ स्वप्न है
उस स्वप्न को
अवश्य ही खोना चाहिए .


25 comments:

  1. किसी से
    कुछ कहने के लिए
    कुछ अपना भी होना चाहिए...

    RECENT POST - प्यार में दर्द है.

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  2. शुभ-अशुभ से
    मुक्त होने की चेष्टा से ही
    प्रत्येक कृत्य करुणाजन्य होता है
    क्रमश: ह्रदय भी
    अनुगामी होकर
    पवित्र और धन्य होता है

    बहुत प्रभावशाली क्षणिकएं.....

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  3. आपकी क्षणिकाएँ गूढ़ ज्ञान की बातों से गर्भित है और सुन्दर सन्देश दे रही है. सत्य तो यही है कि हर दिखने वाली चीज वैसी नहीं होती जैसी दिखती है और हर रचना की गाथा परी-लोक सी नहीं होती.

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  4. सारगर्भित क्षणिकायें...अति सुंदर...

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  5. जीवन सार से लबालब क्षणिकाएं … हमेशा की तरह अनुपम रचना है अमृता जी …बधाई हो

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  6. बहुत बढ़िया क्षणिकाएं....
    हर एक अनमोल!!
    अनु

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  7. बहुत सुन्दर चिंतन अमृता जी

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  8. बहुत सुंदर एवं सारगर्भित.

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  9. द्वन्द्व समाहित सकल विश्व यह।

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  10. बहुत ही सशक्त व प्रभावशाली, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. भावपूर्ण हैं सभी क्षणिकाएं ... जीवन दर्शन समेटे ...

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  12. Amrita,

    Aaj mein aapki kavitayon ko parh sakaa kyonki galti meri thi ki mainaa galat url likhaa thaa. Kaafi kavitayein parhi. Ek se barh ke ek hain. Sardi wali to sach thand lagaati hai aur aapne raajniti ka sahi bola ki chup rahnaa hi theek hai. Eh kavita zindagi ka vishleshan hai.

    Take care

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  13. अर्थपूर्ण ...सशक्त क्षणिकाएं

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  14. अरे,आज तो बिलकुल फ़िलासोफ़र हो रही हैं

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  15. जीवन सन्देश से परिपूरित करती उद्देश्यपरक क्षणिकाओं के लिए आभार

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  16. bahut dinon baad aaj yahan aane ka mauka mila mujhe. Kshanikayen saargarbhit lagin... maanas samriddh hua :)

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  17. समय के इस बियाबान पड़ाव पर प्रकाशपुंज शब्दों का सफ़र यूँ ही चलता रहे…

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  18. सशक्त व प्रभावशाली क्षणिकाओं के लिए आभार

    फुर्सत मिले तो शब्दों की मुस्कराहटपर ज़रूर आईये 

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  19. इस जगत सरोवर में
    जिसमें जैसी तरंग का
    उत्थान होता है
    ठीक उसी के अनुसार
    उसका पतन भी होता है...........kamaaaaal ka likha

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  20. अरे वाह, इसमें तो उपनिषदों का सार छिपा है. बड़े सरल संक्षिप्त शब्दों में गहन अनुभूतियाँ!

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  21. प्रभावशाली रचना...

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