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Friday, June 24, 2011

प्रेरणा

अज्ञात किसी क्षण सहसा
क्यों बेचैन हो उठता है मन
और अचानक कहीं गहरे में
उभरकर बिखरने लगती है
संवेदनाएं बेतरतीब.....
मैं उन्हें समेटना चाहती हूँ
तुम्हारे आशा के अनुरूप
अभिव्यक्ति देना चाहती हूँ
उन अव्यक्त विचारों को
जो अभिशप्त है मौन के लिए
और नियति बन जाती है जिनकी
वेदना-कुछ अजीब........
मैं उन्हें सहेज लेना चाहती हूँ
आत्मस्वरूप अहसास के
गहरे अनुभूतियों से
परन्तु अभिव्यक्ति कैसे दूँ?
जब मुझमें मैं ही न रही
क्योंकि आज जो सोचती हूँ
वो चिंतन तुम्हारे हैं
लिखती हूँ तो
शब्द भी तुम्हारे हैं
जीना चाहती हूँ तो
जीवन की शक्ति भी
या यूँ कह लो कि
सम्पूर्ण जीवन में
समा गए हो तुम
प्रेरणा बन कर .
 

47 comments:

  1. सम्पूर्ण जीवन में
    समा गए हो तुम
    प्रेरणा बन कर

    -सुन्दर |

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  2. जब सब कुछ उसका हो जाता है वहाँ मै नही रहता…………बेहतरीन प्रस्तुति।

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  3. परंतु अभिव्यक्ति कैसे दूं, जब मुझमें मै नहीं।
    वाह.. क्या कहने है। हर बार की तरह एक बार फिर बेहतरीन रचना।

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  4. ईश्वर से कामना है ..ये मौन भी आपका मुखरित हो उठे ..और फिर बहता रहे झर-झर रचनाओं का या झरना ...अनवरत ...!!

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  5. मनोद्गारों सहज अभिव्यक्ति.

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  6. धन्य हुआ पढ़कर ||
    बेहतरीन प्रस्तुति ||

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  7. बहुत खूबसूरती से लिखे एहसास ... मैं ...तुम बनने के बाद अलग कहाँ रहता है

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  8. बहुत सुन्दर संयोजन मनोभावों का

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  9. मेरा भी मानना है...प्रेम ताकत बने...कमजोरी नहीं...और प्रेरणा बन जाये...तो बात बन जाए...

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  10. behtreen shabdo ka chayan... sunder abhivakti...

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  11. सच में प्रेम के भाव प्रेरित करें तो जीवन को नयी दिशा मिल जाती है.....

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  12. अमृता, प्रेरणा ही जीवन को शक्ति देती है...मौन तब अभिशप्त होता जब उसे स्वर नहीं मिलता...मुखरित मौन तो प्रेरणादायी चिंतन की प्रखर वाणी है...आपकी शब्दों पे पकड़ जबर्दस्त है और कथ्य पर भी...बहुत ही उम्दा रचना है...जिस तरह से आप अपनी सोच को एक आयाम देती हैं,उससे स्वतः ही एक निर्झरा कविता की फूट पड़ती है, जिसमे भींग के मन प्राण सुवासित हो जाता ....बहुत बढ़िया...मुझे तो लगता है की आप से प्रेरणा लेनी चाहिए एक सशक्त विचारों की वेगवती धार को दिशा किस तरह से दी जाये...अभिभूत हूँ...

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  13. "मैं" की अभिव्यक्ति स्वयं को भी नहीं जीत पाती.
    और "तू" की अभिव्यक्ति खुदा को भी जीत लेती है.
    उसको लिखने दीजिये ,निमित भव.

    एक और अनमोल रचना के लिए बधाई.

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  14. मन की अभिव्यक्ति सुंदर तरीक़े से व्यक्त हुई है।

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  15. जो प्रेरक है वह मार्ग प्रदान करेगा ही

    सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  16. मै और तुम से निकल कर हम बन जाए . सुगंध और सुमन की तरह एक हो जाने पर प्रेरणा "हम" बन जाती है .

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  17. वाह! बहुत सुन्दर.
    एक बार फिर 'तन्मय' कर दिया आपने.

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  18. किसी से इर्ष्या करने को मन सहसा हो आया
    है कौन वह देव- सदृश जो प्रेरणा बन कर आया

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  19. जब उसके हाथों की कठपुतली बन ही गया कोई तो यह भी क्यों कहे कि क्या करे, जो वह कराए हो जाने दे न कराए तो कोई बात नहीं... सुंदर रचना !

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  20. मुझे लगता है कि कुछ भी इस कविता के लिये लिखना , इस कविता के भाव के साथ खिलवाड़ करना होंगा . मैं सुबह से इसे कई बार पढ़ चूका हूँ. प्रेम के जिस अन्तरंग भाव और उन भावो की अनुभूतियो को जिस तरह से सुन्दर शब्दों से सजाया है , वो सिर्फ आप ही कर सकती हो ..
    आभार
    विजय

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  21. जवाजे इश्क की कतरन को लेके अब भी बैठा हूँ
    ये कैसी हर्फे ग़ुरबत है मैं तेरा नाम लिखता हूँ

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  22. भावुकतापूर्ण प्रेरणा कभी लाभदायक हो भी सकती है. हमेशा नहीं.
    सुंदर सृजन.

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  23. सुन्दर मनो भाव से लिखी सुन्दर रचना...

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  24. जो कुछ तुमने कराया कर गया........बहुत खूब.......सुन्दर अभिव्यक्ति|

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  25. तेरी ही बात से बनती है बात मेरी....बहुत खूब .....सुभानाल्लाह|

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  26. prerana ki shakti....bahut sunder bhav hai...

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  27. मन के भावों को संकलित कर दिया है बहुत खूबसूरती से.

    सुंदर सृजन. सुंदर प्रस्तुति.

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  28. Prerana agar prem ho to janm sarthak ho jata hai.bahut achchhi lagi .aabhar

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  29. rachanaa ne man moh liya . kabeer ne kahaa thaa sambhawtah ,
    "jab main tha tab hari naheen ,
    ab hari hai main naahin ;
    prem galee ati saankaree
    tamen do na samaahin ."
    bahut gaharee abhivyakti hai aapkee . badhaayiaan!

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  30. गहरे भावों वाली सुंदर कविता।

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  31. प्रेम की अविरल धार में बहती रचना ... अति सुन्दर ...

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  32. असीम शक्ति से एकाकार हुई रचना ...

    मौन को मुखर करती अभिव्यक्ति ...

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  33. समर्पण । मै मै न रही

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  34. सुन्दर अभिव्यक्ति............



    बहुत भावपूर्ण

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  35. Amrita,

    KISI KO HRIDEY KI GAHRAI SE AUR BHAWNA SE BHARPOOR DHANYAWAD KAHNE KI BAHUT ACHHI KAVITA.

    Take care

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  36. परन्तु अभिव्यक्ति कैसे कह दूं ,
    जब मुझमें मैं नहीं ।
    राधा भाव की कविता ।
    एक बार राधा ने कृष्ण से पूछा -कृष्णा तुम प्रेम तो मुझसे करते हो और ब्याह किया रुकमनी से,दूसरी से किया -दी अदर वोमेन -कृष्ण ने कहा राधा तुम्हारे -मेरे बीच ये दूसरा कौन है ?कहाँ है ?

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  37. किसी प्रेरणा के बिना जीवन नीरस हो जाये!

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  38. ज़बरदस्त अभिव्यक्ति.

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  39. amrita ji
    bahut bahut hi gahan bhav parilakxhit hote hain aapki is rachna me .
    jab( main aur tum)dono ek ho gaye to ekakar ho gaye fir main ka astitv alag nahi ho pata.
    bahut hi behtreen abhivykti ke liye----
    hardik badhai
    poonam

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  40. सूक्ष्म एवं गहन भावों की चित्ताकर्षक प्रस्तुति ............सुन्दर रचना

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  41. bahut sunder likha hai aapne..

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  42. bahu hi acha likha hai apne......jai hind jai bharat

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  43. umda , sunder sabdi se sajaya hai apne apni soch ko ......sunder rachna ke liye hardik badhai

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