माना कि
खुदा मेहरबान है
तो.................है...
ये भी माना कि
आपसे मिली है मुझे
चार दिनों की चाँदनी...
पर अब
मेरी लाठी मेरा सूरज
और मेरा चाबुक देख
ऊँट करवट बदलेगा.....
बाली सा वरदान है
जगत जनार्दन से
गजब गठबंधन है
बहुमत है बहुबल भी है....
चाहे तो ग्रह-नक्षत्र
इधर से उधर हो जाए
ग्रहण लगने की कोई
गुँजाइश ही नहीं है......
अनहोनी के अंदेशा से ही
मदमस्त हाथी बन
रात गए रौंद सकता हूँ
आपके अरमानों को.......
मेरे इस
हास्यास्पद,लज्जास्पद लीला से
भले ही आपकी
आँखे या छाती
फटे तो आपकी बला से.......
बेलगाम घोड़ा हूँ तो क्या
आपका नकेल कसता रहूँगा...
हमारा लोकतंत्र फले-फूले
सो जंगल-नीति अपनाना है
मिश्री-मलाई से चुपड़ कर
आपको बहलाना-फुसलाना है...
एक बार फिर
ये चाँदनी हमें ही दें आप
ऐसा दिवा-फिल्म दिखलाना है...
हम भी क्या करे
ये साम,दाम,दंड, भेद
का ही तो ज़माना है.
सच है.. अच्छी कविता
ReplyDeleteये साम, दाम ,दंड भेद का ही जमाना है।.
सही कहा आपने ये साम, दाम, दंड, भेद का ही तो जमाना है |
ReplyDeleteसच-मुच साम-दाम
ReplyDeleteदंड-भेद का ज़माना है ||
डरना सीखो--भूत-पिशाच से नहीं,
बल्कि नर-पिशाच से |
डरना सीखो--महाविनाश से नहीं,
बल्कि नरक-आँच से ||
डरना सीखो--सिर-बिठाने से नहीं,
बल्कि नंगे-नाच से |
डरना सीखो--राज-काज से नहीं,
बल्कि अन्धी-जाँच से |
डरना सीखो--तर्क-शास्त्र से नहीं,
बल्कि तीन-पाँच से |
डरना सीखो--"दमन-राज" से नहीं,
बल्कि आत्म-साँच से ||
हाँ यह अवसर वाद का ज़माना है
ReplyDeleteजिस सीधी से ऊपर चढो
उसी को फेंक जाना है...
जी हाँ यह अहसान फरामोशों और नमक हरामों का जमाना
है जो बालि से मजबूत और सहस्रबाहु से भी भयंकर है ..
आपकी कविता तो कविता लिखाने लगती है -बहुत इन्फेक्शस है! :)
बहुत सटीक टिप्पणी आज के हालात पर..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteअमृता तन्मय जी बहुत सुन्दर कविता बेबाक करार व्यंग्य काश उनके दिल में चुभे और हमारी जनता भी आने वाले समय में अपनी लाठी और चाबुक दिखा दे तो आनंद आ जाये
ReplyDeleteबधाई हो
शुक्ल भ्रमर ५
दिवा फिल्म ही है इस दौर का लोकतांत्रिक व्यवहार .बहुत ही सटीक तेजधार चाक़ू सा काटती रचना अंतस को गहरे बहत गेहरे .आभार आपका .पर्यावरण के अनुकूल अक्षर शब्द बन खड़े हो गएँ हैं कविता में साजिश का पर्दा फाश करने समझने समझाने को .आम औ ख़ास को .
ReplyDeleteएक बार फिर
ReplyDeleteये चाँदनी हमें ही दें आप
ऐसा दिवा-फिल्म दिखलाना है...
हम भी क्या करे
ये साम,दाम,दंड, भेद
का ही तो ज़माना है.
बढ़िया कटाक्ष है ...
ख़ुदा मेहरबान तो बंदा पहलवान...देर-सवेर सेर को सवा सेर मिल ही जाता है...ये विधि का विधान है...कोई डरने की बात नहीं...आप ऐसे ही लिखती रहिये...
ReplyDeleteइसे आप फौरन कापीराइट करा लीजिए वर्ना फिल्म वाले इसके टाइटल बना लेंगे :)
ReplyDeleteसच्ची अच्छी और समसामयिक पंक्तियाँ ....बहुत सुंदर
ReplyDeleteसाम, दाम, दंड, भेद के इस जमाने में साम, दाम, दंड, भेद ही अपनाना पड़्ता है
ReplyDeleteमाना कि ये साम,दाम दंड,भेद का ज़माना है पर कभी कभी ये भी कम नहीं आते.
ReplyDeleteसादर
यथार्थ की सत्य प्रस्तुति.
ReplyDeleteनब्ज़ पहचानी आपने. हालात पर सटीक टीप की है.
ReplyDeleteसम सामयिक राजनीति और राजनीतिज्ञों पर गुरुतर व्यंग . आभार.
ReplyDeleteMAM SARTHAK PARSTUTI DI HAI APNE. . . BAHUT KHUB. . . .
ReplyDeleteJAI HIND JAI BHARAT
साम, दाम ,दंड भेद का ही जमाना है।.
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आज के घटना चक्र पर सटीक व्यंग्य्।
bilkul sahi...satik varna...
ReplyDeletejo aaj ho raha hai us par sahi se samjha paayi hai aap....aabhar
Amrita,poori ki poori kavita ek darshnik kaviyatri ke man ki peera ko chitrit karti hai...ham sab apne bhoge huye yatharth ko kahin na kahin jeete hain aur us dard ko peete hain...par use is tarah vyakt karne ki himmat kam hi jata paate...dusri baat ,muddon ko samajhne ka maadda bhi hona chahiye na...jo aap mein koot koot kar bahra para hai...
ReplyDeleteAapki kavita padhne ke baad shabdon ke mohjaal mein uljhe bina rah nahi paata...main bhi chakit ho jaata hun ki aap kitna kuch asaani se kah dalti hain...aur aapki samajh samay ki nabz ko bahut acchhi tarah pakarti hai..
Meri tareef karne ke liye shukriya...main shayad itni tareef deserve nahi karta...par sarahna himmat deti hai...likhne ki...sketch karne ki...samy ke kore panne par kuch hastakshar chhor hjaane ki...
bahut acchi rachna hai aapki mano kuch kah rahi ho
ReplyDeletemere blog par bhi aaye mere blog par aane ke liye ye rahi link-
"samrat bundelkhand"
बहुत ही सटीक बात कही है आपने,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
bilkul sahi hai achi rachna ........
ReplyDeleteसामयिक घटनाचक्र पर मासूम सा कटाक्ष।
ReplyDeleteबढ़िया रचना।
aap mein kisee pahadee nadee ka jaisa prawaah hai , sammohak!
ReplyDeleteAmrita,
ReplyDeleteAAPKAA LINK JYOTI KE BLOG SE MILAA. AAP AAJ KE ZAMAANE KI STITHI PAR VYANGAATMAK TARIQE SE LIKHNAA BAHUT ACCHAA LAGAA.
KRIPYA LIKHTI RAHIYE AUR APNA KHYAAAL RAKHIYE
करारा व्यंग. सबको प्रयास करने होंगे. सम्मिलित प्रयास से ही कामयाबी की उम्मीद जाग सकती है.
ReplyDeleteदुरुस्त कहा आपने....
ReplyDeleteसामयिक ... आज के हालात पर तप्सरा .. करार व्यंग ..
ReplyDeleteज़बरदस्त.....शानदार......बेहतरीन
ReplyDeleteकल 21/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है-
ReplyDeleteआपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
आज के हालातों का कच्चा चिट्ठा खोलती कविता !
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता...
ReplyDeleteहम तो पहली बार आपके ब्लॉग पर आये,यह प्रस्तुति अच्छी लगी !
मिश्री -मलाई से चुपड़ कर
ReplyDeleteआपको बहलाना फुसलाना है
एक बार फिर ये चांदनी हमें ही दें आप ।
रिवर्बरेट करतीं हैं ये पंक्तियाँ राजनीति के बगुलों की ,
इसीलिए तो फिर लौट आया हूँ ।
बधाई आपको .
अमृता जी,
ReplyDeleteबहुत ही खूब.
गहरी पैठ.
सटीक व्यंग.
yahi duniya hai sam dam dand ke baegaer chalti hi kahan hai
ReplyDeletesunder likha hai
rachana
कलयुग है न!
ReplyDeleteहालात का सही चित्रण कविता के ज़रिये.
ReplyDeleteहा हा हा हा....बहुत सही बहुत सही...आज के समय के लिए अच्छा व्यंग...
ReplyDeleteकितने दिनों बाद आया हूँ आपके ब्लॉग पे..पढता हूँ अभी आपकी बाकी की कविता जो नहीं पढ़ा था :)
ReplyDeleteसत्तामद पर सटीक प्रस्तुति ....
ReplyDeleteजनता को अगर कुछ नहीं करना है तो यही हर बार सुनना और झेलना है
करारा व्यंग, सटीक बात...अच्छा लगा...
ReplyDeleteयथार्थ वास्तविक धरातल और परिस्थितियों को इंगित करती रचना ..
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत बयाँ..करारी चोट और मजबूत इरादे ..वाह उम्दा लिखा है..
ReplyDeleteall relation has been commercialized... i m thankful to u for coming to my blog
ReplyDeleteअमृताजी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत समय बाद आ पाया हूं … उपस्थित दर्ज़ करलें :) …
सोचने को विवश करती रचना के लिए आभार !
बहुत सुन्दर लिखा है।
ReplyDeleteKamal likha hai,maza aaya padhkar
ReplyDeleteha mam sahi kaha hai apne,,,saa daam dand bhed ka hi jamana hai,.........jai hind jai bharat
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है....
ReplyDeleteविजय पर्व "विजयादशमी" पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनायें..