हिन्द दिवस पर हार्दिक प्रसन्नता के साथ ये स्वीकार करते हुए आत्मगौरव की अनुभूति हो रही है कि जब-जब स्वयं को अभिव्यक्त करना चाहा तब-तब अपनी भाषा के चाक पर गीली मिट्टी की भांति पड़ गई । जैसा स्वयं को गढ़ना चाहा वैसे ही गढ़ गई । हाँ ! मेरी भाषा ने ही मुझे हर एक भाव में व्यक्त कर मुझे आत्मभार से मुक्त किया है । हर बार निर्भार करते हुए हिन्दी ने मुझे ऐसा अद्भुत, अनोखा और अद्वितीय रूप में सँवारा है कि बस कृतज्ञता से नतमस्तक ही हुआ जा सकता है । आज अपनी भाषा के बल पर ही अपनी स्वतंत्रता की ऐसी उद्घोषणा कर सकती हूँ । जिसकी अनुगूँज में हमारी हिन्दी हमेशा गूँजती रहेगी । जिसका खाना-पीना, ओढ़ना-बिछौना हिन्दी ही हो तो उसे बस हिन्दी में जीना भाता है । फिर कुछ और सूझता भी नहीं है । वैसे हिन्दी की दशा-दिशा पर चिंतन-मनन करने वाले हर काल में करते रहेंगे पर जिन्होंने हिन्दी को अपना सर्वस्व दे दिया उनको हिन्दी ने भी चक्रवृद्धि ब्याज समेत बहुत कुछ दिया है । इसलिए हमारी मातृभाषा हिन्दी को बारंबार आभार व्यक्त करते हुए .........
अनुज्ञात क्षणों में स्वयं लेखनी ने कहा है कि -
लेखनी चलती रहनी चाहिए
चाहे ऊँगलियां किसी की भी हो
अथवा कैसी भी हो
चाहे व्यष्टिगत हो
अथवा समष्टिगत हो
चाहे एकल हो
अथवा सम्यक् हो
चाहे अर्थगत हो
अथवा अर्थकर हो
चाहे विषयरत हो
अथवा विषयविरत हो
चाहे स्वांत: सुखाय हो
अथवा पर हिताय हो
चाहे क्षणजीवी हो
अथवा दीर्घजीवी हो
चाहे मौलिक हो
अथवा प्रतिकृति हो
चाहे स्वस्फूर्त हो
अथवा पर प्रेरित हो
चाहे मंदगति हो
अथवा द्रुतगति हो
चरैवेति चरैवेति
लेखनी चलती रहनी चाहिए
इन ऊँगलियों से न सही
पर उन ऊँगलियों से ही सही
लेखनी चलती रहनी चाहिए
सतत् लेखनी चलती रहनी चाहिए .
*** हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ***
चलती रहनी चाहिए तक ठीक है भागने लगती है कभी कभी :) आप के लेखन का जवाब नहीं आपके कन्ट्रोल में रहती है कलम
ReplyDeleteहिंदी दिवस की शुभकामनाएं
लेखनी तो अनवरत, चलती रहनी चाहिए
ReplyDeleteविचारों की कलियाँ सदा फलती रहनी चाहिए
जबतलक इस सृष्टि में मूढ़ता के प्रश्न हैं
उत्तरों की बर्छियाँ भी चलती रहनी चाहिए।
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लाज़वाब अभिव्यक्ति।
मेरे जैसों के लिए प्रतिदिन हिंदी दिवस है क्योंकि अपनी दिनचर्या के अखाड़े में हररोज़ सुबह से लेकर शाम तक हिंदी में ही जूझना पड़ता है।
सस्नेह।
अनुज्ञात क्षणों में स्वयं लेखनी ने कहा है कि -
ReplyDeleteलेखनी चलती रहनी चाहिए
चाहे ऊँगलियां किसी की भी हो
अथवा कैसी भी हो... शब्दों और भावों का ममतामयी रूप सच आपके ही लेखन में देखने को मिलता है।
हिंदी दिवस पर अनेकानेक बधाइयां।
सादर नमस्कार दी।
वाह! हिंदी दिवस पर सुंदर उद्गार ! लेखनी चलती रही तो हिंदी भी दिन दूनी रात चौगुनी फलती-फूलती रहेगी
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावप्रवण सृजन । कितना कुछ लिख दिया आपकी लेखनी ने । प्रेरणा की गहन अनुभूति हुई, हर किसी के लिए कुछ न कुछ है इस कविता रूपी पोटली में। मैंने तो अपने हिस्से का ग्रहण कर लिया,आनंद आ गया । निःशब्द हूं शब्दों में डूबकर ।बहुत शुभकामनाएं आपको ।
ReplyDeleteवाकई लेखनी चलती रहनी चाहिए!!बहुत सुन्दर उद्गार हृदय के!!हिंदी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं!!
ReplyDeleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (17-09-2021) को "लीक पर वे चलें" (चर्चा अंक- 4190) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ सितंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आपकी हिन्दी पर अथाह श्रद्धा हर शब्द में उजागर हो रही है , सच इतना टूटकर जो हिन्दी को प्यार करने वाले हैं तो क्यूं कर मेरी मात्र भाषा संकट में हो सकती है ।
ReplyDeleteनमन अपके समर्पण और प्रतिबद्धता को।
सुंदर रचना शब्दों की जादूगरी दिखा रही है।
सुंदर विचार, सार्थक संदेश। सभी को हिंदी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteनिरन्तर गतिवान बने रहना, कलम की पहचान भी है और सार्थकता भी। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteचाहे व्यष्टिगत हो
ReplyDeleteअथवा समष्टिगत हो
चाहे एकल हो
अथवा सम्यक् हो
लेखनी चलती रहनी चाहिए
सतत् लेखनी चलती रहनी चाहिए .
–साधुवाद
–हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
लेखनी के लिए गहन सृजन...।
ReplyDeleteमैं भी हिंदी ही सोचती हूँ , हिंदी ही जीती हूँ । जो कुछ सोचा , जो कुछ कहा , जो लिखा सब हिंदी में । सच है कि उँगलियाँ किसी की भी हों लेकिन कलम चलती रहनी चाहिए । बहुत गहन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसारगर्भित अभिव्यक्ति..चरैवेति चरैवेति
ReplyDeleteलेखनी चलती रहनी चाहिए
इन ऊँगलियों से न सही
ReplyDeleteपर उन ऊँगलियों से ही सही
लेखनी चलती रहनी चाहिए
सतत् लेखनी चलती रहनी चाहिए
बहुत सुन्दर सामयिक अभिव्यक्ति
लेखनी रुकनी नहीं चाहिए
सर गर्भित रचना।
ReplyDeleteगतिमान रहने में ही यात्रा का अस्तित्व है। चरैवेती!!!सुंदर रचना।
ReplyDeleteलेखनी चलती रहनी चाहिए l सुंदर रचना l
ReplyDeleteचाहे व्यष्टिगत हो
ReplyDeleteअथवा समष्टिगत हो
चाहे एकल हो
अथवा सम्यक् हो
लेखनी चलती रहनी चाहिए
सतत् लेखनी चलती रहनी चाहिए .
वाह!!!!
उत्तम भावों से सजी लाजवाब भावाभिव्यक्ति
हिन्दी दिवस की असीम शुभकामनाएं।
आपकी लेखनी रुकनी भी नही चाहिए। ठीक वैसे ही जैसे जीवन का स्पंदन कभी नही रुकता।।।
ReplyDeleteअति सुंदर
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