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Monday, September 14, 2015

''हिन्दी-हिन्दी'' दियो पुकार ........

नाऊ माडर्न हिन्दी उपजै इन मीडिया
लाइक मल्टीब्रांड हर साइट बिकाय |
चायनीज-जापानीज़-जर्मन जेहि रुचै
ये हिन्दी-रूप देख मुख फिंगर दबाय ||
 
'मदर-टंग' में न कभी कोई कीजिये
सो-कॉल्ड मंकी-फंकी स्टाइलिश बात |
एप्प-नप्प , कूल-फूल कल्चर के आगे
कितनी है अपनी हिन्दी की औकात ?

जहाँ हिन्दी पढ़ि-पढ़ि सब गँवार हुआ
और रोजी-रोजगार भी मिले न कोई |
वहाँ बाई स्टिक-स्टिच जो अंग्रेजन बने
अप-टू-डेट स्टेटस का फूल गारंटी होई ||

अब तन-मन-दर्पण में अंग्रेजी को ही
आनेस्टली, बस सब कोई लिओ उताड़ |
जब हिन्दी-दिवस निज मुख उठाये तो
मुख से ही ''हिन्दी-हिन्दी'' दियो पुकार ||

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राष्ट्रभाषा से
स्वाभाविकता , शब्द-सहानुभूति और सौंदर्य-शक्ति जब खोती है |
संभवतः भाषा-पीड़ा की भावोन्मत्त भंगिमा ऐसी ही होती है ||
संभवतः सोया हुआ हिन्दी-प्रेम आज पुनः जाग रहा है |
हाँ! जीतेगी हमारी हिन्दी और 'वो' कोई तो हार रहा है  ||

                     !!!शुभकामनाएं !!!

10 comments:

  1. शुभकामनाएं। कहां हैं। इतने दिनों बाद।

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  2. हिंदी की पीड़ा आपको वापस लाई है बिटिया. आपका स्वागत है. अब आपको पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त होता रहेगा. सच में बहुत इंतज़ार कराया आपने.

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  3. आप इतने दिन बाद ब्लॉग जगत पे लौटीं तो बहुत ही अच्छा लगा आपको पढना ... हिंदी की चिंता स्वाभाविक है ... ये जीतेगी इसमें भी विश्वास है ... पर निरंरत सजग रहना होगा सतत रहना होगा सब को (आपको भी ब्लॉग जागत पर आते रहना होगा) ...

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  4. बहुत सुन्दर और सटीक...बहुत समय बाद आप ब्लॉग जगत में दिखाई दीं..

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  5. कोई जीतेगा तो कोई हारेगा ही .....पूरा विश्वास है की हिन्दी ही जीतेगी

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  6. बहुत सटीक रचना । बहुत सुंदर । मेरी ब्लॉग पर आप का स्वागत है ।

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  7. गहन भाव बहुत ही बढ़िया !!

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  8. कहाँ से ले आयीं आप इतने सारे हिंदी का मल्टीब्रांड एडिशन।।।

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