कोई मंजिल मिल जाती कोई मुकाम मिल जाता
जिंदगी की जानलेवा अदाओं को काबिल नाम मिल जाता
मुसाफ़िराना गुफ़्तगू के महज मुश्किल से इशारे हैं
मतलब जो समझे वो कुछ जीते वर्ना सब तो हारे हैं
कागज़ का एक उड़ता टुकड़ा है जिसपर कुछ लिखा है
ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है
बदखती का ये आलम है तो तुझे लापता ही कहना है
समझी हूँ तुझे न समझी थी न ही कभी समझना है
तुझे जीना न आया तो तुझसे बेज़ोश क्यों होऊं ?
बस ख़्वाब है तू सोच कर अपना होश क्यों खोऊं ?
दर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
ये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?
जहां ज़िंदा दफ़न होकर जिंदाँ से रस्में यूँ जोड़ लेते हैं
वहां साया भी सरफ़रोशी की कसमें यूँ तोड़ देते हैं
अपनी मदहोशी में कभी शेर होकर जिलाओ तो मैं मानूं
ये जिंदगी ! कभी शराबे-सेर होकर पिलाओ तो मैं जानूं
लगी रह तू जिंदगी अपना अलग ही गुल खिलाने में
ये माशूकाना बेखबरी है तो क्या हर्ज है तुझपर मुस्कुराने में ?
जिंदगी की जानलेवा अदाओं को काबिल नाम मिल जाता
मुसाफ़िराना गुफ़्तगू के महज मुश्किल से इशारे हैं
मतलब जो समझे वो कुछ जीते वर्ना सब तो हारे हैं
कागज़ का एक उड़ता टुकड़ा है जिसपर कुछ लिखा है
ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है
बदखती का ये आलम है तो तुझे लापता ही कहना है
समझी हूँ तुझे न समझी थी न ही कभी समझना है
तुझे जीना न आया तो तुझसे बेज़ोश क्यों होऊं ?
बस ख़्वाब है तू सोच कर अपना होश क्यों खोऊं ?
दर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
ये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?
जहां ज़िंदा दफ़न होकर जिंदाँ से रस्में यूँ जोड़ लेते हैं
वहां साया भी सरफ़रोशी की कसमें यूँ तोड़ देते हैं
अपनी मदहोशी में कभी शेर होकर जिलाओ तो मैं मानूं
ये जिंदगी ! कभी शराबे-सेर होकर पिलाओ तो मैं जानूं
लगी रह तू जिंदगी अपना अलग ही गुल खिलाने में
ये माशूकाना बेखबरी है तो क्या हर्ज है तुझपर मुस्कुराने में ?
waah
ReplyDeleteलगी रह तू जिंदगी अपना अलग ही गुल खिलाने में
ReplyDeleteये माशूकाना बेखबरी है तो क्या हर्ज है तुझपर मुस्कुराने में ?..
इस बेखबरी पे मुकुराना हर किसी को नसीब कहाँ होता है ... गम को हंस के झेलना भी किसी किसी की किस्मत में होता है ... हर शेर लाजवाब ... बेनूर ...
मदहोशी में कभी शेर होकर जिलाओ तो.............यह मुश्किल है।
ReplyDeleteवाह...सुपर्ब ! :)
ReplyDeletebahut sunder !! badhaai
ReplyDeleteमिज़ाज का यह तीखापन बहुत पसंद आया-
ReplyDeleteबदखती का ये आलम है तो तुझे लापता ही कहना है
समझी हूँ तुझे, न समझी थी, न ही कभी समझना है
कोई मंजिल मिल जाती कोई मुकाम मिल जाता
ReplyDeleteजिंदगी की जानलेवा अदाओं को काबिल नाम मिल जाता
Waah.... Behad Umda
एक पहेली है जिन्दगी...कभी दुश्मन तो कभी सहेली है जिन्दगी...
ReplyDeleteदर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
ReplyDeleteये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?
................ लाजवाब शेर
हर लम्हे में कुर्बत हो जीस्त से तो ही सच्ची जिंदगानी है...वर्ना क्या है....सब फानी है.
ReplyDeleteदर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
ReplyDeleteये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?
फ़लसफ़ाना ग़ज़ल का सुंदर अंदाज़ ।
ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है...
ReplyDeleteमंजिल-मुकाम व जानलेवा अदाओं के काबिल नाम की जरुरत के बिना जिंदगी हम तक भी पहुँच गयी है। तारीफ़ के लिए शब्द नहीं है मेरे पास.
Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us. Government Jobs.
ReplyDeleteबेहतरीन .............. सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteशायद इसलिए ही ज़िंदगी की कोई मुकम्बल परिभाषा नहीं होती।
ReplyDeleteतुझे जीना न आया तो तुझसे बेज़ोश क्यों होऊं ?
ReplyDeleteबस ख़्वाब है तू सोच कर अपना होश क्यों खोऊं ?
सच ही है. लाजवाब
दर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
ReplyDeleteये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?
बहुत ही सुंदर रचना ।
आदरणीया एक मुद्दत बाद आपकी रचनाओं तक आने का मौका मिला ,,आज तो आपका शायरान अंदाज देखने को मिला एक निवेदन हमेशा की तरह कर रहा हूँ कि उर्दू के शब्दों जो यदा कदा ही सुनने में मिलते हैं उनका अर्थ भी रचना के नीचे होंगे तो आपकी बात हम जैसे अति साधारण लिखने वालों और पढने वालों तक ज्यादा अच्छे से पहुचेगे,,मेरे मशविरे को अन्यथा मत लीजियेगा ,,ढेर सारी शुभकामनाओं और आपकी लेखनी को नमन के साथ अपने ब्लॉग से जुड़ने का निमंत्रण भी प्रेषित कर रहा हूँ सादर
ReplyDeleteआज आपका शायराना अंदाज देखने को मिला ..बिलकुल हट के ..आदरणीया एक निवेदन फिर कर रहा हूँ यदि आप उर्दू के शब्दों का अर्थ भी लिखेंगी तो हम जैसे सीखने वालों को काफी मदद मिलेगी ,बधाई के साथ
ReplyDeleteकोई मंजिल मिल जाती कोई मुकाम मिल जाता
ReplyDeleteजिंदगी की जानलेवा अदाओं को काबिल नाम मिल जाता
ख़ास है यह ग़ज़ल ।
ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है - सही है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,,,
ReplyDeleteमतलब जो समझे वो कुछ जीते वर्ना सब तो हारे हैं
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
मुसाफ़िराना गुफ़्तगू के महज मुश्किल से इशारे हैं
ReplyDeleteमतलब जो समझे वो कुछ जीते वर्ना सब तो हारे हैं
कागज़ का एक उड़ता टुकड़ा है जिसपर कुछ लिखा है
ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति
वाह क्या बात
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