पपीहा से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि मधुमास क्या है ?
जवाब में वह
पी कहाँ , पी कहाँ की रट से
नये-नये पापों को नेहाने लगा
मधुकंठ से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि फगुनाहट क्या है ?
जवाब में वह
सौंधा-सौंधा सा
मंजराकर झरझराने लगा
मैना से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि जिद्दी जादू क्या है ?
जवाब में वह
चहक-चहक कर
ढाई आखर की पाती
पढ़ने और पढ़वाने लगी
तितली से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि मन का उड़ना क्या है ?
जवाब में वह
महक-महक कर
अपना गुलाबी गाल छुपाने लगी
बुलबुल से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि गुलाल क्या है ?
जवाब में वह
बहक-बहक कर
बौराये हास-परिहास को ही
बादलों में घोल फहराने लगी
भौंरा से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि रंग क्या है ?
जवाब में वह
फूलों से झट भींगकर
भर दम ऊधम मचाने लगा
और मुझसे तो
किसी ने पूछा भी नहीं
कि फाग क्या है ?
पर आप से ही मैं
सब रंगों में गिरकर
भीतर तक रंगीली हो गयी .
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि मधुमास क्या है ?
जवाब में वह
पी कहाँ , पी कहाँ की रट से
नये-नये पापों को नेहाने लगा
मधुकंठ से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि फगुनाहट क्या है ?
जवाब में वह
सौंधा-सौंधा सा
मंजराकर झरझराने लगा
मैना से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि जिद्दी जादू क्या है ?
जवाब में वह
चहक-चहक कर
ढाई आखर की पाती
पढ़ने और पढ़वाने लगी
तितली से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि मन का उड़ना क्या है ?
जवाब में वह
महक-महक कर
अपना गुलाबी गाल छुपाने लगी
बुलबुल से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि गुलाल क्या है ?
जवाब में वह
बहक-बहक कर
बौराये हास-परिहास को ही
बादलों में घोल फहराने लगी
भौंरा से तो
किसी ने बस इतना ही पूछा
कि रंग क्या है ?
जवाब में वह
फूलों से झट भींगकर
भर दम ऊधम मचाने लगा
और मुझसे तो
किसी ने पूछा भी नहीं
कि फाग क्या है ?
पर आप से ही मैं
सब रंगों में गिरकर
भीतर तक रंगीली हो गयी .
रंगों में भरी रंग से भरी आहाट है ॥यही पगुनाहट है ...!!बहुत सुंदर भाव !!
ReplyDeleteफागुन का रंग ऐसे ही चढ़ता है...कोई भिगोये या न भिगोये मन रंगीन हो उठता है...होली मुबारक !
ReplyDeleteस्ाभी प्रेमी जीवों को मधुमास के रस से जोड़ कर जो प्रश्नोत्तरी हुई वह रंग-भंग से गुदगुदाती है
ReplyDeleteहोली में इतना सारा सवाल-जवाब ? दूसरों के बहाने आपने तो सब रंग चुरा कर खुद को रंग लिया। काश, ये हुनर हमें भी आता .........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव ..
ReplyDeleteमन को रंगते हुए
बहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : ईमान बिकता नहीं
अहा … और मैं प्रकृति के इन सब रंगों में रंगकर सराबोर हो गई … रंगोत्सव होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteयही तो फागुन की मस्ती है ... पूछने की जरूरत ही नहीं ... खुद ही रंग देती है उस रंग में जिस रंग में आप खुद रंगना चाहो ...
ReplyDeleteरंगों के पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ...
प्रत्येक प्रकृति के आयाम को कविता में समेटना, कई कोमलताओं में किसी एक ताकतवर कोमलता को फकडकर दो पक्तियों में भाव और कृति के साथ बिना बोले बांधना, पूछे गए सवाल का जवाब शब्दों में नहीं रंगों में रंग कर देना कई बिंब और प्रतीकों को लेकर आता है। एक धून, एक शब्द, एक वाक्य, एक पंक्ति... मन के भीतर कई रंगों को बिखेर देती है यह बताती सुंदर कविता।
ReplyDeleteसब की अपना राग है अपना रंग है. उसी में सब जीवंत हैं.
ReplyDeleteफाग की आग को भला चिंगारी की क्या जरुरत :-)
ReplyDeleteसोंधी सोंधी महकती हुई गुलाल सी कविता
ReplyDeleteNice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs. Top 10 Website
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