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Thursday, January 27, 2022

शब्द ब्रह्म को मेरा प्रणाम ! ........

शब्दों को मेरा प्रणाम !

उनके अर्थों को मेरा प्रणाम !


उनके भावों को मेरा प्रणाम !

उनके प्रभावों को मेरा प्रणाम !


उनके कथ्य को मेरा प्रणाम !

उनके शिल्प को मेरा प्रणाम !


उनके लक्षणों को मेरा प्रणाम !

उनके लक्ष्य को मेरा प्रणाम !


उनकी ध्वनि को मेरा प्रणाम !

उनके मौन को मेरा प्रणाम !


उनके गुणों को मेरा प्रणाम !

उनके रसों को मेरा प्रणाम !


उनके अलंकार को मेरा प्रणाम !

उनकी शोभा को मेरा प्रणाम !


उनकी रीति को मेरा प्रणाम !

उनकी वृत्ति को मेरा प्रणाम !


उनकी उपमा को मेरा प्रणाम !

उनके रूपक को मेरा प्रणाम !


उनके विधान को मेरा प्रणाम !

उनके संधान को मेरा प्रणाम !


शब्द ब्रह्म को मेरा प्रणाम !

उनको बारंबार मेरा प्रणाम !

                                      "ॐ शब्दाय नम:" शब्द ब्रह्म उस परम दशा का इंगित है जो निर्वचना है। हृदय काव्यसिक्त होकर ही उस ब्रह्म नाद में तन्मय होता है। तब "शब्द वाचक: प्रणव:" अर्थात शब्द उस परमेश्वर का वाचक होता है। उसी अहोभाव में हृदय प्रार्थना रत है और हर श्वास से ध्वनित हो रहा है- शब्द ब्रह्म को मेरा प्रणाम !


19 comments:

  1. ऊँ शब्दाय नमः।।
    अत्यंत सुंदरम् अक्षरशः मनोरमं
    शब्दस्य महिमा हृदयं दोलनम्।
    ---
    अद्भुत शब्द रस।

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २८ जनवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (२८-०१ -२०२२ ) को
    'शब्द ब्रह्म को मेरा प्रणाम !'(चर्चा-अंक-४३२४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  4. आपकी इस अतुल्य रचना को प्रणाम🙏

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  5. आपके उत्कृष्ट सृजन को नमन 🙏

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  6. बहुत सुंदर । शब्द ही हैं जिनमें आपका पूरा व्यक्तित्त्व झलकता है । शब्द ही हैं जो मंत्रों का जाप संभव कराते हैं । शब्द हैं जो आपकी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का साधन बनते हैं । मेरा भी बारंबार प्रणाम स्वीकार हो ।।

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  7. शब्द ब्रह्म की महिमा को रेखांकित करती सुंदर रचना, आपकी इस मनोरम काव्य कला को प्रणाम!

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  8. आपके सुंदर सृजन को नमन अमृता दी।

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  9. शब्दों को मेरा प्रणाम !
    उनके अर्थों को मेरा प्रणाम
    उनके भावों को मेरा प्रणाम !
    उनके प्रभावों को मेरा प्रणाम !
    उनके कथ्य को मेरा प्रणाम !
    उनके शिल्प को मेरा प्रणाम !

    शब्दों की इस खूबसूरत दुनिया को मेरा शत् शत् नमन् व प्रणाम🙏

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  10. तेरा तुझको अर्पण
    इसके अलावा शब्द ही नहीं
    "ॐ शब्दाय नम:" शब्द ब्रह्म उस परम दशा का इंगित है जो निर्वचना है। हृदय काव्यसिक्त होकर ही उस ब्रह्म नाद में तन्मय होता है। तब "शब्द वाचक: प्रणव:" अर्थात शब्द उस परमेश्वर का वाचक होता है। उसी अहोभाव में हृदय प्रार्थना रत है और हर श्वास से ध्वनित हो रहा है- शब्द ब्रह्म को मेरा प्रणाम !
    सादर नमन

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  11. आपके उत्कृष्ट भाव को मेरा प्रणाम।
    सादर

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  12. गूढ़ दार्शनिक विवेचन किन्तु रोचकता से भरा हुआ !

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  13. बहुत सुंदर सृजन

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  14. शब्द सामर्थ्य, शब्द शक्ति पर गूढ़ दार्शनिक भाव, सुंदर विवेचना शब्द ब्रह्म पर।
    अप्रतिम सृजन।

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  15. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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  16. अन्तर्मन से निकले भाव ।
    "शब्द ब्रह्म" गूढ़ एवम विश्लेषणात्मक अभिव्यक्ति ।
    आपके चिंतनपूर्ण आयाम को मेरा नमन ।

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  17. भ्रह्म की रचना कैसे हो ... शायद शब्द भी यही सोच कर सृजन कर सका और भ्रह्म हो गया ... सुन्दर भावपूर्ण, गूढ़ ...

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