सूक्ष्म- चित् ऐसे सोया है
कि मौन सर्जन प्रक्रिया है
पुनः कोई रस- गीत गा दो
प्राण! तुम अब मुझे जगा दो
इंद्रधनुओं के रंग छूकर
हों कोमल भाव मुखर
उर- विषाद को गिरा दो
प्राण! तुम मुझे सिरा दो
ताप तुमसे कहूँ मैं गोपन
धूम से भरा- भरा है मन
लदा हुआ तमस हटा दो
प्राण! तुम संशय मिटा दो
है ऊब बाहर के जगत से
या भीतर रार है सत से
ऊब- रार में न उलझा दो
प्राण! तुम मुझे सुलझा दो
प्राण! तुम शब्दों को सहला दो
अनभिव्यक्त भाषा ही कहला दो
कि मौन सर्जन प्रक्रिया है
औ' सूक्ष्म- चित् सोया है .
*** नव वर्ष संपूर्ण वैभव से सुशोभित हो***
***शुभकामनाएँ***
कि मौन सर्जन प्रक्रिया है
पुनः कोई रस- गीत गा दो
प्राण! तुम अब मुझे जगा दो
इंद्रधनुओं के रंग छूकर
हों कोमल भाव मुखर
उर- विषाद को गिरा दो
प्राण! तुम मुझे सिरा दो
ताप तुमसे कहूँ मैं गोपन
धूम से भरा- भरा है मन
लदा हुआ तमस हटा दो
प्राण! तुम संशय मिटा दो
है ऊब बाहर के जगत से
या भीतर रार है सत से
ऊब- रार में न उलझा दो
प्राण! तुम मुझे सुलझा दो
प्राण! तुम शब्दों को सहला दो
अनभिव्यक्त भाषा ही कहला दो
कि मौन सर्जन प्रक्रिया है
औ' सूक्ष्म- चित् सोया है .
*** नव वर्ष संपूर्ण वैभव से सुशोभित हो***
***शुभकामनाएँ***
मौन से बेहतर भला कौन ? मौन को सिर्फ ऊब व संशय से मुक्ति चाहिए। और मौन में तो शब्द भी नहीं।।।।।।
ReplyDeleteचलिए, मन से मौन हो जाएँ .. कि ये बहुत लय से उठता है....
वाह ।
ReplyDeleteनववर्ष की मंगलकामनाएं ।
शब्द आएँगे तो अभिव्यक्त तो करके ही जाएँगे ... बाजे सृजन मौन का हाई क्यों न हो ...
ReplyDeleteनव। अर्श मंगलमय हो
नए वर्ष की सुभकामनाएँ। नहीं लिखने की बहानेबाजी से काम चलनेवाला नहीं।पाठक आप के कविताओं के इंतजार कर रहे हसीन
ReplyDeleteगहन भाव संम्प्रेषित, नया वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteगहन भाव संम्प्रेषित, नया वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteभाव जो अभी सुप्त हैं,पक रहे हैं भीतर..शब्द जो अभी मौन हैं खिल रहे हैं भीतर, मन जो अभी ढका है तमस में, भर रहा है भीतर..क्योंकि भीतर अथाह है शक्ति..नव वर्ष के मंगल कामनाएं..
ReplyDeleteअनभिव्यक्त की ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति। मौन शब्दों में मुखर हो उठा ... शुभकामनाएं
ReplyDeleteअन्दर झाकती शब्द रचना
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगलकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
भीतर रार है सत् से और जगत से नहीं है, यह कैसे चलेगा.
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता.
बहुत सुंदर मंथन। ...या भीतर रार है, ... सत से!
ReplyDeleteसम्भवत:!!