शब्दों के आँखों में
भरे आँसुओं को छुपाकर
उसके हृदय का
सारा दुःख दबाकर
ओठों पर बस
सुंदर मुस्कान लाकर
तुम्हें लिखती रहूँ
प्रेमपत्र .........
उस प्रेमपत्र में मैं लिखूँ
घर- आँगन की बातें
अपने गली- मोहल्ले की बातें
और देश- दुनिया की बातें
बातें ही बातें
ढेर सारी बातें ..........
भूली- बिसरी स्मृतियों में
डूबते हुए , उतराते हुए
हँसते हुए , मुस्कुराते हुए
तुम उन सब बातों में
कभी मत पढ़ना
अनलिखे प्रेम को .....
अगर पढ़ने लगे तो
शब्द स्वयं पर
अपना वश न रख पायेंगे
ओंठों से तो न सही
पर अपने आँसुओं से
न जाने
क्या- क्या कह जाएँगे ........
अब तुम ही कहो
कहीं प्रेमपत्र में
कभी आँसुओं का हाल
लिखकर कहा जाता है ?
ये अलग बात है कि
अब तुम्हारे बिना
एक पल भी
नहीं रहा जाता है ......
बस शब्दों के ओंठों पर
तुम अपने ओंठों को
मत धर देना
और उनके आँसुओं को
अपनी आँखों में
मत भर लेना ........
तब शब्दों के
हृदय का सारा दुःख
दुख- दुख कर
उसी पल बह जाएगा
और मेरा प्रेमपत्र
प्रेमपत्र न रह पाएगा .
भरे आँसुओं को छुपाकर
उसके हृदय का
सारा दुःख दबाकर
ओठों पर बस
सुंदर मुस्कान लाकर
तुम्हें लिखती रहूँ
प्रेमपत्र .........
उस प्रेमपत्र में मैं लिखूँ
घर- आँगन की बातें
अपने गली- मोहल्ले की बातें
और देश- दुनिया की बातें
बातें ही बातें
ढेर सारी बातें ..........
भूली- बिसरी स्मृतियों में
डूबते हुए , उतराते हुए
हँसते हुए , मुस्कुराते हुए
तुम उन सब बातों में
कभी मत पढ़ना
अनलिखे प्रेम को .....
अगर पढ़ने लगे तो
शब्द स्वयं पर
अपना वश न रख पायेंगे
ओंठों से तो न सही
पर अपने आँसुओं से
न जाने
क्या- क्या कह जाएँगे ........
अब तुम ही कहो
कहीं प्रेमपत्र में
कभी आँसुओं का हाल
लिखकर कहा जाता है ?
ये अलग बात है कि
अब तुम्हारे बिना
एक पल भी
नहीं रहा जाता है ......
बस शब्दों के ओंठों पर
तुम अपने ओंठों को
मत धर देना
और उनके आँसुओं को
अपनी आँखों में
मत भर लेना ........
तब शब्दों के
हृदय का सारा दुःख
दुख- दुख कर
उसी पल बह जाएगा
और मेरा प्रेमपत्र
प्रेमपत्र न रह पाएगा .