बहुत दफ़न हैं हरफ़ों में , हम भी हो जायेंगे
उन बहुतों के बीच , कभी-कभी दिख भी जायेंगे
कुछ हरफ़ उठा वे लेंगे तो कुछ हरफ़ पकड़ लाएंगे
कुछ हरफ़ खुद आएंगे तो वे कुछ हरफ़ ले आएंगे
यक़ीनन हरफ़-हरफ़ हम न कभी पढ़े जाएंगे
व उनके हरफ़ों से ही हरफ़-बहरफ़ गढ़े जायेंगे
अगरचे ये हमाक़त ही तो हमारी जिंदगी है
गोया हरफ़ों के बंदीखाने में अक़दस बंदगी है
बखत की बंदिशें हैं और ये ख़यालात बेमिजाज़ी है
आज और अभी हरफ़ों की जीती हुई हर बाजी है
दफ़न हो जाएंगे हम पर ये हरफ़ ख़ाक न होंगे
अजी !शोला-ये-शौक है ये जो कभी शाक न होंगे .
उन बहुतों के बीच , कभी-कभी दिख भी जायेंगे
कुछ हरफ़ उठा वे लेंगे तो कुछ हरफ़ पकड़ लाएंगे
कुछ हरफ़ खुद आएंगे तो वे कुछ हरफ़ ले आएंगे
यक़ीनन हरफ़-हरफ़ हम न कभी पढ़े जाएंगे
व उनके हरफ़ों से ही हरफ़-बहरफ़ गढ़े जायेंगे
अगरचे ये हमाक़त ही तो हमारी जिंदगी है
गोया हरफ़ों के बंदीखाने में अक़दस बंदगी है
बखत की बंदिशें हैं और ये ख़यालात बेमिजाज़ी है
आज और अभी हरफ़ों की जीती हुई हर बाजी है
दफ़न हो जाएंगे हम पर ये हरफ़ ख़ाक न होंगे
अजी !शोला-ये-शौक है ये जो कभी शाक न होंगे .
बखत की बंदिशें हैं और ये ख़यालात बेमिजाज़ी है
ReplyDeleteआज और अभी हरफ़ों की जीती हुई हर बाजी है
ख़ूब ख़ूब ख़ूब .... वाह
हर्फ़े हैं की परछाइयाँ , जिंदगी को तरह पीछा छूटेगी नहीं
Deleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteइन हर्फों के हजूम में खो जाना ज्यादा बेहतर है बजाये खो जाने के ... मस्त है ग़ज़ल ...
ReplyDeleteबेशक हम सब अस्त हो जाएंगे, पर हरफ तो अपनी गवाही देगा और जिंदादिली का सबूत भी. इन हरफों के पास आपके अलावा है भी क्या। ये जाएँ भी तो कहाँ जाएँ ?
ReplyDeleteजब हम ही नहीं रहेगे 'तो रहेगी क्या मज़ार हमारी ।
ReplyDeleteSeetamni. blogspot. in
इसे पढ़ कर आपकी एक कविता की याद हो आई. जिसका उन्वान ही शायद यह था-
ReplyDelete"और मैं पढ़ ली जाऊँगी".
बहुत शानदार , जिंदगी भी तो हर्फों की हो पटछाइयां हैं।
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