tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post8869194610139446433..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: ऐ आदमी ! ........Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-55010036715705398572022-05-19T05:58:03.898+05:302022-05-19T05:58:03.898+05:30
ओह,एक और चोट! <br />ओह,एक और चोट! Madhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-13213055097165284042022-04-01T07:37:25.916+05:302022-04-01T07:37:25.916+05:30अच्छा कटाक्षअच्छा कटाक्षसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-44149955445375673452022-02-26T13:24:25.039+05:302022-02-26T13:24:25.039+05:30बहुत सुन्दर भाव , अच्छा कटाक्ष , आदमी जितना भी विक...बहुत सुन्दर भाव , अच्छा कटाक्ष , आदमी जितना भी विकसित हो जाये आदमी को अपनी सभ्यता संस्कृति को याद कर अच्छाई को आत्मसात करना चाहिए , आँखे खोलने को विवश करती अच्छी रचना !Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-23871647607923529922022-02-25T22:10:15.223+05:302022-02-25T22:10:15.223+05:30पहले सृजन करता है और फिर अपनी ही सृष्टि का विनाश !...पहले सृजन करता है और फिर अपनी ही सृष्टि का विनाश ! आदमी स्वयं को त्रिदेव समझने लगा है। मेरे विचार से तो पाषाण युग का ही आदमी अच्छा था जो पशुवत जीता था, आदमी होने का नाटक तो नहीं करता था। अब तो समझ ही नहीं पाते कि कौन आदमी है कौन पशु ? अपने मन के आक्रोश को सटीक, तीखे शब्दों में व्यक्त करती सशक्त रचना।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-14715538936258977982022-02-25T21:35:12.199+05:302022-02-25T21:35:12.199+05:30अपनी दुनिया को
आग लगाता है
नित नये नागाशाकी
और हिर...अपनी दुनिया को<br />आग लगाता है<br />नित नये नागाशाकी<br />और हिरोशिमा बनाता है<br />सृजनशीलता के<br />नित नये कीर्तिमान बनाते हुए<br />सर्वशक्तिमान के भ्रम में<br />हिंसक वेश धरकर<br />बस्तियों में घूमता<br />अपनी असलियत भूलकर<br />पशु होता जाता है<br />आदमी...।<br />---<br />धारदार अभिव्यक्ति<br />सादर। <br /> Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-75413750580257470862022-02-25T20:26:58.526+05:302022-02-25T20:26:58.526+05:30जबरदस्त ! गज़ब कहानी है आदमियत की , बहुत गहन शानद...जबरदस्त ! गज़ब कहानी है आदमियत की , बहुत गहन शानदार प्रस्तुति।, आपकी प्रस्तुति के साथ कुछ यूं भी...<br /><br />इल्ज़ाम ढूँढ़ते हो !<br /><br />ये क्या कि पत्थरों के शहर में <br />शीशे का आशियाना ढू़ँढ़ते हो!<br /><br />आदमियत का पता तक नही<br />गज़ब करते हो इन्सान ढूँढ़ते हो !<br /><br />यहाँ पता नही किसी नियत का<br />ये क्या कि आप ईमान ढूँढ़ते हो !<br /><br />आईनों में भी दगा भर गया यहाँ <br />अब क्यों सही पहचान ढूँढ़ते हो !<br /><br />जहाँ बालपन भी बुड्ढा हो गया <br />वहाँ मासुमियत की पनाह ढूँढ़ते हो !<br /><br />भगवान तक अब महलों में सज़ के रह गये <br />क्यों गलियों में उन्हें सरे आम ढूँढ़ते हो। <br /><br /> कुसुम कोठारी "प्रज्ञा "मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-29507966163110810132022-02-25T11:05:52.381+05:302022-02-25T11:05:52.381+05:30अद्भुत सृजन.. अद्भुत सृजन.. Manisha Goswamihttps://www.blogger.com/profile/10646619362412419141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-73060188045107179752022-02-25T10:02:33.619+05:302022-02-25T10:02:33.619+05:30आदमी के वास्तविक रूप को परिभाषित करना बड़ा कठिन ह...आदमी के वास्तविक रूप को परिभाषित करना बड़ा कठिन है । अद्भुत सृजन ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-87807015871987348732022-02-25T08:45:29.937+05:302022-02-25T08:45:29.937+05:30क्या कहूँ..
प्रलय के बाद ही शायद आदमी से भेंट हो स...क्या कहूँ..<br />प्रलय के बाद ही शायद आदमी से भेंट हो सके<br />अद्धभुत रचनाविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-68745138823887399762022-02-24T19:08:02.970+05:302022-02-24T19:08:02.970+05:30समाज की बेड़ियों में जकड़ा आदमी खुद की आदमियत कहाँ द...समाज की बेड़ियों में जकड़ा आदमी खुद की आदमियत कहाँ देख पाता है और न ही दिखा पाता है । कभी असली चेहरा दिख भी जाये तो खुद को ही न पहचान पायेगा । <br />आदमी को संबोधित करते हुए वास्तविकता से अवगत कराती रचना । <br />संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-49760028495198242162022-02-24T17:09:08.137+05:302022-02-24T17:09:08.137+05:30जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ फरवरी २०२२ क...जी नमस्ते,<br />आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ फरवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है<br /><a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a> पर...<br />आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br />सादर<br />धन्यवाद।<br />Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-37710373304317846732022-02-24T16:02:27.402+05:302022-02-24T16:02:27.402+05:30जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल...जी नमस्ते ,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२५ -०२ -२०२२ ) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />'खलिश मन की ..'(चर्चा अंक-४३५१)</a> पर भी होगी।<br />आप भी सादर आमंत्रित है। <br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-63183235423928527642022-02-24T12:09:30.825+05:302022-02-24T12:09:30.825+05:30लाजवाब!लाजवाब!यशपथ (www.yashpath.com)https://www.blogger.com/profile/17224814633410021374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-970404365721921552022-02-23T17:37:50.879+05:302022-02-23T17:37:50.879+05:30आदमी को आदमी से आदमी की तरह आदमी बन कर मिलना मिलान...आदमी को आदमी से आदमी की तरह आदमी बन कर मिलना मिलाना ... पर सच में आज आदमी है वो मुखौटा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-14557401480953491662022-02-22T10:33:16.730+05:302022-02-22T10:33:16.730+05:30राहबर आये हजारों इस जहाँ में
आदमी फिर भी भटकता है...राहबर आये हजारों इस जहाँ में <br />आदमी फिर भी भटकता है यहाँ पर !<br /><br />बेवजह सी बात पर भौहें चढ़ाता <br />राह तकता है भला बन शांति की फिर<br /><br />आदतों के जाल में जकड़ा हुआ पर <br />किस्से मुक्ति के सुनाता जोश भर कर <br /><br />खुद ही गढ़ता बुत उन्हीं से मांगता <br />जाने कितने स्वांग भरता भेष धर कर <br /><br />इस हिमाकत पर न सदके जाये कौन <br />हर युद्ध करता शांति का नाम लेकर !<br /><br />उल्टे-सीधे काम भी सभी हो रहे <br />है रात-दिन जब मौत का जारी कहर !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-35074580540625620462022-02-21T18:58:20.430+05:302022-02-21T18:58:20.430+05:30अद्भुदअद्भुदसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com