tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post8805030185291353952..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: क्यों से क्यों तक.......Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-28809570519913164882014-06-13T08:23:34.060+05:302014-06-13T08:23:34.060+05:30मेरी चिर संगिनी है कविता मेरी चिर संगिनी है कविता Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-78493699897326400302014-06-11T17:25:08.934+05:302014-06-11T17:25:08.934+05:30कई बार पढ़ी यह कविता कुछ-कुछ समझ में भी आया। उसके आ...कई बार पढ़ी यह कविता कुछ-कुछ समझ में भी आया। उसके आधार पर यह कह सकती हूँ कि शायद इस क्यूँ का कोई जवाब नहीं या शायद यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि जवाब होकर भी नहीं है क्यूंकि यह एक निजी अनुभव है जो कहीं न कहीं एक सा होकर भी अलग होता है। या ऐसा भी कह सकते है कि यही वो अभिव्यक्ति है को अपने आप में हर पल सब कुछ बिखेर कर भी अपने आप को समेटती है। पता नहीं मैं जो कहना चाहती वो आप समझ भी पा रही है या नहीं :) वैसे यह भी होसकता है कि मुझे ही आपकी लिखी बात ठीक-ठीक समझ में ना आयी हो। :) Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-7781754820281720642014-06-05T05:40:14.826+05:302014-06-05T05:40:14.826+05:30बहुत सुन्दर भाव अमृता जी बहुत सुन्दर भाव अमृता जी Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-82059607992486472602014-06-02T21:26:52.661+05:302014-06-02T21:26:52.661+05:30यही वह अभिव्यक्ति है जो व्यक्ति को सबसे जोड़ कर भी...यही वह अभिव्यक्ति है जो व्यक्ति को सबसे जोड़ कर भी अपने आप में अक्षुण्ण रहती है . प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-31950984472985106792014-06-02T12:36:06.065+05:302014-06-02T12:36:06.065+05:30प्रेम बाह्य हो कर भी अन्तरंग है ... एकाकी है और मु...प्रेम बाह्य हो कर भी अन्तरंग है ... एकाकी है और मुखर भी ...<br />क्योंकि ये परें है इसलिए इसकी अभिव्यक्ति भी है और चाहत भी ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-27000356371339660392014-05-31T21:30:43.278+05:302014-05-31T21:30:43.278+05:30पहली बात, इतने एकल अन्दरूनी विचार घूर्णन को कविता...पहली बात, इतने एकल अन्दरूनी विचार घूर्णन को कविता में बांधने की बधाई। दूसरी बात यह कविता बड़े प्रेम से और सम्मान से पढ़ी जानी चाहिए, ये इसलिए कहा क्योंकि ज्यादातर टिप्पणियां देखकर लगा कि उन्होंने कविता कम पढ़ी या ढंग से पढ़ी ही नहीं अौर टिप्पणी देने की जल्दी में बहुत सुन्दर, लाजवाब कहकर चलते बने। तीसरी बात, इस कविता के प्रत्येक अन्तरे में व्यक्तिवाद के अन्दर संसार का गूढ़ दर्शन समाया हुआ है, जिसकी मीमांसा करने के लिए कई बार, कई सन्दर्भों में लेखिका के मनस्थल पर खड़े होकर इस कविता का आत्मपाठ करना पढ़ेगा। मैं इस कविता के यहां प्रकाशन के चार दिन बाद इसलिए टिप्पणी कर पाया हूं क्योंकि आज मैंने इसे दोबारा उस एकान्तिक भाव से पढ़ा जिस एकान्तिक भाव में इसे कवयित्री ने रचा है। विविध श्रेष्ठ भावजगत का सृजन करते हुए सृजित प्रेम अनुभव की पराकाष्ठा कराती कविता। कहने को बहुत कुछ है। मैं प्रारम्भ में इसे आत्मसात कर अपनी टिप्पणी में केवल (नि:शब्द) कहना चाहता था।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-30728539442085989092014-05-30T14:50:51.284+05:302014-05-30T14:50:51.284+05:30काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहु...काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-56842832321701256172014-05-30T10:38:06.409+05:302014-05-30T10:38:06.409+05:30सबसे कमजोर क्षणों में तुम्हारी ही
सबसे अधिक आवश्यक...सबसे कमजोर क्षणों में तुम्हारी ही<br />सबसे अधिक आवश्यकता होती है<br /><br />:) <br /><br />लगातार लुटी-पिटी सी होकर भी<br />मुझसे तेरी वो शक्ति नहीं खोती है<br />और चैन से तुम्हारी गोद में आकर भी<br />ये जो चेतना है वो कभी नहीं सोती है.....<br /><br />:)<br />sundar..as usual !! :) abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-62556894785281665392014-05-30T03:33:18.252+05:302014-05-30T03:33:18.252+05:30इस क्यों का उत्तर गूढ़ है और एक तरीके से निजी भी. ...इस क्यों का उत्तर गूढ़ है और एक तरीके से निजी भी. जब अनुभव मन में ज्या-वक्रीय प्रभाव उत्पन्न करते तो हैं तो फिर यही है जो श्रृंगों और गर्तों के बीच दो बिन्दुओं को निरंतर बांधे रखती है. सुन्दर कविता. ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-26858344474316526752014-05-29T12:29:06.583+05:302014-05-29T12:29:06.583+05:30मैं अमृता तन्मय को कठिन भावों की सहज अभिव्यक्ति वा...मैं अमृता तन्मय को कठिन भावों की सहज अभिव्यक्ति वाली कवयित्री के रूप में पहचानता हूँ. यह कविता मेरी धारणा को पुनः स्थापित करती है. इन पंक्तियों को मैंने बखूबी रिसीव किया है-<br />लगातार लुटी-पिटी सी होकर भी<br />मुझसे तेरी वो शक्ति नहीं खोती है<br />और चैन से तुम्हारी गोद में आकर भी<br />ये जो चेतना है वो कभी नहीं सोती है.....<br />Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-54777088301907795052014-05-28T23:33:23.381+05:302014-05-28T23:33:23.381+05:30कितने ही प्रश्नों के उत्तर की चाह..... बेजोड़ रचना ...कितने ही प्रश्नों के उत्तर की चाह..... बेजोड़ रचना डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-35166338978628783162014-05-28T21:24:52.233+05:302014-05-28T21:24:52.233+05:30kya soch hai aap nicekya soch hai aap niceWww.shirazehind.comhttps://www.blogger.com/profile/16729753283209068120noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-52009291234493888782014-05-28T20:20:44.613+05:302014-05-28T20:20:44.613+05:30सच। .... इस क्यों से क्यों तक की यात्रा में क्या न...सच। .... इस क्यों से क्यों तक की यात्रा में क्या नहीं है.. यही क्यों जब हमारे एकाकी ह्रदय में मजबूती से खड़ा होता है तो सारे सवालों का जवाब मिल जाता है। .... इस क्यों से कोई कविता सिमटती नहीं है, बल्कि अनंत आकाशगंगाओं को पार कर जाती है। .... ये भी ठीक वैसा ही है… Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-90140569544300290592014-05-28T19:46:34.820+05:302014-05-28T19:46:34.820+05:30 बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...अमृता जी... बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...अमृता जी...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-20369756962899579922014-05-28T14:42:51.966+05:302014-05-28T14:42:51.966+05:30बहुत सुंदर अमृता जी...कविता से मुलाकात होने पर नये...बहुत सुंदर अमृता जी...कविता से मुलाकात होने पर नये नये भाव उमड़ते ही चले आते हैं..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-26142969359029849652014-05-28T13:44:06.795+05:302014-05-28T13:44:06.795+05:30जबरदस्त...बहुत खूब...जबरदस्त...बहुत खूब...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-6705992158418131862014-05-28T11:58:26.496+05:302014-05-28T11:58:26.496+05:30खुबसूरत अभिवयक्ति.....खुबसूरत अभिवयक्ति.....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-58947792664935060062014-05-28T11:33:17.389+05:302014-05-28T11:33:17.389+05:30सच है इस ब्रम्हांड की तुम्ही तो धड़कन हो
इसलिए तुमस...सच है इस ब्रम्हांड की तुम्ही तो धड़कन हो<br />इसलिए तुमसे बँधकर मैं भी धड़कना चाहती हूँ<br />साथ ही तुमसे अपने हर क्यों से क्यों तक<br />निज प्रियता की मांग करते रहना चाहती हूँ .<br />..............हमेशा की तरह लाजवाब सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-91186280325240713522014-05-28T11:02:28.831+05:302014-05-28T11:02:28.831+05:30सुन्दर भावाभिव्यक्ति...सुन्दर भावाभिव्यक्ति...Himkar Shyamhttps://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-15299349376464911922014-05-28T10:19:02.529+05:302014-05-28T10:19:02.529+05:30http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/05/blog-pos...http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/05/blog-post_28.htmlरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-90410716242251543632014-05-27T21:17:12.891+05:302014-05-27T21:17:12.891+05:30बहुत सुंदर भाव ।
क्यों से शुरु होकर
क्यों पर पू...बहुत सुंदर भाव । <br /><br />क्यों से शुरु होकर <br />क्यों पर पूरा कर दिया <br />आधा भी लगा कहीं <br />कहीं पूरा का पूरा <br />यूँ ही पूरा कर दिया :)<br />सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com