tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post8563990660121587094..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: इतिवृत्त ..........Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-91117641777851902062023-05-28T15:30:38.807+05:302023-05-28T15:30:38.807+05:30Nice post thank you IanNice post thank you IanAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-71093333695201478252022-10-25T13:25:07.004+05:302022-10-25T13:25:07.004+05:30सर्वथा नीरवता ही इंगित होती है
और हम मुक्ति को झुठ...सर्वथा नीरवता ही इंगित होती है<br />और हम मुक्ति को झुठलाते-टहलाते रहते हैं<br />मुक्ति जो वेदों में, "हरिओम" में निहित है<br />उसे भुलाते-भूलते रहते हैं/भूल रहे हैंHarihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-57711931032763624122022-09-20T02:10:24.519+05:302022-09-20T02:10:24.519+05:30Excellent.Excellent.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-22685098892948530182022-09-16T08:02:06.952+05:302022-09-16T08:02:06.952+05:30वाह बेहतरीन सृजन वाह बेहतरीन सृजन Bharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-47807990348859396412022-09-14T22:13:43.575+05:302022-09-14T22:13:43.575+05:30वाह! बहुत सुंदर गज़ब लिखा।वाह! बहुत सुंदर गज़ब लिखा।अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-48270489477594911862022-09-13T17:35:10.492+05:302022-09-13T17:35:10.492+05:30हर वक्र ऋजु बिन्दुओं को मिलाकर जीना...
वाह!!!
बहुत...हर वक्र ऋजु बिन्दुओं को मिलाकर जीना...<br />वाह!!!<br />बहुत ही गहन चिंतन...<br />लाजवाब सृजन।<br /><br /><br /><br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-20487301568511750102022-09-12T21:55:35.215+05:302022-09-12T21:55:35.215+05:30भई वाह भई वाह Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-42389302266609285872022-09-12T16:20:31.827+05:302022-09-12T16:20:31.827+05:30बहुत ही बेहतरीन लगी आपकी यह रचनाबहुत ही बेहतरीन लगी आपकी यह रचनारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-37748743262357526112022-09-12T15:41:59.961+05:302022-09-12T15:41:59.961+05:30अपने जीवन के विकल्प की तलाश में
स्वप्न की परिधि के...अपने जीवन के विकल्प की तलाश में<br />स्वप्न की परिधि के बाहर<br />मूर्त-अमूर्त सारी वेदनाएँ<br />त्याग न सकीं।<br />अंदर की यात्रा से अनभिज्ञ<br />अनमस्यक <br />सुखी और संतुष्टि <br />जीवन की अभिनय यात्रा में<br />अक्सर सोचती हूँ<br />संसार के तट पर<br />तन छोड़कर जाने के पूर्व<br />मन की परछाईं का<br />रगं श्वेत,श्याम या धनक होगा-----।<br />------<br />अद्भुत अभिव्यक्ति।<br /><br />Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-56978515256148796132022-09-12T15:13:39.186+05:302022-09-12T15:13:39.186+05:30रेणु ,
सस्नेह धन्यवाद रेणु , <br />सस्नेह धन्यवाद संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-69263315130123041132022-09-12T15:12:55.786+05:302022-09-12T15:12:55.786+05:30अनिता जी , हार्दिक धन्यवाद ।अनिता जी , हार्दिक धन्यवाद ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-307420128528734132022-09-12T15:06:55.109+05:302022-09-12T15:06:55.109+05:30पूर्णकाम होने की अवस्था जैसे कुछ करने को कुछ शेष र...पूर्णकाम होने की अवस्था जैसे कुछ करने को कुछ शेष रहा ही नहीं . बहुत गहरी बात गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-51856118457907515272022-09-11T16:20:42.304+05:302022-09-11T16:20:42.304+05:30आपकी लिखी रचना सोमवार 12 सितम्बर ,2022 को
...आपकी लिखी रचना सोमवार 12 सितम्बर ,2022 को <br /><a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a> पर... साझा की गई है <br />आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br />सादर<br />धन्यवाद।<br /><br />संगीता स्वरूप संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-49282698482914837782022-09-10T09:40:48.239+05:302022-09-10T09:40:48.239+05:30स्वयं का स्वयं से सामना या यूं कहें कि साक्षात्कार...स्वयं का स्वयं से सामना या यूं कहें कि साक्षात्कार.. अनहद...अनहदRahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-15556354797118328182022-09-08T11:00:12.796+05:302022-09-08T11:00:12.796+05:30सभ में बहुत सुन्दर जीवन दर्शन उद्घाटित किया है आपन...सभ में बहुत सुन्दर जीवन दर्शन उद्घाटित किया है आपने दीदी।शुभकामनाएं और प्रणाम 🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-67892548966128927932022-09-08T10:34:43.867+05:302022-09-08T10:34:43.867+05:30अमृता जी, जीवन जिस क्षण में जैसा मिलता है उसे वैसा...अमृता जी, जीवन जिस क्षण में जैसा मिलता है उसे वैसा ही स्वीकार भाव मिले, तब स्वप्न और जीवन में कोई भेद कहाँ रह जाता है, तब जीवन भी एक सुखद स्वपन की तरह गुजरने लगता है आहिस्ता आहिस्ता !!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-32958527627138508972022-09-08T10:32:26.273+05:302022-09-08T10:32:26.273+05:30वाह! कितनी सुंदर प्रतिक्रिया दी है आपने, निर्लिप्त...वाह! कितनी सुंदर प्रतिक्रिया दी है आपने, निर्लिप्तता की सम्यक् परिभाषा! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-33063306695784194542022-09-07T18:49:12.025+05:302022-09-07T18:49:12.025+05:30इस भावपूर्ण रचना को पढ़ मन में कुछ घुमड़ रहा है --...इस भावपूर्ण रचना को पढ़ मन में कुछ घुमड़ रहा है ---<br /><br />शांत झील में <br />ज्यों फेंका हो कंकर <br />उठी है उसमें जैसे <br />लहर - दर - लहर ,<br />निस्पृह हो कर <br />कर्तव्ययुक्त हो <br />चुन सको कुछ <br />सार्थक से अवसर <br />तो <br />बिंदु बिंदु से जुड़<br />बिन प्रयास ही <br />हार जीत से <br />अप्रभावित हो <br />स्वयं ही जी जाओगे <br />निर्लिप्त से भाव ले <br />अपेक्षाओं से <br />मुक्त हो <br />कर्म बन्धनों को काट <br />आत्मा के सफर में <br />न जाने कितना <br />आगे बढ़ जाओगे । <br /><br />विचारणीय रचना । सक्रिय होने के लिए आभार ।।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-81230695667783977012022-09-06T23:54:15.346+05:302022-09-06T23:54:15.346+05:30सपनों का रेशमी संसार भले कुछ पल का सच हो पर इसकी म...सपनों का रेशमी संसार भले कुछ पल का सच हो पर इसकी मादकता में डूबा हुआ मन उस असीम आनन्द को पाता है जिसकी कल्पना यथार्थ में करना असम्भव सी है।एक मोहक रचना जो जीवन के ग्राह्य और त्राज्य भावों से बडी कुशलता से गूँथी गयी है,जिसे पढ़कर बहुत अच्छा लगता है।बहुत समय बाद ब्लॉग पर सक्रिय होने के लिए हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका 🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-81103954686930497552022-09-06T21:38:24.553+05:302022-09-06T21:38:24.553+05:30हमेशा की तरह कुछ अलग अदभुदहमेशा की तरह कुछ अलग अदभुदसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-57752052697508377022022-09-06T20:59:09.387+05:302022-09-06T20:59:09.387+05:30कर्तव्य वहन करते करते - जीवन को सार्थक बना दिया …,...कर्तव्य वहन करते करते - जीवन को सार्थक बना दिया …, बहुत समय के बाद आपका सृजन पढ़ने को मिला ।अपार हर्ष की अनुभूति हुई ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-43790386729014120422022-09-06T18:49:24.577+05:302022-09-06T18:49:24.577+05:30सपनों के मखमली धरातल से निकलकर यथार्थ के खुरदुरे स...सपनों के मखमली धरातल से निकलकर यथार्थ के खुरदुरे सतह का स्पर्श होते ही आंखों की मादक मूर्च्छा छू मंतर हो जाती है और सामने सपाट सच शेष रह जाता है। ऐसे इस स्वप्निल कविता में अंत में अब तो कुछ शेष रहा नही, आगे के सपनों में सजाने के लिए आंखों की मादकता को। सुंदर भाव।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.com