tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post740230862359401961..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: अँधेरे का एक टुकड़ा...Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-43706357124977720602014-02-26T09:50:50.516+05:302014-02-26T09:50:50.516+05:30वो अन्धेरा भी मेरा है
और वो उजाला भी मेरा ही है......वो अन्धेरा भी मेरा है<br />और वो उजाला भी मेरा ही है....<br />तब तो<br />अपने ह्रदय में<br />अँधेरे का एक टुकड़ा<br />सदा साथ लिए चलती हूँ<br />और सहज रूप से उसे ही<br />पलट कर अपना प्रकाश भी<br />बना लेती हूँ .<br /><br />मन की रचना का एक अद्भुत नमूना जहाँ अंधेरा भी प्रकाश रूप हो जाता है. बहुत खूब.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-12323662676505933422014-02-16T16:48:19.693+05:302014-02-16T16:48:19.693+05:30माया है ये .. प्रकाश शाश्वत है या अंधेरा ... कौन क...माया है ये .. प्रकाश शाश्वत है या अंधेरा ... कौन किसको लीलता है ... <br />शायद खुद से होते हैं ये दोनों ... इक दूजे की आड़ लिए ... अपने अपने साम्राज्य में ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-84969556499718488962014-02-16T15:24:00.758+05:302014-02-16T15:24:00.758+05:30@ तब मुझे अहसास होता है कि
वो दीया या ज्योति
वास्त...@ तब मुझे अहसास होता है कि<br />वो दीया या ज्योति<br />वास्तविक नहीं बल्कि आभासी है<br />और सुनी-सुनाई या रटी-रटाई<br />आप्त-ज्ञान की बातें<br />एकदम से विपर्यासी(झूठा ज्ञान) है ....<br />ज्ञान झूठा नहीं हो सकता लेकिन हमारा अपना अनुभव नहीं है किसी और का है, उधार का है इसलिए दूसरों की सुनी सुनाई बाते, प्राप्त ज्ञान केवल जानकारी है हमारा अपना अनुभव नहीं है, कागज के दिये को यदि घर में रखे तो घर प्रकाशित होगा क्या ?? नहीं न , बस अँधेरा प्रकाश और कुछ नहीं दोनों हमारे मन की ही अवस्थाएं है, अपना अनुभव अल्प प्रकाश ही सही इस प्रकाश का उपयोग जितना हो सके अँधेरे को उघाड़ने में करना होगा ! Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-17596252952432177642014-02-15T15:02:14.344+05:302014-02-15T15:02:14.344+05:30गहरे भावों से युक्त सुंदर प्रस्तुति...गहरे भावों से युक्त सुंदर प्रस्तुति...Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-88846439193984628812014-02-15T11:29:24.815+05:302014-02-15T11:29:24.815+05:30वो अन्धेरा भी मेरा है
और वो उजाला भी मेरा ही है......वो अन्धेरा भी मेरा है<br />और वो उजाला भी मेरा ही है....<br />तब तो<br />अपने ह्रदय में<br />अँधेरे का एक टुकड़ा<br />सदा साथ लिए चलती हूँ gahan chintan ke sath behad sarthakta se ot prot rachana padhane ko mili .....bahut bahut aabhar Amrita ji .Naveen Mani Tripathihttps://www.blogger.com/profile/12695495499891742635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-53626361628277696122014-02-15T02:52:26.376+05:302014-02-15T02:52:26.376+05:30 आपके जीवन-दर्शन का आधार काफ़ी ठोस है - अँधेरा और ... आपके जीवन-दर्शन का आधार काफ़ी ठोस है - अँधेरा और उजाला इतने घुले मिले हैं कि अलगाना बहुत कठिन है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-33938867189458164612014-02-14T22:04:56.580+05:302014-02-14T22:04:56.580+05:30रहस्यवाद से ओतप्रोत रचना । रहस्यवाद से ओतप्रोत रचना । amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-18965003486401997312014-02-14T19:00:39.136+05:302014-02-14T19:00:39.136+05:30कविता में गहन चिंतन प्रतिबिम्बित है।
अंधेरे के अनु...कविता में गहन चिंतन प्रतिबिम्बित है।<br />अंधेरे के अनुभव के पश्चात ही हम उजाले का महत्व समझ पाते हैं।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-37350399839695375002014-02-14T16:51:32.151+05:302014-02-14T16:51:32.151+05:30bahut gahan sundar rachna hardik badhai bahut gahan sundar rachna hardik badhai shashi purwarhttps://www.blogger.com/profile/04871068133387030845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-8846180112958906132014-02-12T15:10:01.686+05:302014-02-12T15:10:01.686+05:30बहुत सुंदर भाव। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा...बहुत सुंदर भाव। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।<br /><br />प्रत्युत्तर देंहटाएंप्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-85784235309082851422014-02-12T14:25:01.545+05:302014-02-12T14:25:01.545+05:30अँधेरा और उजाला दोनों मैं ही तो हूँ दोनों एक दुसरे...अँधेरा और उजाला दोनों मैं ही तो हूँ दोनों एक दुसरे के पर्याय |इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-2947635770176535032014-02-12T08:53:06.475+05:302014-02-12T08:53:06.475+05:30जीवन की सम्पूर्णता भी तो इसी अँधेरे से हैं. प्रकाश...जीवन की सम्पूर्णता भी तो इसी अँधेरे से हैं. प्रकाश ही प्रकाश हो तब भी कई व्याधियाँ जन्म लेने लगती है. कहीं न कहीं, इसी अँधेरे और प्रकाश के अनुभवों से परिमार्जित जीवनधारा शायद जीवन का सही स्वाद दे पाती है. बहुत पसंद आई रचना. ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-15507101907924661332014-02-11T19:06:24.967+05:302014-02-11T19:06:24.967+05:30दुख में ही कहीं होती ज़रूर है उससे उबरने की विधि ....दुख में ही कहीं होती ज़रूर है उससे उबरने की विधि ......गहन अंधकार के बाद की प्रकाश आता है ...!!<br />गहन रचना ....!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-26258146777962851252014-02-11T12:43:15.475+05:302014-02-11T12:43:15.475+05:30उसी ह्रदय में छिपे अँधेरे के टुकड़े से जीवन के यथार...उसी ह्रदय में छिपे अँधेरे के टुकड़े से जीवन के यथार्थ का सौंदर्य चमकता है.. दरअसल दुःख, वेदना और कचोटती स्मृतियों की लकीरें कभी मिटती भी नहीं... वे तो आत्मिक प्रकाश पुंज को लम्बी लकीर खींचने के लिए सम्बल देती है.... साहस देती है... ये स्वतः स्फूर्त होता है.... Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-29030102788297508132014-02-11T12:41:26.897+05:302014-02-11T12:41:26.897+05:30गहन-गंभीर अभिव्यक्ति.....गहन-गंभीर अभिव्यक्ति.....Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-8820787541277287652014-02-10T19:23:11.803+05:302014-02-10T19:23:11.803+05:30यह मन के अंदर का अंधेरा कोना ही तो इंसान के जीवन क...यह मन के अंदर का अंधेरा कोना ही तो इंसान के जीवन की परिधि है जो उसे जीवन को समझने पाने में सक्षम बनाती है। नहीं ? बहुत ही सुंदर गहन भाव अभिव्यक्ति। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-20799252359866814122014-02-09T23:02:41.874+05:302014-02-09T23:02:41.874+05:30गहन-गंभीर अभिव्यक्ति.....सभी अंदर एक अँधेरा होता ...गहन-गंभीर अभिव्यक्ति.....सभी अंदर एक अँधेरा होता है पर उसे उजाले में बदलना अपने स्वयं पर है......<br /> Aditi Poonamhttps://www.blogger.com/profile/07454848082907747001noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-83312404711575395402014-02-09T22:03:53.305+05:302014-02-09T22:03:53.305+05:30यदि अँधेरे का टुकड़ा साथ न होता तो पता नहीं जीवन क...यदि अँधेरे का टुकड़ा साथ न होता तो पता नहीं जीवन को उतना समझ न पाते।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-42549205236724565112014-02-09T15:42:28.730+05:302014-02-09T15:42:28.730+05:30 उसी एक टुकड़े अँधेरे में रोशनी भी ..... मन को झकझ... उसी एक टुकड़े अँधेरे में रोशनी भी ..... मन को झकझोरती रचना बहुत सुंदर....! Ranjana vermahttps://www.blogger.com/profile/18228698425578643882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-69958499382231999492014-02-09T14:15:01.791+05:302014-02-09T14:15:01.791+05:30चाहा-अनचाहा बहुत कुछ स्मृत करने के चक्कर में सम्...चाहा-अनचाहा बहुत कुछ स्मृत करने के चक्कर में सम्पूर्ण स्मृति-विस्मृति किसी की नहीं हो पाती। तब अंतस्थल में अन्धेरा उपजना स्वाभाविक है, और इसी अन्ध्ोरे में से प्रकाश की किरणें भी दिखाई देने लगती हैं। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-89371050706598954142014-02-09T11:55:44.973+05:302014-02-09T11:55:44.973+05:30प्रभावी ...... यह उधेड़बुन सबके मन का हिस्सा है .....प्रभावी ...... यह उधेड़बुन सबके मन का हिस्सा है .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-8547440389305690282014-02-09T11:36:05.137+05:302014-02-09T11:36:05.137+05:30अँधेरा कुछ और नहीं प्रकाश का अभाव ही तो है...यानि ...अँधेरा कुछ और नहीं प्रकाश का अभाव ही तो है...यानि सिक्के का दूसरा पहलू...बस पलटने की देर है और प्रकाश हाजिर...और एक दिन ऐसा भी आता है जब प्रकाश स्वभाव ही बन जाता है तब भी कभी कभी स्वाद बदलने क लिए अँधेरे से मुलाकात कर सकते हैं ...गर इच्छा हो तो..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11211116232221293602014-02-09T11:24:38.613+05:302014-02-09T11:24:38.613+05:30भावपूर्ण!भावपूर्ण!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-70125159304064722132014-02-09T08:38:00.396+05:302014-02-09T08:38:00.396+05:30बहुत सुंदर !बहुत सुंदर !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-12343569608375162262014-02-09T07:17:17.716+05:302014-02-09T07:17:17.716+05:30बहुत सही कहा आपने अपने मन के अँधेरे उजाले हम अपनी ...बहुत सही कहा आपने अपने मन के अँधेरे उजाले हम अपनी ही मन:स्थिति से तय करते हैं Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.com