tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post6263623041557758334..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: फूल बिछाती शैया पर ....Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-31385023449586039032014-06-11T17:08:56.045+05:302014-06-11T17:08:56.045+05:30परिस्थितियाँ चाहे जैसे हो जीना तो पड़ता ही है फिर च...परिस्थितियाँ चाहे जैसे हो जीना तो पड़ता ही है फिर चाहे शैया पर फूल बने कांटे या पथ बन जाए अग्नि पथ चलना तो पड़ता ही है... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-58277231777821027562014-05-27T14:57:26.863+05:302014-05-27T14:57:26.863+05:30ओह..! कितनी सुन्दर कविता है दीदी !ओह..! कितनी सुन्दर कविता है दीदी !abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-9862953375928195212014-05-26T21:57:36.231+05:302014-05-26T21:57:36.231+05:30बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सुंदर रचना ।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सुंदर रचना ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-14881279792398713292014-05-25T20:41:37.173+05:302014-05-25T20:41:37.173+05:30मन को छू जाती पंक्तियाँ.... बड़ी खूबसूरती से विरह व...मन को छू जाती पंक्तियाँ.... बड़ी खूबसूरती से विरह वेदना को प्रस्तुत किया गया है. Himkar Shyamhttps://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-36470613344204266222014-05-24T21:45:32.078+05:302014-05-24T21:45:32.078+05:30वाह विरह -वेदना की बहुत सुन्दर कविता .....वाह विरह -वेदना की बहुत सुन्दर कविता .....कौशल लालhttps://www.blogger.com/profile/04966246244750355871noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-54110321800985846772014-05-24T19:14:08.392+05:302014-05-24T19:14:08.392+05:30Kuchh logo ko vedna main bhi ras milta hai.Kuchh logo ko vedna main bhi ras milta hai.Sarik Khan Filmcritichttps://www.blogger.com/profile/17714145637617737121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-3750934270579105952014-05-24T18:28:24.149+05:302014-05-24T18:28:24.149+05:30फूल बिछाती , नींद गंवाती , जानकर ही क्योंकि इसकी व...फूल बिछाती , नींद गंवाती , जानकर ही क्योंकि इसकी वेदना प्रिय जो है !<br />विरह की सुन्दर कविता !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-45034544650301419662014-05-23T22:57:57.586+05:302014-05-23T22:57:57.586+05:30सुख दुःख दोनों मेरे अपने, मैं ही फूल बिछाती, मैं ह...सुख दुःख दोनों मेरे अपने, मैं ही फूल बिछाती, मैं ही अपनी नींद गँवाती …सचमुच अद्भुत संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-5337964220982733062014-05-23T20:33:39.851+05:302014-05-23T20:33:39.851+05:30सुन्दर कथ्य...सुन्दर कथ्य...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-33642315102048254792014-05-23T16:19:06.592+05:302014-05-23T16:19:06.592+05:30गहन भाव ...मन को छूती हुई रचना...गहन भाव ...मन को छूती हुई रचना...सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-60639207379022875372014-05-23T09:09:03.632+05:302014-05-23T09:09:03.632+05:30ऊँचे स्वर में कहा गया मौन जैसा आत्मकथन अपना छंद सा...ऊँचे स्वर में कहा गया मौन जैसा आत्मकथन अपना छंद साथ लेकर आया है. <br />तब तो मैं नित फूल बिछाती हूँ शैया पर<br />और अपनी नींद भी गँवाती हूँ रात भर<br />बहुत अच्छा लगा.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-71863986049240568332014-05-22T21:12:42.383+05:302014-05-22T21:12:42.383+05:30पाषाण कहां कुछ है, जो है मानव मानस है। उसी से हरा-...पाषाण कहां कुछ है, जो है मानव मानस है। उसी से हरा-भरा निकलता है, वहीं से दुखभाव बरसता है। लेकिन आप दुखभाव से सन्तप्त होकर भी शैया को पुष्पों से सजा रहे हैं, यह आपकी जिजीविषा को प्रकट करता है। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-50874911777986839012014-05-22T21:00:54.202+05:302014-05-22T21:00:54.202+05:30 ये मारी हुई मति भी तो बड़ी न्यारी है
... ये मारी हुई मति भी तो बड़ी न्यारी है<br /> उसको तो ये चरम वेदना ही प्यारी है<br /> तब तो मैं नित फूल बिछाती हूँ शैया पर<br /> और अपनी नींद भी गँवाती हूँ रात भर .<br /><br />आह।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-46750136590253466912014-05-22T18:18:54.758+05:302014-05-22T18:18:54.758+05:30bhavpurn rachna ..........bhavpurn rachna ..........Dr. sandhya tiwarihttps://www.blogger.com/profile/15507922940991842783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-18205416103896090072014-05-22T14:46:38.807+05:302014-05-22T14:46:38.807+05:30ये मारी हुई मति भी तो बड़ी न्यारी है
...ये मारी हुई मति भी तो बड़ी न्यारी है<br /> उसको तो ये चरम वेदना ही प्यारी है<br /><br />जिस दिन यह मारी हुई मति नजर भी नहीं आयेगी उसी दिन सारी वेदना मिट जाएगी..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-13564926356722296892014-05-22T13:02:41.494+05:302014-05-22T13:02:41.494+05:30ऊपर से पूजित पाषाण मुझपर हँसता है
...ऊपर से पूजित पाषाण मुझपर हँसता है<br /> मेरे समर्पण को ही पागलपन कहता है<br /> क्या पूजन-आराधन की यही नियति है<br /> या मारी हुई मेरी ही अपनी ये मति है ?<br /><br />हर कोमल शुद्ध ह्रदय की चाहना तो यही होती है ... पर जो कवल पाषाण रह जाता है वाही हँसता है ... पर जहां पाषाण पसीजने के हालात में आ जाता है वहां परमात्मा हो जाता है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-32640884953214585882014-05-22T10:40:23.522+05:302014-05-22T10:40:23.522+05:30इस कविता की केंद्रीय जिज्ञासा से स्वयं भी गुजरता ह...इस कविता की केंद्रीय जिज्ञासा से स्वयं भी गुजरता हूँ और उससे उपजे कई विचार समवेत स्वर से धृतलक्ष्य हो चलते रहने को कहते हैं. ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-5034311229062218462014-05-22T07:39:13.851+05:302014-05-22T07:39:13.851+05:30अंतर्मन को छूती हुई रचना अंतर्मन को छूती हुई रचना Meena Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09608828417708120846noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-65163442317282130482014-05-22T05:52:56.899+05:302014-05-22T05:52:56.899+05:30गहन भाव ..... पीड़ा की अनुभूति ऐसे प्रश्न ही उठाती ...गहन भाव ..... पीड़ा की अनुभूति ऐसे प्रश्न ही उठाती है .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-50880048372289189752014-05-22T05:44:08.399+05:302014-05-22T05:44:08.399+05:30डासत ही गई बीति निसा सब ,कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो...डासत ही गई बीति निसा सब ,कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो !<br /><br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-19634369845240607942014-05-21T20:45:54.717+05:302014-05-21T20:45:54.717+05:30मति-मति की माया, मति-मति का फेर...............मति-मति की माया, मति-मति का फेर...............Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-17848329162198704602014-05-21T20:45:54.311+05:302014-05-21T20:45:54.311+05:30आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-05-2014 को चर्चा मंच ...आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-05-2014 को चर्चा मंच पर <a href="http://charchamanch.blogspot.com/2014/05/1620.html" rel="nofollow"> अच्छे दिन { चर्चा - 1620 }</a> में दिया गया है <br />आभार <br />दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-21806871095213717422014-05-21T20:31:02.477+05:302014-05-21T20:31:02.477+05:30वाह बहुत सुन्दर
मन को छूती हुई
संवेदनाओं को व्यक्...वाह बहुत सुन्दर <br />मन को छूती हुई<br />संवेदनाओं को व्यक्त करती कविता---<br />उत्कृष्ट प्रस्तुति<br />बधाई ----<br /><br />आग्रह है---<br />नीम कड़वी ही भली-----Jyoti kharehttps://www.blogger.com/profile/02842512464516567466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-84898895199229001822014-05-21T19:17:39.939+05:302014-05-21T19:17:39.939+05:30यही तो मन की पीड़ा है...
बहुत कोमल अभिव्यक्ति....
...यही तो मन की पीड़ा है...<br /> बहुत कोमल अभिव्यक्ति....<br /><br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com