tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post5675448137261123702..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: प्यार के साथी ! सच मानो ...Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-8739155620933251022013-06-23T11:22:55.093+05:302013-06-23T11:22:55.093+05:30तेरे लहरों में सिहर कर
अंग-अंग को भिंगाना चाहती हू...तेरे लहरों में सिहर कर<br />अंग-अंग को भिंगाना चाहती हूँ<br />और तुम्हारे ही सहारे<br />तुममें ही , डूब जाना चाहती हूँ ...<br /><br />खूबशूरत मनुहार भरी प्रस्तुति,,<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-80086648449369804002013-02-04T20:24:38.245+05:302013-02-04T20:24:38.245+05:30आपने विचित्रता व्याप्त कर दी है, मेरी तो सुध-बुद...आपने विचित्रता व्याप्त कर दी है, मेरी तो सुध-बुद्ध हर दी है। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-4386930275369823052013-01-07T16:08:43.946+05:302013-01-07T16:08:43.946+05:30प्यार के साथी ! सच मानो
अपनी गहरी प्यास को
तुममें ...प्यार के साथी ! सच मानो<br />अपनी गहरी प्यास को<br />तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती हूँ<br />और वासनाओं के पार कहीं<br />निर्वासना का रस भी बहाना चाहती हूँ ...<br /><br />....निस्वार्थ सच्चे प्रेम की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-90561186442547054232013-01-06T16:37:09.836+05:302013-01-06T16:37:09.836+05:30वाह जी बढ़ियावाह जी बढ़ियाKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-49321045831054596382013-01-06T13:39:26.772+05:302013-01-06T13:39:26.772+05:30इस अनमोल सी रचना के बारे में लिखने की सिर्फ एक ही ...इस अनमोल सी रचना के बारे में लिखने की सिर्फ एक ही आवश्यकता है और वह यह की आप जैसी इतनी भावपूर्ण रचनाओं को लिखती तो हैं पर इतनी गुमनाम सी क्यों.? हिंदी काब्य जगत को आपके अनमोल रचनाओं को अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँच हो , और इस अमूर्त और मूक भावों तक हम ब्लागरों के अतिरिक्त भी हिंदी कब्याप्रेमी जान सके तथा अपनी उद्गार आप तक तथा हम सब लोगों तक मिल सके.इन कब्यों का आलोचना या सम्लोचना हो सके.आप गुमनामी से nikalkar प्रकश में आयें.अगर मेरे सुझाव प्रिये ना लगे तो क्षमा . <br />प्यार के साथी ! सच मानो<br />अपने हर रोदन को<br />तुमसे अमर गान बनाना चाहती हूँ<br />और थामकर हाथ तेरे<br />मुश्किलों को भी आसान बनाना चाहती हूँ ...<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16550236924589424468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-61949472609318085402013-01-06T12:38:53.980+05:302013-01-06T12:38:53.980+05:30Ab bhi kuchh likhaa ßhesh hai kya' sharîr aur...Ab bhi kuchh likhaa ßhesh hai kya' sharîr aur bhawon ke us par milan kî abilasha me ............ûs saagar me ............amûlya. çhîtran..........añmol rachana. Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16550236924589424468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-34394468907353357132013-01-06T12:12:22.039+05:302013-01-06T12:12:22.039+05:30बहुत सुन्दर मनुहार....
मीठी सी प्यारी सी रचना..
अत...बहुत सुन्दर मनुहार....<br />मीठी सी प्यारी सी रचना..<br />अति सुन्दर.....<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11247074425014216212013-01-06T12:04:19.219+05:302013-01-06T12:04:19.219+05:30अपनी गहरी प्यास को
तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती ...अपनी गहरी प्यास को<br />तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती हूँ<br />और वासनाओं के पार कहीं<br />निर्वासना का रस भी बहाना चाहती हूँ ...<br /><br />सच्चे प्यार की पहचान भी यही है.<br /><br />सुंदर कविता.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-6190448060820056322013-01-06T11:50:47.999+05:302013-01-06T11:50:47.999+05:30बहुत ही सुन्दर शब्द-अलंकृत रचना! ...बहुत ही सुन्दर शब्द-अलंकृत रचना! <br /><br />"प्यार के साथी ! सच मानो<br />अपनी गहरी प्यास को<br />तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती हूँ<br />और वासनाओं के पार कहीं<br />निर्वासना का रस भी बहाना चाहती हूँ" ...<br /><br />सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-10297142970073769802013-01-05T21:42:26.861+05:302013-01-05T21:42:26.861+05:30प्यार के साथी ! सच मानो
अपनी गहरी प्यास को
तुममें ...प्यार के साथी ! सच मानो<br />अपनी गहरी प्यास को<br />तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती हूँ<br />और वासनाओं के पार कहीं<br />निर्वासना का रस भी बहाना चाहती हूँ ...<br /><br />प्यार के साथी ! सच मानो .<br /><br />गजब की अभिलाषा Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-61173223156118156622013-01-05T09:17:37.230+05:302013-01-05T09:17:37.230+05:30बहुत प्यारी कविता. हर शब्द प्रेम सिक्त है.आखिरी शब...बहुत प्यारी कविता. हर शब्द प्रेम सिक्त है.आखिरी शब्द बहुत सुन्दर भाव समेटे हैं. निर्वासना के धरातल पर ही प्यार की सच्ची अनुभूति है. कुछ दिल पहले मिलते जुलते ख़याल से एक कविता लिखी थी.आपकी नज़र-<br />http://kalambinbaat.blogspot.com/2012/12/blog-post_14.htmlओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11070630828766252012013-01-05T06:03:30.510+05:302013-01-05T06:03:30.510+05:30अपनी गहरी प्यास को
तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती ...अपनी गहरी प्यास को<br />तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती हूँ<br /><br />बहुत सुन्दर भाव Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-71493543310863180192013-01-04T21:02:55.432+05:302013-01-04T21:02:55.432+05:30Amrita,
GOORH PREM MEIN DOOBI YUVATI KE BOL BAHUT...Amrita,<br /><br />GOORH PREM MEIN DOOBI YUVATI KE BOL BAHUT SAPASHT DHANG SE KAHE.<br /><br />Take careJackhttps://www.blogger.com/profile/15896075408610203350noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-415429087185826392013-01-04T18:35:19.040+05:302013-01-04T18:35:19.040+05:30प्यार के साथी ! सच मानो
अपनी गहरी प्यास को
तुममें ...प्यार के साथी ! सच मानो<br />अपनी गहरी प्यास को<br />तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती हूँ<br />और वासनाओं के पार कहीं<br />निर्वासना का रस भी बहाना चाहती हूँ ...<br />प्रेम रस में पगी प्यारी सी रचना ..... बेहद सुन्दर!shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-40390357707876584462013-01-04T18:23:45.329+05:302013-01-04T18:23:45.329+05:30
यूँ बलखाती डालियों-सी
तुझपर ही , मैं ढुलमुलाना चा...<br />यूँ बलखाती डालियों-सी<br />तुझपर ही , मैं ढुलमुलाना चाहती हूँ<br />ओ! मेरे सघन तरु , मैं<br />लता सी ही , तुझसे लिपट जाना चाहती हूँ ...<br /><br />प्यार के साथी ! सच मानो<br />अपनी गहरी प्यास को<br />तुममें ही , तृप्ति बनाना चाहती हूँ<br />और वासनाओं के पार कहीं<br />निर्वासना का रस भी बहाना चाहती हूँ ...<br /><br />प्यार के साथी ! सच मानो .<br /><br />परिपूर्ण समर्पण प्रेम का अंतिम सौपान है देह के पार ,समाधिस्थ होना है .उद्दाम वेग प्रेम का अपनी दशा पा गया है इस रचना में कोई ये होता तो वो होता नहीं है इस <br /><br />रचना में .पूर्ण अभिव्यक्ति है प्रेम की .<br /><br />एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-74490634234348422102013-01-04T18:08:36.943+05:302013-01-04T18:08:36.943+05:30बहुत ही कोमल भावो से सजी खुबसूरत रचना....बहुत ही कोमल भावो से सजी खुबसूरत रचना....Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11299903163721892362013-01-04T18:01:33.287+05:302013-01-04T18:01:33.287+05:30 प्रेम के गहन रस में आप्लावित आपकी एक यादगार उत्... प्रेम के गहन रस में आप्लावित आपकी एक यादगार उत्कृष्ट रचना! मानो समग्र निसर्ग ही प्रेम पूरित हो गया हो ! मन को गहरे संस्पर्श कर गयी यह कविता !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-63089912432977388462013-01-04T17:19:11.318+05:302013-01-04T17:19:11.318+05:30बहुत सुन्दर और कोमल भावों से सजी शब्द रचना।बहुत सुन्दर और कोमल भावों से सजी शब्द रचना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-19026516554914125822013-01-04T15:44:43.247+05:302013-01-04T15:44:43.247+05:30यह प्यार का साथी इसी दुनिया का बाशिंदा है या...ऐसा...यह प्यार का साथी इसी दुनिया का बाशिंदा है या...ऐसा प्यार तो बस उसी से हो सकता है..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-74843238020933908012013-01-04T15:00:11.477+05:302013-01-04T15:00:11.477+05:30प्रत्येक शब्द स्नेहरंग रंगा ...
प्रत्येक शब्द स्नेहरंग रंगा ... <br />सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-88632554190780152982013-01-04T14:23:33.597+05:302013-01-04T14:23:33.597+05:30आफत की शोख़ियां है आपकी निगाह में......आफत की शोख़ियां है आपकी निगाह में......राहुल https://www.blogger.com/profile/10291047869113788114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-70543601378505772142013-01-04T14:05:51.253+05:302013-01-04T14:05:51.253+05:30जो भी चाहतें हैं सब इस नए साल में पूरी हो जाएँ :-)...जो भी चाहतें हैं सब इस नए साल में पूरी हो जाएँ :-))इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-37406905931472982992013-01-04T13:20:00.807+05:302013-01-04T13:20:00.807+05:30नयी उम्मीदों के साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ....अमृता ...नयी उम्मीदों के साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ....अमृता जी संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-76361848553507359382013-01-04T13:15:49.719+05:302013-01-04T13:15:49.719+05:30मीठी सी कविता !मीठी सी कविता !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-16825275361198627442013-01-04T11:34:13.355+05:302013-01-04T11:34:13.355+05:30कहो तो ! हवाओं को सनसनाकर
हर पत्तियों की चुटकियाँ ...कहो तो ! हवाओं को सनसनाकर<br />हर पत्तियों की चुटकियाँ झट से बजा दूँ<br />अलसाई सी हर कलियों की<br />आँखों को चूम-चूमकर जगा दूँ ..........कितनी खूबसूरत कोशिश है ......Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.com