tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post4874685960905985822..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: कल्पवासी बसंत........Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-81227778664346044032022-05-19T06:16:50.448+05:302022-05-19T06:16:50.448+05:30ohhh! bahut dino baad aisa kuch padhne ko mila! th...ohhh! bahut dino baad aisa kuch padhne ko mila! thanks for this beautiful depiction! one of the best I've ever read of you! bahut shandaar!Madhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-21062540272344701092022-02-07T09:08:16.745+05:302022-02-07T09:08:16.745+05:30वासन्ती जादू जब सिर चढ़ कर बोलने लगता है तो भाव और...वासन्ती जादू जब सिर चढ़ कर बोलने लगता है तो भाव और भाषा ऐसे ही संयमहीन-से ,उन्मत्त बिखर पड़ते हैं. प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-57673845857068909082022-02-04T23:17:08.386+05:302022-02-04T23:17:08.386+05:30कैसे कल्प प्रयाग में हुआ है अनोखा संगम ?
कहो कैसे...कैसे कल्प प्रयाग में हुआ है अनोखा संगम ?<br /><br />कहो कैसे स्खलन हो गया कालजयी स्तंभन ?<br /><br />कह भी दो कि प्रेम-यज्ञ में ही आहुत होकर<br /><br />कैसे प्रेमिक कल्पवास को किया हृदयंगम ?<br /><br />इसके ऊपर लिखी पँक्तियाँ मन को बासंती करती हुई , फिर ये प्रयाग का संगम ..... हकीकत को बयाँ करता हुआ .. कहीं प्रेम में लिप्त बसंत है तो कहीं मन की टीस में दिख रहा बसंत है ।।<br />मन की गहराई से लिखी रचना जिसमें मैं डूबना चाहती हूँ लेकिन गोते खा रही हूँ । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-63728432327400761862022-02-04T16:29:11.763+05:302022-02-04T16:29:11.763+05:30आया वसंत छाई बहार
सजती धरा कर नव सिंगार,
बिखरा मद ...आया वसंत छाई बहार<br />सजती धरा कर नव सिंगार,<br />बिखरा मद मधुर नेह पाकर<br />कण-कण महका छाया निखार !<br /><br />सजते अंतर के दिग-दिगंत<br />मोह-शीत का होता सु-अंत,<br />खिल जाते अनगिन भाव पुष्प<br />प्रियतम लाता सच्चा वसंत !<br />Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-17742945028797063722022-02-04T16:27:21.333+05:302022-02-04T16:27:21.333+05:30सराहनीय।सराहनीय।Asharfi Lal Mishrahttps://www.blogger.com/profile/12719455690849556082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-71686896782072169712022-02-04T14:19:49.859+05:302022-02-04T14:19:49.859+05:30अद्भुदअद्भुदसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-39301571468049778302022-02-03T19:09:45.211+05:302022-02-03T19:09:45.211+05:30जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल...<br />जी नमस्ते ,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (०४ -०२ -२०२२ ) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />'कह दो कि इन्द्रियों पर वश नहीं चलता'(चर्चा अंक -४३३१)</a> पर भी होगी।<br />आप भी सादर आमंत्रित है। <br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-90836556341609702702022-02-03T18:48:09.933+05:302022-02-03T18:48:09.933+05:30बहुत ही सुंदर भाव बहुत ही सुंदर भाव MANOJ KAYALhttps://www.blogger.com/profile/13231334683622272666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-62238740231168545822022-02-03T18:40:29.693+05:302022-02-03T18:40:29.693+05:30आज के समय में कल्पवास के बारे में कौन कहाँ सोचता ह...आज के समय में कल्पवास के बारे में कौन कहाँ सोचता है तो कल्पवासी बसंत कैसे समझेगा कोई ।सब कुछ अल्पवासी और अधीरता धारण किये रहते हैं । बारहों महीने देह बसंत में डूबी रहती है बिना फाग के भी रंगीनी बनी रहती है । अब तो हर बंधन खुल चुका है <br />कल्पवासी बसंत का तो पता नहीं लेकिन अल्पवासी बसंत तो बाढ़ के समान न जाने कितने रिश्तों को अपने साथ बहा कर ले जाता है ।।<br />आपकी रचना पढ़ते हुए न जाने मन मस्तिष्क क्या क्या सोच गया ,शायद कहीं उलझ गया है । ये अर्थ का अनर्थ भी हो सकता है । फिर आऊँगी दोबारा पढ़ने । 🙏🙏संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-3153060697149717342022-02-03T18:09:36.845+05:302022-02-03T18:09:36.845+05:30जो तुम न कह पाओ तो श्वास-श्वास कहेगा
कि कल्पवासी ब...जो तुम न कह पाओ तो श्वास-श्वास कहेगा<br />कि कल्पवासी बसंत कैसे बूँद-बूँद पिघला है .<br />बसंत ऋतु पर माधुर्य भाव से सुसज्जित मनमोहक भावाभिव्यक्ति । आपकी सृजन शैली मन्त्रमुग्ध और चमत्कृत करती है अमृता जी ! Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.com