tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post3660277954131853957..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: ये चिट्ठा कवि क्या कह रहा है ...Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-17599150677537635182021-05-23T08:57:19.417+05:302021-05-23T08:57:19.417+05:30आपने बहुत ही शानदार पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट के लिए...आपने बहुत ही शानदार पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट के लिए <a href="http://ankitbadigar.com" rel="nofollow">Ankit Badigar</a> की तरफ से धन्यवाद. Ankithttp://ankitbadigar.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-60924651154255851042021-04-18T15:38:48.791+05:302021-04-18T15:38:48.791+05:30आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्र...आप की पोस्ट बहुत अच्छी है <a href="https://www.hindi-kavita.in" rel="nofollow">आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं। </a>Amit Gaurhttps://www.blogger.com/profile/00238237763899289733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-60156472055405872082021-04-11T09:09:47.263+05:302021-04-11T09:09:47.263+05:30एक कवि को बनाने में न जाने कितनों का प्रयास लगा हो...एक कवि को बनाने में न जाने कितनों का प्रयास लगा होता है । छेनी , हथौड़ी सबका प्रयोग करवा दिया । बहरहाल कवि बनाने की प्रक्रिया रोचक रही । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-69279471289619213582021-04-11T05:21:16.111+05:302021-04-11T05:21:16.111+05:30गद्य में आपने पहले भी लिखा है।
चिट्ठा कवि पद्य की ...गद्य में आपने पहले भी लिखा है।<br />चिट्ठा कवि पद्य की जगह गद्य लिखे तो उसके गद्य में कविता साथ नहीं छोड़ती। इस चिट्ठे में यहां-वहां उसका उभार सामने आया है। इसमें अंतः के सुख-दुख और ऊहापोह के अनुभव मुखर हो कर संप्रेषित होने लगते हैं। इसमें ऐसे अनुभव भी शामिल हुए हैं जो शायद कविता के सांचे में ढलने वाले थे ही नहीं।<br />बहुत बढ़िया।<br />Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-54097426243664642842021-04-09T10:08:46.601+05:302021-04-09T10:08:46.601+05:30बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय सम्पूर्ण लेख । मन pr अटूट...बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय सम्पूर्ण लेख । मन pr अटूट छाप छोड़ने वाला ।आलोक सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/17318621512657549867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-84129588097924950532021-04-08T19:40:56.717+05:302021-04-08T19:40:56.717+05:30 किसी के सत्य से खुद को जोड़ लेने की लालसा, किसी क... किसी के सत्य से खुद को जोड़ लेने की लालसा, किसी की संवेदना में खुद को तपा देने की आकांक्षा परकाया गमन को अनुभव करने जैसा ही है । फिर ये कहना कि चेतना के तल पर हम एक ही तो हैं पूर्णता को पाने के जैसा ही है । उसे जब एक-एक शब्द पर सराहते हुए पढ़ा जाता है तो वह और भी विनयशील होकर अपने को नये ढंग से संस्कारित करता है ।---बहुत गहरा आलेख हैPRAKRITI DARSHANhttps://www.blogger.com/profile/10412459838166453272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-4083708023007818952021-04-08T11:36:32.676+05:302021-04-08T11:36:32.676+05:30आपकी सृजन यात्रा और आपका चिंतन दोनों ही बढ़िया है।...आपकी सृजन यात्रा और आपका चिंतन दोनों ही बढ़िया है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और बधाईयाँ।Vocal Babahttps://www.blogger.com/profile/02214260420282752358noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-90253020844430176632021-04-08T05:21:23.992+05:302021-04-08T05:21:23.992+05:30कविता रचना की प्रक्रिया का पुनर्प्रस्तुतीकरण ,यथाक...कविता रचना की प्रक्रिया का पुनर्प्रस्तुतीकरण ,यथाक्रम और सुचारु रहा,<br />हाँ, कविता हर मन में भिन्न प्रतिध्वनि जगाती है,यह उसकी सार्वजनिकता है. प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11758502992376450932021-04-07T12:17:17.926+05:302021-04-07T12:17:17.926+05:30कवि के अंतर्मन की गूढ़ चेतना का सतर्क अन्वेषण! कवि के अंतर्मन की गूढ़ चेतना का सतर्क अन्वेषण! विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-22019163298783329062021-04-06T17:07:39.568+05:302021-04-06T17:07:39.568+05:30अद्भुत, मैं तो शब्दों की गहराइयों मे डूबती ही चली ...अद्भुत, मैं तो शब्दों की गहराइयों मे डूबती ही चली गई, कब किनारा आ गया पता ही नहीं चला, बहुत ही अच्छा लग रहा था पढ़ना, आपकी पोस्ट बेहद कमाल की है, आपकी लेखनी सराहनीय है, सादर नमन अमृता जी 👏👏🙏🙏ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-46712069145652198212021-04-06T15:26:40.689+05:302021-04-06T15:26:40.689+05:30अमृता जी,कवि मन की व्याख्या करते करते आप हर उस मन ...अमृता जी,कवि मन की व्याख्या करते करते आप हर उस मन को छूने में कामयाब रहीं,जो इन्हीं सुंदर स्थितियों से गुजरता है,आपका गद्य विधा में लेखन बड़ा प्रभावित कर गया अति सुंदर, एहसासों के अनुभूति की सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-3712163249084249562021-04-06T10:56:17.710+05:302021-04-06T10:56:17.710+05:30कवि के अंतर्मन को व्यक्त करती बहुत ही सुंदर रचना।कवि के अंतर्मन को व्यक्त करती बहुत ही सुंदर रचना।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-22065311324059287152021-04-06T05:41:52.531+05:302021-04-06T05:41:52.531+05:30एक अंतर्मुखी व्यक्तित्व अपने लेखन के यायावरी यात्र...एक अंतर्मुखी व्यक्तित्व अपने लेखन के यायावरी यात्रा को पलट कर देखता है तो पाता है कि जैसे वह अपने ही खदान से निकला हुआ कोई बेडौल , बेढंगा, अनगढ़-सा रंगीन पत्थर हो । जिस पर कुछ जौहरियों की नजर पड़ती है, जो बड़े प्यार से उसे छेनी और हथौड़ी थमा देते हैं और प्रेरित करते हैं कि खुद ही अपने को काटो, छांटो और तराशो । साथ में ये भी बताते हैं कि तुम हीरा हो । <br /><br />एक सत्य को बड़े ही सुनाई तरीके से स्पष्ट किया है आपने। ऐसा कर पाना तभी संभव है जब लिखने वाला स्वयं भी एक गंभीर अंतःमुखी चिंतन वाला व्यक्तित्व हो। <br /><br />हार्दिक शुभकामनाएँ आपकी आदरणीया अमृता तन्मय जी। आपकी बहुआयामी लेखनी दिन ब दिन मुझे और भी प्रभावित करती जाती है। आभारी हूँ। ।।।पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-25936407894186310712021-04-05T19:32:42.511+05:302021-04-05T19:32:42.511+05:30मन से मन तक की यात्रा का जीवंत चित्रण अमृता जी ! ...मन से मन तक की यात्रा का जीवंत चित्रण अमृता जी ! <br />आपकी अद्भुत सृजनात्मक शैली और लेखनी हर बार एक अलग सा भावसिक्त संसार सृजित कर मंत्रमुग्ध कर देती है।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-5232354603330313862021-04-05T17:36:24.849+05:302021-04-05T17:36:24.849+05:30वाह ! कवि के अंतर में झाँक कर देखना तो कोई आपसे सी...वाह ! कवि के अंतर में झाँक कर देखना तो कोई आपसे सीखे, कविता कैसे आकार पाती है और कैसे उसका पहला पाठक कवि स्वयं होता है, इन सारे तथ्यों को कितनी ख़ूबसूरती से आपने व्यक्त कर दिया है, आपकी उन्मुक्त रचनाधर्मिता को अनेकानेक नमन ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-76774428609637927032021-04-05T12:52:03.751+05:302021-04-05T12:52:03.751+05:30मन को शीतल करती सराहनीय अभिव्यक्ति विचारों की गहनत...मन को शीतल करती सराहनीय अभिव्यक्ति विचारों की गहनता मन मोह गई।<br />सादर नमस्कार।अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-19638134268193238452021-04-05T10:34:03.835+05:302021-04-05T10:34:03.835+05:30आपके इस आलेख को पढ़कर बहुत कुछ सीखा जा सकता है । प...आपके इस आलेख को पढ़कर बहुत कुछ सीखा जा सकता है । प्रथम पंक्ति ही पर्याप्त है इस प्रयोजन के लिए - 'हर व्यक्तित्व का अपना स्वभाव, अपना संस्कार, अपना व्यवहार होता है और बहुआयामी व्यक्तित्व वो होता है जो किसी भी बौद्धिक आयामी सांचे में न बंधकर, जीवन जनित समस्त अनुभवों को स्वतंत्र रूप से आत्मसात करता है'। हृदयतल से आभार तथा असीमित अभिनंदन आपका ।जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-64779326729500757982021-04-05T08:00:34.800+05:302021-04-05T08:00:34.800+05:30अदभुद है आपका रचना संसार। शुभकामनाएं।अदभुद है आपका रचना संसार। शुभकामनाएं।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-60130909349296479412021-04-05T06:16:36.901+05:302021-04-05T06:16:36.901+05:30रचनाओं के मन में जन्मने से लेकर शब्दों में गढ़ने तक...रचनाओं के मन में जन्मने से लेकर शब्दों में गढ़ने तक की सृजनात्मकता की यात्रा अपने आप में अनूठी होती है।<br />रचनाएँ मात्र शब्द संरचना नहीं होती एक कवि मन का भावनात्मक अभिव्यक्ति होती है।<br />मन से मन पुल बाँधता सुंदर लेख।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-17849309212391528702021-04-04T23:57:32.417+05:302021-04-04T23:57:32.417+05:30प्रिय अमृता जी, काव्य यात्रा की ये मोहक विवेचना अप...प्रिय अमृता जी, काव्य यात्रा की ये मोहक विवेचना अपने आप में किसी मधुर, सरस काव्य से तनिक भी कम नहीं। सच है कवि मौन हो जाता है पर भाव खुद शब्द- शब्द निर्झर से अविरल बह निकलते हैं। और सृजन यात्रा में कोई ना कोई प्रेरक तत्व कल्पतरु की भाँति प्रकट हो अपने खोये अस्तित्व से मिलवा जाता है या कहूँ मिटते वज़ूद को बुलंदी का रास्ता दिखा देता है। कविमन की आभार की ये अनोखी अदा याद रहेगी। कोटि आभार इस सुंदर काव्यात्मक गद्य के लिए। ये भावयात्रा यूँ ही निरंतर जारी रहे 🌹🌹🙏❤❤रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com