tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post248280907540179710..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: अतिश्योक्ति की दिशा में गतिमान हो गई हूँ ......Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-35584355478894354012017-07-16T14:22:52.695+05:302017-07-16T14:22:52.695+05:30क्या कहूं नि:शब्द हूँ। अत्यंत प्रभावशाली।क्या कहूं नि:शब्द हूँ। अत्यंत प्रभावशाली।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-64597748272595257262017-07-13T16:28:28.434+05:302017-07-13T16:28:28.434+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (1...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (13-07-2017) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "झूल रही हैं ममता-माया" (चर्चा अंक-2666) (चर्चा अंक-2664) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br /><br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-12725024902344910752017-07-13T07:20:53.633+05:302017-07-13T07:20:53.633+05:30अदबुध शब्द संयोजन ... शब्द से शब्द और कल्पना से नय...अदबुध शब्द संयोजन ... शब्द से शब्द और कल्पना से नयी कल्पना फिर अंतस का द्वार ... प्रवाह बद्ध दार्शिनिक रचना ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-55901785096671616562017-07-11T23:02:03.183+05:302017-07-11T23:02:03.183+05:30ना मेरा, ना तेरा - सिर्फ गति का फेरा
सच है ना मेरा, ना तेरा - सिर्फ गति का फेरा <br />सच है रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-87501410150550338482017-07-11T22:20:09.972+05:302017-07-11T22:20:09.972+05:30अद्भुत...बहुत गहन अभिव्यक्ति...अद्भुत...बहुत गहन अभिव्यक्ति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-40327477245648413822017-07-10T13:12:47.883+05:302017-07-10T13:12:47.883+05:30 गुरु - गुण गा - गा कर मैं तो गुण - गान हो गई हूँ,... गुरु - गुण गा - गा कर मैं तो गुण - गान हो गई हूँ, गुण -गान अथवा गुण- वान...हमें तो लगता है आप गुणवान हो गयी हैं..बधाई !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-12429835836767433552017-07-10T11:14:24.209+05:302017-07-10T11:14:24.209+05:30सुंदरतम, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
...सुंदरतम, बहुत शुभकामनाएं.<br />रामराम<br />#हिन्दी_ब्लॉगिंग<br />ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-61494735045328926982017-07-10T08:41:43.780+05:302017-07-10T08:41:43.780+05:30बहुत सुंदर भाव.बहुत सुंदर भाव. राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-24841592084939589682017-07-10T06:57:42.403+05:302017-07-10T06:57:42.403+05:30आपकी कविता को समझने के लिए मां सरस्वती का आशीर्वाद...आपकी कविता को समझने के लिए मां सरस्वती का आशीर्वाद चाहिए।जो कि है नही।सिर्फ चकित हूँ।अबूझ पहेली जैसा पढ़ता ही जा रहा हूँ।हज़ारों कविताएं पड़ीं हैं पर इस कविता ने तो मुझे समझा दिया है कि फिर से जन्म लेना पड़ेगा।कृपा होती कि थोड़ा भावार्थ का संकेत देती।वैसे भी नारी हृदय महासागर की तरह होता है और यह कविता तो। अदम्य गहराई में चलता ही जा रहा है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16550236924589424468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-73840507873216255412017-07-09T19:35:06.136+05:302017-07-09T19:35:06.136+05:30ख़ुद की परिधि से बाहर और परिधि के भीतर आती-जाती यह...ख़ुद की परिधि से बाहर और परिधि के भीतर आती-जाती यह कविता औघड़पने की सीमा में चली गई है.<br /><br />परिधि में है प्राण, प्राण में है उड़ान<br />उड़ान से है आकाश, आकाश है वरदान<br />वरदान से है अवधुपन, अवधुपन में है ध्यान<br />ध्यान में है दर्शन, दर्शन में अभिराम<br /><br />दर्शन का समुद्र ठाठें मार रहा है. Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-66665917814695549762017-07-09T18:01:41.149+05:302017-07-09T18:01:41.149+05:30अद्भुत .... हर पंक्ति जीवन दर्शन सी | अद्भुत .... हर पंक्ति जीवन दर्शन सी | डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com