tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post1406081854541156818..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: कोई हलन - चलन नहीं है ..........Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-29082450763087651662017-07-16T14:27:01.338+05:302017-07-16T14:27:01.338+05:30कविता के माध्यम से अध्यात्म तक पहुंचना कैसे होता ह...कविता के माध्यम से अध्यात्म तक पहुंचना कैसे होता है, वही गुप्त भावनाएं यहाँ अपूर्व अनुभवों के साथ प्रकट हैं. कितना सुन्दर है यह सब कुछ. Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-72650060627685395472017-07-16T14:26:49.912+05:302017-07-16T14:26:49.912+05:30कविता के माध्यम से अध्यात्म तक पहुंचना कैसे होता ह...कविता के माध्यम से अध्यात्म तक पहुंचना कैसे होता है, वही गुप्त भावनाएं यहाँ अपूर्व अनुभवों के साथ प्रकट हैं. कितना सुन्दर है यह सब कुछ. Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-20214908034108674772017-07-06T22:55:50.500+05:302017-07-06T22:55:50.500+05:30बहुत गहन और सार्थक चिंतन...बहुत गहन और सार्थक चिंतन...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-48728682491978996682017-07-06T10:13:26.248+05:302017-07-06T10:13:26.248+05:30अशेष में झाँकने के यत्न अपने आप में एक उपलब्धि हैं...अशेष में झाँकने के यत्न अपने आप में एक उपलब्धि हैं .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-12454901573306875482017-07-05T16:04:36.962+05:302017-07-05T16:04:36.962+05:30 डूब जाएँ या तिनके का सहारा ले निकल आयें
दावानल ह... डूब जाएँ या तिनके का सहारा ले निकल आयें <br />दावानल हो या रेगिस्तान <br />शब्द पा ही लेते हैं अर्थ !!!रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-34381940020574054542017-07-03T03:49:13.348+05:302017-07-03T03:49:13.348+05:30सब्दों से अगर जी पता
सदियों तक रुक जाता
फिर कहाँ ...सब्दों से अगर जी पता <br />सदियों तक रुक जाता<br />फिर कहाँ वेदना होती<br />और कहां विरह रुक पाता।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16550236924589424468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-71989573915046611252017-07-02T11:41:48.210+05:302017-07-02T11:41:48.210+05:30बहुत खूब ,
हिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चि...बहुत खूब , <br />हिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चिन्ह छोड़ने में कामयाब है , आप लिख रही हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !<br />मानती हैं न ?<br />मंगलकामनाएं आपको !<br />#हिन्दी_ब्लॉगिंगSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-25695569637589610022017-07-01T09:03:47.729+05:302017-07-01T09:03:47.729+05:30अर्थपूर्ण ... विचारणीय | आपकी कविताएँ मन को छूती ह...अर्थपूर्ण ... विचारणीय | आपकी कविताएँ मन को छूती हैं , हमेशा डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11535460127609315962017-06-30T23:18:18.461+05:302017-06-30T23:18:18.461+05:30कोई हलन - चलन नहीं है
कोई चिंतन - मनन नहीं है
वाह...कोई हलन - चलन नहीं है<br />कोई चिंतन - मनन नहीं है<br /><br />वाह! वाह! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति अमृता तन्मय जी.<br />भरपूर चिंतन मनन है जी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11723642900721022322017-06-30T20:51:06.014+05:302017-06-30T20:51:06.014+05:30शांत गहरा समुन्दर सा चिंतन ... अनंत भाव पर स्थिर म...शांत गहरा समुन्दर सा चिंतन ... अनंत भाव पर स्थिर मंथन है गहरी रचना ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-64287086400585155562017-06-29T05:18:44.674+05:302017-06-29T05:18:44.674+05:30जीवनदर्शन की पड़ताल करती हुई कविता आई है.
उसी में...जीवनदर्शन की पड़ताल करती हुई कविता आई है.<br /><br />उसी में हूँ, जो हूँ, जैसी हूँ<br />वो है जैसा - मैं भी वैसी हूँ<br /><br />जीवन को 'अब, अभी और यहीं' के परिप्रेक्ष्य में तलाशती है आपकी कविता. कवित्व उदास तो है लेकिन उदात्त होता दिखा है. Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-6577973635968849142017-06-28T15:54:07.698+05:302017-06-28T15:54:07.698+05:30बहुत सुंदर भाव..कबीर ने भी कहा है..जब जैसा तब तैसा...बहुत सुंदर भाव..कबीर ने भी कहा है..जब जैसा तब तैसा रे..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com