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Friday, May 10, 2013

कौन ले जाता है ?


कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरी नींद
सेंध कुछ ऐसी लगती है
मानो कोई
अशर्फियों से भरी संदूकड़ी को
मेरे सिरहाने ही लगा जाता है
और समुचित संरक्षण के लिए
मुझे जोगिन-सा जगा जाता है

कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरा चेत
चिन्हार-सा चारु हास कर
मानो कोई
एक चितवन चमक नयन में भर
मुझे मुझसे ही चुराता है या
उस सेंधिया की सिधाई कहूँ तो
मुझे मुझको ही चुकाता है

कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरा काँटों का सेज
रग-रोयें में एक गंध घोलकर
मनो कोई
बिखरा कर क्वांरी कलियों को
मुझे भी बहुरिया बना जाता है
और एक धुकधुकी धधकाकर
स्पर्शइन्द्रियों को उकसा जाता है

कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरा अंगदान
अनंग- क्रीड़ा को क्रियमाण कर
मानो कोई
लोकोपवाद को लज्जित करके
अंगलेप-सा मुझे लेस जाता है
और मेरे अंगविन्यास को उलझाकर
मुझे भी लोकातीत बना जाता है

कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरा............


39 comments:

  1. अंतर्मन में उठते भावों को प्रश्न रूप में अभिव्यक्त करना सुखद है .....शैली भी प्रभावपूर्ण है ....!!

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  2. चुपके कौन आया तोर अंगना , जान जाओ तो बता देना !

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  3. सेंध कुछ ऐसी लगती है
    मानो कोई
    अशर्फियों से भरी संदूकड़ी को
    मेरे सिरहाने ही लगा जाता है
    और समुचित संरक्षण के लिए
    मुझे जोगिन-सा जगा जाता है
    .........
    मुझे भी लोकातीत बना जाता है

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  4. बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  5. कोई तो बता दे मुझे
    कौन ले जाता है ?
    मेरा चेत
    चिन्हार-सा चारु हास कर
    मानो कोई
    एक चितवन चमक नयन में भर
    मुझे मुझसे ही चुराता है या
    उस सेंधिया की सिधाई कहूँ तो
    मुझे मुझको ही चुकाता है

    सुन्दर....

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  6. वाह ... बेहतरीन

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  7. Aatrangee... Sadho aa. Amrita Ji


    Silsileon ko yun hi chalae rakhna ki ...
    "dilon ko sunne ke lie humkhyaali ki bhi zarurat hoti hain,
    kabhi soorat Nazuk toh kabhi seerat bhi Nazuk hoti hain." ...

    ~ Pradeep Yadav ~

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  8. कौन बतायेगा....
    खुद ही जानती हो.....बताओ न !!!

    {बेहतरीन रचना}

    अनु

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  9. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(11-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  10. सूफी वाद से संसिक्त रचना .जोगन बन जाउंगी सैयां तोरे कारण .....


    सूफी भगवान को अपनी बहुरिया ही मानते हैं .यही निकटतम संग की अभिव्यक्ति है .आज सजन मोहे अंग लगा लो, जन्म सफल हो जाए ,हृदय की पीड़ा ,देह की अग्नि ,सब शीतल हो जाए .....

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  11. रग-रोयें में एक गंध घोलकर
    (मनो कोई) को (मानो कोई) कर दें।

    पढ़ूंगा पुनश्‍च पढ़ूंगा, तब समझूंगा। एक दृष्टि में तो मात्र आकर्षण से हिलना ही होता है सब कुछ पढ़ कर।

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  12. कभी टेलीफोन के जनक ग्राहम बेल भी इसी सवाल का जवाब खोजते-खोजते थक गए थे...कुछ-कुछ जवाब मिला...उन्होंने जिद बाँध ली और दुनिया के सामने टेलीफोन ले आये... टेलीफोन पर उन्होंने पहला शब्द कहा था...हेलो.....आखिर ये शब्द कहाँ से आया ? बाद में उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मैं नहीं जानता कि यह कौन सी शक्ति है ...मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि यह है ................

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  13. बहुत खुबसूरत....

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  14. शब्दों में बंधे छुपे खूबसूरत भाव ..अनोखे अंदाज में मनभावन शैली में लिखी शानदार रचना ..मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है

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  15. बहुत खुबसूरत....रचना..

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  16. मुझे जोगिन-सा जगा जाता है--------जोगिन-सा जगा
    मुझे भी लोकातीत बना जाता है-------लोकातीत


    http://sarikkhan11.blogspot.in/

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  17. ये भी तलाश है..... कितना सुंदर बिम्ब और गहरी अभिव्यक्ति

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  18. तुम्हारे सिवा और कौन जानेगा ?

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  19. अपने मन की बात और कौन जानेगा आपके सिवाय ?
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post'वनफूल'
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

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  20. रहस्य भी और प्रेम भी.

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  21. प्रेम में डूबा मन और मन से बिसरा प्रेम ?
    प्रेम रंग में रंगा सुध बुध कौन चुराए नेम?
    बड़ी निराली मन की दशा का वर्णन किया है आपने

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  22. क्या बात, बहुत सुंदर रचना
    बहुत सुंदर

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  23. क्या बात, बहुत सुंदर रचना
    बहुत सुंदर

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  24. बहुत सुन्दर रचना.

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  25. न जाने कौन, संचित है मौन

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  26. बहुत खूब ... उस चितचोर को ढूंढना मुश्किल तो नहीं ...
    दिल के आसपास ही रहता है वो कहीं ...

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  27. सुन्दर भाव लिए प्रेमपूर्ण रचना...
    :-)

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  28. मनो कोई
    बिखरा कर क्वांरी कलियों को
    मुझे भी बहुरिया बना जाता है
    और एक धुकधुकी धधकाकर
    स्पर्शइन्द्रियों को उकसा जाता है

    ....बहुत ही उत्कृष्ट प्रेममयी रचना...

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  29. एक चिरंतन प्रश्न -उत्तरातीत !

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  30. बहुत सुन्दर और गहन..........कसक सी उठाती रचना।

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  31. amrita ji...aapke shbdon ka vinyas sashkt hai...chhaap chodti hai rachna :)

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  32. कोई तो बता दे -----
    कोई तो बता दे प्रेम में ऐसा क्यों होता है
    वाह मन की सुंदर अनुभूति
    बधाई

    आग्रह है पढ़ें "अम्मा"
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  33. उन सों नेहा लगाए ...
    अब कैसे जिया चैन पाए ....!!
    मदमाती सी मधुर रचना ...अमृता जी ....!!

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  34. अमृताजी. कौन बताएगा, आपको ही पता करना होगाः बहुत ही भावपूर्ण रचना । बधाई ।

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  35. अमृताजी. कौन बताएगा, आपको ही पता करना होगाः बहुत ही भावपूर्ण रचना । बधाई ।

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  36. और समुचित संरक्षण के लिए
    मुझे जोगिन-सा जगा जाता है, bahut khooob

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