tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post6583844611630788044..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: बोलो हे !....Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-51064226346260277182022-09-20T21:51:49.301+05:302022-09-20T21:51:49.301+05:30बोलो हे ! विधि के विधायक
सघन वीथिका में दृग हमारे
...बोलो हे ! विधि के विधायक<br />सघन वीथिका में दृग हमारे<br />क्यूँ कर दिए वृहद् इतना<br />उभरती हैं जो वृत्तियाँ आज ये सहसा<br />उन्हें कुछ भिन्न सा दिखने लगा है ....<br /> ..ये कुछ भिन्न सा अद्भुत अवलोकन आपकी रचनाओं में दिख जाता है इस उत्कृष्ट रचना के लिए अनंत बधाई स्वीकारें।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-44889481807279334462022-09-19T23:44:25.050+05:302022-09-19T23:44:25.050+05:30वेदना अब वंदना बन
क्यूँ अश्रु सा बहने लगा है//
गहन...वेदना अब वंदना बन<br />क्यूँ अश्रु सा बहने लगा है//<br />गहन संवेदनाओं में मन की पीड़ा आत्मा की अतल गहराइयों से सच में प्रार्थना ही बनकर फूट पड़ती है।एक अत्यंत मार्मिक अभिव्यक्ति प्रिय अमृता जी।ढेरों शुभकामनाएं 🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-61261409734170373282022-09-19T19:42:42.719+05:302022-09-19T19:42:42.719+05:30कुछ अनुभूतियों का स्पर्श आत्मा का दिव्य गान बन जात...कुछ अनुभूतियों का स्पर्श आत्मा का दिव्य गान बन जाता है, <br />मनुष्य मन विकलता से उद्वेलित हो मौन होकर भी मुखर हो जाता है।<br />अत्यंत सूक्ष्म भावों को व्यक्त करती अद्भुत अभिव्यक्ति।<br />सस्नेह।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-21548558670317410562022-09-19T17:12:54.293+05:302022-09-19T17:12:54.293+05:30बोलो हे ! विधि के विधायक
सघन वीथिका में दृग हमारे
...बोलो हे ! विधि के विधायक<br />सघन वीथिका में दृग हमारे<br />क्यूँ कर दिए वृहद् इतना<br />उभरती हैं जो वृत्तियाँ आज ये सहसा<br />उन्हें कुछ भिन्न सा दिखने लगा है ....<br />गहन अर्थ लिए बहुत ही लाजवाब<br />अप्रतिम सृजन ।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-18105342930494922552022-09-19T12:23:51.670+05:302022-09-19T12:23:51.670+05:30आपका सृजन सदैव मन्त्रमुग्ध करता है । गहन भावाभिव्य...आपका सृजन सदैव मन्त्रमुग्ध करता है । गहन भावाभिव्यक्ति ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-86322510612410635102022-09-19T10:14:44.704+05:302022-09-19T10:14:44.704+05:30वागबद्ध!!!वागबद्ध!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-57731674714288034662022-09-18T16:45:28.609+05:302022-09-18T16:45:28.609+05:30आपकी लिखी रचना सोमवार 19 सितम्बर ,2022 को ...आपकी लिखी रचना सोमवार 19 सितम्बर ,2022 को <br /><a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a> पर... साझा की गई है <br />आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br />सादर<br />धन्यवाद।<br /><br />संगीता स्वरूप संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-87408891209358648132011-09-20T09:08:39.871+05:302011-09-20T09:08:39.871+05:30सार्थक शब्दों से बिंबितसूक्षम भाव प्रवाह .
प्रसंसा...सार्थक शब्दों से बिंबितसूक्षम भाव प्रवाह .<br />प्रसंसा से इस कविता की मान को ठेस पहुचाना नहीं चाहता हूँ .इसे तो बस महसूस ही किया जा सकता है.एक दिन आप का अपना एक विशिस्ट हिंदी काब्य में स्थान हगा. अपनी बिशिस्ट सैली के लिए जानी जाएँगी.वीरेन्द्र नारायण सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/03112004784898777169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11423576518365730292011-09-18T23:48:38.488+05:302011-09-18T23:48:38.488+05:30शब्दों का बेहतरीन प्रयोग...अच्छी रचना...शब्दों का बेहतरीन प्रयोग...अच्छी रचना...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-46334285193556693152011-09-18T10:20:41.157+05:302011-09-18T10:20:41.157+05:30बोलो हे ! विधि के विधायक
सघन वीथिका में दृग हमारे...बोलो हे ! विधि के विधायक <br />सघन वीथिका में दृग हमारे <br />क्यूँ कर दिए वृहद् इतना<br />उभरती हैं जो वृतियाँ आज ये सहसा<br />उन्हें कुछ भिन्न सा दिखने लगा है <br /><br />गहन अर्थों को सुंदर शब्दों में प्रगट करती अनुपम कविता।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-90732221054562422152011-09-17T17:48:39.730+05:302011-09-17T17:48:39.730+05:30सुन्दर प्रस्तुति !!!सुन्दर प्रस्तुति !!!मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-77387529077810923612011-09-17T14:56:21.293+05:302011-09-17T14:56:21.293+05:30सुन्दर पोस्ट............कठिन शब्दों का अर्थ देने क...सुन्दर पोस्ट............कठिन शब्दों का अर्थ देने का शुक्रिया.........आज कुछ ऐसा लगा जैसे जय शंकर प्रसाद जी की कोई रचना पढ़ी हो ...........'आँसू' जैसी |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-71278331513519151042011-09-17T12:06:52.882+05:302011-09-17T12:06:52.882+05:30गहन अनुभूतिगहन अनुभूतिAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14612724763281042484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-27329381311213409422011-09-17T10:41:20.955+05:302011-09-17T10:41:20.955+05:30बहुत भावपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति ! बहुत सुन्दरबहुत भावपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति ! बहुत सुन्दरAnkit pandeyhttps://www.blogger.com/profile/11393165744990605962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-59346872496688815662011-09-17T09:37:11.757+05:302011-09-17T09:37:11.757+05:30बोलो हे ! प्रणय के प्रदीपक
प्रेम की कैसी ये धारा
ब...बोलो हे ! प्रणय के प्रदीपक<br />प्रेम की कैसी ये धारा<br />बह रही है मुझमें अब<br />निज है जो मेरा आज ये सहसा<br />क्यूँ निज में ही खोने लगा है.<br />प्रस्तुति का जादू ,मुग्धा भाव सिर चढ़के बोल रहा है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-44349439084038048532011-09-17T09:02:30.434+05:302011-09-17T09:02:30.434+05:30सुन्दर अमृतमय प्रस्तुति.
आपका एक एक शब्द पवित्रता
...सुन्दर अमृतमय प्रस्तुति.<br />आपका एक एक शब्द पवित्रता<br />का अहसास कराता है.<br />आपका आभार.<br />नई पुरानी हलचल का आभार.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-76714570569363863442011-09-17T08:38:03.872+05:302011-09-17T08:38:03.872+05:30अमृता जी ..
बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं आपने अपनी अन...अमृता जी ..<br /><br />बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं आपने अपनी अनुभूतियों को... यही अनुभूति तो इंगित करती है मिलन को..जो स्वयं से स्वयं का होता है.. आत्मा से परमात्मा का होता है.... बधाई आपको इन अनुभूतियों के लिए ...मुदिताhttps://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-24517149555839904792011-09-17T08:07:48.577+05:302011-09-17T08:07:48.577+05:30अम्रता जी अनुपम शब्दों के साथ सुन्दर प्रस्तुति . ब...अम्रता जी अनुपम शब्दों के साथ सुन्दर प्रस्तुति . बधाई हो . मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया . अब आपका ब्लॉग फोल्लो कर लिया है , आसानी से आपकी कविता हम तक पहुच जाएगी :) शुभ -दिन <br />sapne-shashi.blogspot.comshashi purwarhttps://www.blogger.com/profile/04871068133387030845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-55557311806432108942011-09-17T07:18:08.717+05:302011-09-17T07:18:08.717+05:30बहुत सुन्दर रचना ..खासकर अनुप्रास अलंकार का प्रयोग...बहुत सुन्दर रचना ..खासकर अनुप्रास अलंकार का प्रयोग और भाव तो हमेशा की तरह लाजवाब हैं हीVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-47030170882866712332011-09-16T23:19:32.483+05:302011-09-16T23:19:32.483+05:30वेदना अब वंदना बन
क्यूँ अश्रु सा बहने लगा है
बहु...वेदना अब वंदना बन <br />क्यूँ अश्रु सा बहने लगा है<br /><br />बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। बधाई अमृता जी॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-22660149353787776972011-09-16T19:49:19.595+05:302011-09-16T19:49:19.595+05:30कठिन शब्द, पाठक के ह्रदय में घुमड़ रहे भावों को भट...कठिन शब्द, पाठक के ह्रदय में घुमड़ रहे भावों को भटका दे रहे हैं...ऐसा लगा।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-1183660326740169912011-09-16T19:43:51.882+05:302011-09-16T19:43:51.882+05:30बीबी की डांट या कचहरी
भले डांट घर में तू बीबी की ख...बीबी की डांट या कचहरी<br />भले डांट घर में तू बीबी की खाना<br />भले जैसे -तैसे गिरस्ती चलाना<br />भले जा के जंगल में धूनी रमाना<br />मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना<br />कचहरी न जाना- कचहरी न जाना<br />कचहरी हमारी तुम्हारी नहीं है<br />कहीं से कोई रिश्तेदारी नहीं है<br />अहलमद से भी कोरी यारी नहीं है<br />तिवारी था पहले तिवारी नहीं है<br />कचहरी की महिमा निराली है बेटे<br />कचहरी वकीलों की थाली है बेटे<br />पुलिस के लिए छोटी साली है बेटे<br />यहाँ पैरवी अब दलाली है बेटे<br />कचहरी ही गुंडों की खेती है बेटे<br />यही जिन्दगी उनको देती है बेटे<br />खुले आम कातिल यहाँ घूमते हैं<br />सिपाही दरोगा चरण चुमतें है<br />कचहरी में सच की बड़ी दुर्दशा है<br />भला आदमी किस तरह से फंसा है<br />यहाँ झूठ की ही कमाई है बेटे<br />यहाँ झूठ का रेट हाई है बेटे<br />कचहरी का मारा कचहरी में भागे<br />कचहरी में सोये कचहरी में जागे<br />मर जी रहा है गवाही में ऐसे<br />है तांबे का हंडा सुराही में जैसे<br />लगाते-बुझाते सिखाते मिलेंगे<br />हथेली पे सरसों उगाते मिलेंगे<br />कचहरी तो बेवा का तन देखती है<br />कहाँ से खुलेगा बटन देखती है<br />कचहरी शरीफों की खातिर नहीं है<br />उसी की कसम लो जो हाज़िर नहीं है<br />है बासी मुहं घर से बुलाती कचहरी<br />बुलाकर के दिन भर रुलाती कचहरी<br />मुकदमें की फाइल दबाती कचहरी<br />हमेशा नया गुल खिलाती कचहरी<br />कचहरी का पानी जहर से भरा है<br />कचहरी के नल पर मुवक्किल मरा है<br />मुकदमा बहुत पैसा खाता है बेटे<br />मेरे जैसा कैसे निभाता है बेटे<br />दलालों नें घेरा सुझाया-बुझाया<br />वकीलों नें हाकिम से सटकर दिखाया<br />धनुष हो गया हूँ मैं टूटा नहीं हूँ<br />मैं मुट्ठी हूँ केवल अंगूंठा नहीं हूँ<br />नहीं कर सका मैं मुकदमें का सौदा<br />जहाँ था करौदा वहीं है करौदा<br />कचहरी का पानी कचहरी का दाना<br />तुम्हे लग न जाये तू बचना बचाना<br />भले और कोई मुसीबत बुलाना<br />कचहरी की नौबत कभी घर न लाना<br />कभी भूल कर भी न आँखें उठाना<br />न आँखें उठाना न गर्दन फसाना<br />जहाँ पांडवों को नरक है कचहरी<br />वहीं कौरवों को सुरग है कचहरीDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-14877294541717094392011-09-16T18:59:01.688+05:302011-09-16T18:59:01.688+05:30कमाल के शब्द एवं भाव संयोजन....
अद्भुत चिंतन...
सा...कमाल के शब्द एवं भाव संयोजन....<br />अद्भुत चिंतन...<br />सादर बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-74850585670009540992011-09-16T18:50:16.071+05:302011-09-16T18:50:16.071+05:30प्रेम की कैसी ये धारा
बह रही है मुझमें अब
निज है ज...प्रेम की कैसी ये धारा<br />बह रही है मुझमें अब<br />निज है जो मेरा आज ये सहसा<br />क्यूँ निज में ही खोने लगा है.....हर शब्द में सुंदर भावों का समावेश.. बहुत सुन्दर...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-86305284623282314042011-09-16T18:17:21.871+05:302011-09-16T18:17:21.871+05:30बहुत सुंदर रचना........शब्दों का अदभुत समावेश किया...बहुत सुंदर रचना........शब्दों का अदभुत समावेश किया हैNishant dixithttps://www.blogger.com/profile/13332559685772469402noreply@blogger.com