tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post6503402621367814208..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: न जाने क्यों ... ?Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-73601519438119100512012-10-15T15:46:16.834+05:302012-10-15T15:46:16.834+05:30अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर
अस्ल इंसानियत का ...अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर<br />अस्ल इंसानियत का भरकर एकअहसास<br />जब नजरें मिलेंगी उस बड़े आकाश से तो<br />सीमित न रह पायेगा कोई भी आकाश .<br />लाजवाब करते शब्दों का संगम<br /><br />सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-56048195920557962012012-10-11T16:50:28.322+05:302012-10-11T16:50:28.322+05:30कभी कभी शब्द छोटे पड़ जाते हैं भाव प्रबल हो जाते ह...कभी कभी शब्द छोटे पड़ जाते हैं भाव प्रबल हो जाते हैं तब व्याकरण के नियम बेमानी हो जाते हैं..सुंदर रचना !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-67974669395697150722012-10-09T13:23:13.538+05:302012-10-09T13:23:13.538+05:30बेहतरीन और लाजवाब करती ये पोस्ट शानदार है ।बेहतरीन और लाजवाब करती ये पोस्ट शानदार है ।इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-17173686668170806622012-10-08T22:19:45.464+05:302012-10-08T22:19:45.464+05:30अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर
अस्ल इंसानियत का ...अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर<br />अस्ल इंसानियत का भरकर एकअहसास<br />जब नजरें मिलेंगी उस बड़े आकाश से तो<br />सीमित न रह पायेगा कोई भी आकाश .<br /><br /><br />बहुत ही सच कहा है आपने,अमृता जी.<br />उठा बगुला प्रेम का तिनका उड़ा आकाश <br />तिनका तिनके से मिला तिनका तिनके पास Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-38303969716863228522012-10-08T07:53:23.993+05:302012-10-08T07:53:23.993+05:30पानी के बबूलों से बस मोहब्बत करके
कलक कर कागज की क...पानी के बबूलों से बस मोहब्बत करके<br />कलक कर कागज की किश्ती बनाते हैं<br />हिंदी फ्लेवर की इतनी खूबसूरत नज़्म पहली बार पढ़ी है. बहुत ख़ूब.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-15838800086270280542012-10-06T01:28:07.132+05:302012-10-06T01:28:07.132+05:30बहुत ख़ूब! वाह!
कृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्य...बहुत ख़ूब! वाह!<br /><br />कृपया इसे भी देखें-<br /><br /><a href="http://cbmghafil.blogspot.in/2012/10/blog-post.html" rel="nofollow"><b>नाहक़ ही प्यार आया</b></a>चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-28917883432554665092012-10-05T22:03:48.967+05:302012-10-05T22:03:48.967+05:30अपनी ही कुछ बंदिश में न जाने क्यों
सीमित -दमित ...अपनी ही कुछ बंदिश में न जाने क्यों<br />सीमित -दमित से ही रहते हैं कुछ लोग<br />.....satya....satya ....aur satya ....Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-22794905443092743972012-10-05T20:35:35.087+05:302012-10-05T20:35:35.087+05:30WAH...WAH...VINOD YADAVhttps://www.blogger.com/profile/11376988805710176425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-31474330783832422952012-10-05T13:42:26.708+05:302012-10-05T13:42:26.708+05:30बंदिशों के बंदिखाने में , बंधकर आकाश
सच -सच कहो तो...बंदिशों के बंदिखाने में , बंधकर आकाश<br />सच -सच कहो तो कितना तड़फड़ाता है<br />भ्रमों के रेशमी जालों को ही बुन -बुनकर<br />उसी में खुद ही इतना जो उलझ जाता हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16550236924589424468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-52129204179834061802012-10-05T13:40:36.902+05:302012-10-05T13:40:36.902+05:30बंदिशों के बंदिखाने में , बंधकर आकाश
सच -सच कहो तो...बंदिशों के बंदिखाने में , बंधकर आकाश<br />सच -सच कहो तो कितना तड़फड़ाता है<br />भ्रमों के रेशमी जालों को ही बुन -बुनकर<br />उसी में खुद ही इतना जो उलझ जाता हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16550236924589424468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-8122029015487750542012-10-05T13:37:25.834+05:302012-10-05T13:37:25.834+05:30komal bhawnaon ko samete ek utkkrist rachana anmol...komal bhawnaon ko samete ek utkkrist rachana anmol si.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16550236924589424468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-50419969173522974422012-10-04T20:21:47.460+05:302012-10-04T20:21:47.460+05:30बेहतरीन भावार्थ समेटे एक अच्छी कविता |बेहतरीन भावार्थ समेटे एक अच्छी कविता |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-41055084272712201782012-10-03T23:16:07.846+05:302012-10-03T23:16:07.846+05:30आसमान के विस्तार से जुड़कर मन का विस्तार बहुत कुछ ...आसमान के विस्तार से जुड़कर मन का विस्तार बहुत कुछ समेटना चाहता है। मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-51751449263081337372012-10-03T13:51:02.056+05:302012-10-03T13:51:02.056+05:30अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर
अस्ल इंसानियत का ...अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर<br />अस्ल इंसानियत का भरकर एकअहसास<br />जब नजरें मिलेंगी उस बड़े आकाश से तो<br />सीमित न रह पायेगा कोई भी आकाश .म्म्बहुत सुन्दर भाव..बहुत खूब !Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-8953383125044945262012-10-03T08:44:00.604+05:302012-10-03T08:44:00.604+05:30भ्रमों के रेशमी जालों को ही बुन -बुनकर
उसी में खुद...भ्रमों के रेशमी जालों को ही बुन -बुनकर<br />उसी में खुद ही इतना जो उलझ जाता है!!<br />भ्रम के रेशमी जाल में सिमटा आसमान विस्तृत होने की बात जोहता है !<br />बहुत खूब !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-14068049395072629902012-10-02T20:58:38.409+05:302012-10-02T20:58:38.409+05:30अपनी सारी महफ़िल को वीराना करके
सबब पूछते हैं ...अपनी सारी महफ़िल को वीराना करके<br />सबब पूछते हैं सब , हर एक से रोने का<br />किस्मत की किलाबंदी करने के बावजूद<br />खौफ़ रहता ही है उन्हें खुद को खोने का...<br />कितना सच ...बहुत ही खुबसूरत शेर..Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-24189042106157838962012-10-02T19:50:37.058+05:302012-10-02T19:50:37.058+05:30पानी के बबूलों से बस मोहब्बत करके
कलक कर कागज क...पानी के बबूलों से बस मोहब्बत करके<br />कलक कर कागज की किश्ती बनाते हैं<br />अपने-अपने आग को ही अंदर छुपाकर<br />दावे से दूसरों पर , कैसे तिलमिलाते हैं<br />वाह....<br /><br />बहुत सुन्दर रचना...<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-60916793341319215482012-10-02T18:39:44.926+05:302012-10-02T18:39:44.926+05:30मिश्रित भवनाएँ ,कुछ प्रस्फुटित होती कुछ घुटती सी -...मिश्रित भवनाएँ ,कुछ प्रस्फुटित होती कुछ घुटती सी -कुछ मचलती आकाश छूने को उद्यत !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-72807572856501980032012-10-02T17:44:57.603+05:302012-10-02T17:44:57.603+05:30
बंदिशों के बंदिखाने में , बंधकर आकाश
सच -सच कहो त...<br />बंदिशों के बंदिखाने में , बंधकर आकाश<br />सच -सच कहो तो कितना तड़फड़ाता है<br />भ्रमों के रेशमी जालों को ही बुन -बुनकर<br />उसी में खुद ही इतना जो उलझ जाता है<br />बहुत सुंदर, क्या बात<br /><br /><br /><br />जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..<br /><br />http://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fbमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-39203459041808913322012-10-02T14:35:23.229+05:302012-10-02T14:35:23.229+05:30अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर
अस्ल इंसानियत का ...अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर<br />अस्ल इंसानियत का भरकर एकअहसास<br />जब नजरें मिलेंगी उस बड़े आकाश से तो<br />सीमित न रह पायेगा कोई भी आकाश .<br /><br />....बहुत सच..यही है एक उपाय अकेलापन भगाने का..बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-90858280911389431212012-10-02T12:37:27.426+05:302012-10-02T12:37:27.426+05:30सुन्दर और लाजवाब रचना सुन्दर और लाजवाब रचना परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-12608129196974826072012-10-02T07:04:45.917+05:302012-10-02T07:04:45.917+05:30अपनी सारी महफ़िल को वीराना करके
सबब पूछते हैं ...अपनी सारी महफ़िल को वीराना करके<br />सबब पूछते हैं सब , हर एक से रोने का<br />किस्मत की किलाबंदी करने के बावजूद<br />खौफ़ रहता ही है उन्हें खुद को खोने का<br /><br /><br />...जब नजरें मिलेंगी उस बड़े आकाश से तो<br />सीमित न रह पायेगा कोई भी आकाश .<br /><br />बहुत बढ़िया Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-21542114676397084572012-10-02T07:03:36.416+05:302012-10-02T07:03:36.416+05:30अपनी सारी महफ़िल को वीराना करके
सबब पूछते हैं ...अपनी सारी महफ़िल को वीराना करके<br />सबब पूछते हैं सब , हर एक से रोने का<br />किस्मत की किलाबंदी करने के बावजूद<br />खौफ़ रहता ही है उन्हें खुद को खोने का<br /><br />अमृता जी आपका काव्य चित्रण अच्छा लगा । मेरी नई पोस्ट 'बहती गंगा' पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-47145074882867688452012-10-02T06:21:11.593+05:302012-10-02T06:21:11.593+05:30
अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर
अस्ल इंसानियत का...<br />अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर<br />अस्ल इंसानियत का भरकर एकअहसास<br />जब नजरें मिलेंगी उस बड़े आकाश से तो<br />सीमित न रह पायेगा कोई भी आकाश .<br />सच बात है ....अपनी अंतर दृष्टि ही सीमा से असीम की ओर ले जाती है हमें .....Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-56603835522914810352012-10-02T06:06:54.898+05:302012-10-02T06:06:54.898+05:30बंदिशों के बंदिखाने(बंदी -खाने ) में , बंधकर आकाश
...बंदिशों के बंदिखाने(बंदी -खाने ) में , बंधकर आकाश<br />सच -सच कहो तो कितना तड़फड़ाता है<br />भ्रमों के रेशमी जालों को ही बुन -बुनकर<br />उसी में खुद ही इतना जो उलझ जाता है<br /><br />अकेलेपन से कभी अपना दामन छुड़ाकर<br />अस्ल(असल ) इंसानियत का भरकर एकअहसास<br />जब नजरें मिलेंगी उस बड़े आकाश से तो<br />सीमित न रह पायेगा कोई भी आकाश .<br /><br />बेशक कवि को मात्राओं की छूट लेने का हक़ हासिल है लेकिन असल ,असली .असलियत /असल /नक़ल प्रयोग हैं उर्दू में .बाकी आप विदूषी हैं .सोच समझ के तौल के ही प्रयोग किया होगा .<br /><br />कवियित्री ने .<br /><br />रचना बेहद सशक्त है परिसीमन के बाँध टूटते ज़रूर हैं .सैलाब आता ज़रूर है भावना का ज्वार भी सारी हदबंदी तब चुक जाती है .खुद से खुद की .आप आशु कवियित्री का दर्ज़ा हैसल करने की देहलीज़ पे खड़ीं हैं दो लाइनें एक पूरा प्रबंध रच दिया आपने भाव का ,अनुभाव का ,विराग का ,और वैयक्तिक सुराग का .ओढ़े हुए सुरक्षा कवच को बींधना बड़े कौशल का काम होता है .<br /><br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 1 अक्तूबर 2012<br />ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी<br />ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखीvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com