tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post2855174831749293254..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: यह अंतर्वेदना कैसी है ? ....Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-15449185771243174212013-12-21T12:47:42.298+05:302013-12-21T12:47:42.298+05:30कोमल भावों वाली इस कविता को पढ़ कर छायावादी कविता ...कोमल भावों वाली इस कविता को पढ़ कर छायावादी कविता की याद हो आई. किसी अज्ञात को रेंखाकित करने की प्रबल लालसा कविता में दिखाई देती है. कविता में प्रयुक्त 'भी' और 'ही' उसी अज्ञात के साक्षी हैं.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-65324995070572172032013-12-16T15:47:23.532+05:302013-12-16T15:47:23.532+05:30वाणी-विहीन रंध्रों से फूटता
यह आकुल आर्द्र आलाप कै...वाणी-विहीन रंध्रों से फूटता<br />यह आकुल आर्द्र आलाप कैसा है ?…<br /><br />उत्कृष्ट,बेजोड़। डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-15189673349818515782013-12-16T08:28:55.277+05:302013-12-16T08:28:55.277+05:30सहज ही तादात्म्य स्थापित करती ह्रदय को बेधती संघनि...सहज ही तादात्म्य स्थापित करती ह्रदय को बेधती संघनित वेदना Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-22778052901886246482013-12-16T02:58:24.719+05:302013-12-16T02:58:24.719+05:30गूढ़ अभिव्यक्ति गूढ़ अभिव्यक्ति Dr. pratibha sowatyhttps://www.blogger.com/profile/16493416545569678252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-27378537931956993342013-12-15T15:40:33.051+05:302013-12-15T15:40:33.051+05:30aaj ke haalat par achhi parstuti hai amrita ji, aa...aaj ke haalat par achhi parstuti hai amrita ji, aap gahrai me jakar likhti hain, bhut achhacharansinghrajputhttps://www.blogger.com/profile/08230006786575094592noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-16181845824413875262013-12-15T11:15:54.503+05:302013-12-15T11:15:54.503+05:30क्यों असंयत हो दहकता है तन-मन ?
क्यों विरह-प्रपीड़...क्यों असंयत हो दहकता है तन-मन ?<br />क्यों विरह-प्रपीड़ित है ये दृढ आलिंगन ?<br />तड़प-तड़पकर ही रह जाता है<br />क्यों विकल अधर युगल का चुम्बन ?<br /><br />जब लपट ह्रदय से लिपटी हो ऐसे<br />तो मूढ़ अगन बुझेगी भी कैसे ?<br />तब जल का आगार भी आक्रान्त होकर<br />बढ़ाता संताप है निज वड़वानल जैसे.....<br /><br />सुंदर रचना..विरह के ताप को प्रदर्शित करती उत्तम अभिव्यक्ति।।।Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-10834596736602597092013-12-15T08:32:41.823+05:302013-12-15T08:32:41.823+05:30''इस करुणा कलित हृदय मे
क्यूँ विकल रागिनी...''इस करुणा कलित हृदय मे <br />क्यूँ विकल रागिनी बजती <br />क्यूँ हाहाकार स्वरों मे <br />वेदना असीम गरजती <br />अकुलाती वेदना .....जयशंकर प्रसाद की 'आँसू 'याद आ गई ...बहुत सुंदर रचना अमृता जी ...Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-42080538535865020822013-12-14T22:32:45.257+05:302013-12-14T22:32:45.257+05:30गहन अभिव्यक्ति..... गहन अभिव्यक्ति..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-56005531068373475462013-12-14T21:27:29.707+05:302013-12-14T21:27:29.707+05:30This comment has been removed by the author.Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-21098664471611534792013-12-14T15:21:04.777+05:302013-12-14T15:21:04.777+05:30वेदना ही राह निकालती है।वेदना ही राह निकालती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-24130777968603054002013-12-14T13:59:07.594+05:302013-12-14T13:59:07.594+05:30अंतर्वेदना के दर्द... मुखरित हो रहे ... बेहतरीन !!...अंतर्वेदना के दर्द... मुखरित हो रहे ... बेहतरीन !!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-59727657573797147052013-12-14T07:53:10.211+05:302013-12-14T07:53:10.211+05:30यह अंतर्वेदना निरंतर है ,सनातन है ,समय ,स्थान के अ...यह अंतर्वेदना निरंतर है ,सनातन है ,समय ,स्थान के अनुसार रूप बदलता है .......सुन्दर अभिव्यक्ति !<br />नई पोस्ट <a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/12/blog-post_14.html#links" rel="nofollow"> विरोध</a> <br />new post <a href="http://vichar-anubhuti.blogspot.in/2013/12/blog-post_9.html#links" rel="nofollow"> हाइगा -जानवर</a><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-69453592636213242432013-12-14T06:17:59.301+05:302013-12-14T06:17:59.301+05:30विह्वल-सा यह वायु क्यों बहता ?... ??
हर शब्द जै...विह्वल-सा यह वायु क्यों बहता ?... ?? <br /><br /> हर शब्द जैसे मन की विकलता को उछाल कर रहा है ! शब्दों के जाल में घिरे रहे हम तो !<br />बहुत बढ़िया ! वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-80070340218262586552013-12-14T00:33:36.839+05:302013-12-14T00:33:36.839+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-12-13) को <b><a href="http://charchamanch.blogspot.com/2013/12/charcha1461.html" rel="nofollow">"वो एक नाम (चर्चा मंच : अंक-1461)"</a></b> पर भी है!<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!!<br /><br />- ई॰ राहुल मिश्राMisra Raahulhttps://www.blogger.com/profile/15154531923724645081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-10194745603014375512013-12-13T21:48:24.663+05:302013-12-13T21:48:24.663+05:30ANTARMAN SE FUTATI SAMWEDANA KA PRASFUTANANTARMAN SE FUTATI SAMWEDANA KA PRASFUTANRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-15439097319502518462013-12-13T19:57:09.270+05:302013-12-13T19:57:09.270+05:30बहुत सारे सवालों का जवाब निर्मम वक़्त के पास भी नही...बहुत सारे सवालों का जवाब निर्मम वक़्त के पास भी नहीं होता.. और कुछ सवालों का जवाब तो है ही नहीं... मेरा मानना है कि ईश्वर अंतर्वेदना, अनुताप व असाध्य अनमनी व्यथा जैसे हीरे सबके ह्रदय में नहीं टाँकता...<br />नतमस्तक हूँ.....Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-82157701415134832532013-12-13T19:08:49.870+05:302013-12-13T19:08:49.870+05:30ऐसी कविता कैसे लिख लेती हैं आप?....मन की अकूलाहट क...ऐसी कविता कैसे लिख लेती हैं आप?....मन की अकूलाहट को शब्द देना आसान नहीं...किसी कारीगर की महीन कारीगरी की तरह आप शब्दों को बुनना जानती हैं....अपने से शब्दों को बुना नहीं जाता...Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-36538861002600940382013-12-13T17:18:42.692+05:302013-12-13T17:18:42.692+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!<br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-12-2013) <a href="http://charchamanch.blogspot.in" rel="nofollow"> "नीड़ का पंथ दिखाएँ" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1461 </a> पर होगी.<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.<br />सादर...!<br />Rajeev Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/12748535881221017180noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-52692148989897840972013-12-13T17:16:38.840+05:302013-12-13T17:16:38.840+05:30बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : रोग निवारण और संगीतबहुत सुन्दर .<br />नई पोस्ट : <a href="http://dehatrkj.blogspot.in/2013/12/blog-post_12.html" rel="nofollow"> रोग निवारण और संगीत </a><br />Rajeev Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/12748535881221017180noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-36204643704885473512013-12-13T17:04:31.103+05:302013-12-13T17:04:31.103+05:30आज अति शोकित धरा-आकाश क्यों है ?
मलिन मुख में क्षि...आज अति शोकित धरा-आकाश क्यों है ?<br />मलिन मुख में क्षितिज भी उदास क्यों है ?<br />टूटा-सा प्यारा सुख सपना लेकर<br />सिर टेके बिसुरती आस क्यों है ?<br /><br />प्रकृति नटी भी इतनी उदास क्यों हैं ,<br /><br />क्या प्रीत किए दुःख होय?<br /><br />सुन्दर रचना है। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-36594007850342746772013-12-13T15:16:16.809+05:302013-12-13T15:16:16.809+05:30इतनी गहन वेदना और अंतर्व्यथा जो शब्दों से भरा झलकत...इतनी गहन वेदना और अंतर्व्यथा जो शब्दों से भरा झलकती है । शानदार और शानदार |इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-61937485421471587572013-12-13T13:12:25.327+05:302013-12-13T13:12:25.327+05:30वेदना, प्रश्न, अकुलाहट ... कहाँ है ठोर ... अनंत या...वेदना, प्रश्न, अकुलाहट ... कहाँ है ठोर ... अनंत या स्वयं के अंतरमन में ...<br />भावों का झंझावात कहाँ रुकेगा ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-69214321867954609052013-12-13T10:31:09.975+05:302013-12-13T10:31:09.975+05:30अंतर्वेदना भी इतनी गहन है कि ये शब्दों का झरना फू...अंतर्वेदना भी इतनी गहन है कि ये शब्दों का झरना फूट पड़ा है । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-1626831801118270992013-12-13T08:43:04.216+05:302013-12-13T08:43:04.216+05:30बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
अभिव्यक्ति.......बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर<br />अभिव्यक्ति.......विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-88714833268292644522013-12-12T21:21:39.976+05:302013-12-12T21:21:39.976+05:30टूटा-सा प्यारा सुख सपना लेकर न जाने कितने प्रीतप्र...टूटा-सा प्यारा सुख सपना लेकर न जाने कितने प्रीतप्रेमी भ्रमातीत विश्व में विचरण कर रहे हैं। ना जाने कौन सी अक्षय विवशता है जो मरते-मरते भी असम्भव प्रेमपूर्णता प्राप्त करना चाहती है। भावों का असीम विस्तार। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.com