tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post252998502310968508..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: जहरमोहरा ....Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-91382164220827759772014-01-09T07:32:19.019+05:302014-01-09T07:32:19.019+05:30वाह शानदार सोच ...बहुत सुन्दर वाह शानदार सोच ...बहुत सुन्दर Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-36103234176723861832014-01-08T15:30:07.956+05:302014-01-08T15:30:07.956+05:30वाह बहुत ही शानदार |वाह बहुत ही शानदार |इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-85473476742923061242014-01-08T13:05:25.080+05:302014-01-08T13:05:25.080+05:30वाह जी वाहवाह जी वाहचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11154525868565085552014-01-08T11:54:35.638+05:302014-01-08T11:54:35.638+05:30वाह अमृता जी, अंकों का खेल और शून्य की उपयोगिता को...वाह अमृता जी, अंकों का खेल और शून्य की उपयोगिता को क्या खूब समझा है आपने..बधाई इस जश्न मनाने की फितरत पर...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-86155766760619062312014-01-07T01:57:36.808+05:302014-01-07T01:57:36.808+05:30शून्य के स्वप्न से शून्य के यथार्थ तक....मुक्त होक...शून्य के स्वप्न से शून्य के यथार्थ तक....मुक्त होकर भी बस ....एक ही कहानी... Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-36861697903101977462014-01-06T22:21:15.857+05:302014-01-06T22:21:15.857+05:30अंको की माला गूँथ दी बेहतरीनअंको की माला गूँथ दी बेहतरीनRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-58639834981744746572014-01-06T20:35:51.543+05:302014-01-06T20:35:51.543+05:30बहुत बढ़िया..बहुत बढ़िया..वर्ज्य नारी स्वरhttps://www.blogger.com/profile/14853474358016603861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-16591589532900603522014-01-06T18:24:35.950+05:302014-01-06T18:24:35.950+05:30यह कविता कुछ-कुछ दिल को जला जाती है :)
यह कविता कुछ-कुछ दिल को जला जाती है :)<br />Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-48210261837136706392014-01-06T17:51:13.085+05:302014-01-06T17:51:13.085+05:30वैसे तो शून्य जो जाना एकाकी हो जाना है .. मुक्त हो...वैसे तो शून्य जो जाना एकाकी हो जाना है .. मुक्त हो जाना है पर गणित के हिसाब से बहुत कुछ हो जाना भी है ... बस सही इस्तेमाल हो सकें ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-59748015322892488552014-01-06T14:28:18.983+05:302014-01-06T14:28:18.983+05:30सच है हम शून्यवादी लोग शुन्य को सही जगह पर नहीं लग...सच है हम शून्यवादी लोग शुन्य को सही जगह पर नहीं लगाते. आंकड़ों का जोड़ तोड़ अंक गणित के हिसाब से नहीं बल्कि जीवन के हिसाब से हुआ करता है. गहन सोच, बधाई. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-76210505745405207132014-01-06T08:42:10.973+05:302014-01-06T08:42:10.973+05:30बेहतरीन........बेहतरीन........कौशल लालhttps://www.blogger.com/profile/04966246244750355871noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-46183248952895607762014-01-06T02:50:05.307+05:302014-01-06T02:50:05.307+05:30द्विदलीय व्यवस्था अगर स्वतंत्रता के शुरूआती दिनों ...द्विदलीय व्यवस्था अगर स्वतंत्रता के शुरूआती दिनों में ही लागू हो जाती तो अच्छा होता. कम से कम इस जोड़-तोड़ की नकेल पर देश को नहीं लुटना पड़ता. अच्छी बात है कि बहुत समय बाद कुछ ईमानदार लोग राजनीति से जुड़ना चाह रहे हैं और एक नया प्रयोग करना चाह रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि किस हद तक परिवर्तन हो पाता है. ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11148625640609019042014-01-05T22:30:51.071+05:302014-01-05T22:30:51.071+05:30कम्प्यूटर की बाइनरी भाषा एक और शून्य की होती है......कम्प्यूटर की बाइनरी भाषा एक और शून्य की होती है...यदि एक हाँ है तो शून्य ना...यहाँ शून्य की महिमा बराबर है...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-87876878326962977102014-01-05T22:20:54.788+05:302014-01-05T22:20:54.788+05:30
बेहतरीन अभिव्यंजना
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५.जहरमोहरा ....अ...<br />बेहतरीन अभिव्यंजना <br /><br />-----------<br />५.जहरमोहरा ....अमृता तन्मय<br />-----------------------------------------------<br /><br /><br />शून्य को खाते-पीते हुए<br />शून्य को ही मरते-जीते हुए<br />हम जैसे शून्यवादी लोग<br />अंकों के गणित पर<br />या गणित के अंकों पर<br />आदतन आशिक-मिज़ाजी से<br />किसकदर ऐतबार करते हैं<br />ये हमसे कौन पूछता है ?<br />कौन पूछता है हमसे कि<br />हम क्यों अंकों के<br />आगे लगने के बजाय<br />हमेशा पीछे ही लगते है<br />या फिर हमें बेहद खास से<br />उन तीन और छह को<br />अपने हिसाब से आगे-पीछे<br />या ऊपर-नीचे करते रहना<br />औरों की तरह क्यों नहीं आता है ?<br /><br />३६ का आंकड़ा हमारे और परमात्मा के बीच भी है वह हमारे हृदय में बैठा है हम उसकी तरफ पीठ किये हैं मुंह भौतिक ऊर्जा (माया )की तरफ है हमारा यही राजनीति में है ३६ का अ-प्रेम ,प्रेम पूर्ण सहयोग virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-68234562508627532572014-01-05T22:18:37.949+05:302014-01-05T22:18:37.949+05:30बेहतरीन अभिव्यंजना
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५.जहरमोहरा ....अम...बेहतरीन अभिव्यंजना <br /><br />-----------<br />५.जहरमोहरा ....अमृता तन्मय<br />-----------------------------------------------<br /><br /><br />शून्य को खाते-पीते हुए<br />शून्य को ही मरते-जीते हुए<br />हम जैसे शून्यवादी लोग<br />अंकों के गणित पर<br />या गणित के अंकों पर<br />आदतन आशिक-मिज़ाजी से<br />किसकदर ऐतबार करते हैं<br />ये हमसे कौन पूछता है ?<br />कौन पूछता है हमसे कि<br />हम क्यों अंकों के<br />आगे लगने के बजाय<br />हमेशा पीछे ही लगते है<br />या फिर हमें बेहद खास से<br />उन तीन और छह को<br />अपने हिसाब से आगे-पीछे<br />या ऊपर-नीचे करते रहना<br />औरों की तरह क्यों नहीं आता है ?virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-72438833771611436102014-01-05T16:00:55.067+05:302014-01-05T16:00:55.067+05:30बहुत ही सुंदर सार्थक सशक्त अभिव्यक्ति ! शून्य का म...बहुत ही सुंदर सार्थक सशक्त अभिव्यक्ति ! शून्य का महत्त्व किसी अन्य अंक के साथ जुड़ कर ही है अन्यथा तो वह भी महत्वहीन और व्यर्थ ही है ! उसकी महत्ता को बनाए रखने के लिये उसका प्रयोग सही स्थान पर और सावधानी के साथ करना आवश्यक है ! सुंदर रचना ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-29172497837958611252014-01-05T07:14:09.486+05:302014-01-05T07:14:09.486+05:30विचारनीय विन्दु शून्य है
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो ...विचारनीय विन्दु शून्य है <br />नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो | <br /><br />नई पोस्ट <a href="http://www.kpk-vichar.blogspot.in/2014/01/blog-post.html#links" rel="nofollow"> सर्दी का मौसम!</a><br />नई पोस्ट <a href="http://vichar-anubhuti.blogspot.in/2014/01/blog-post.html#links" rel="nofollow"> विचित्र प्रकृति</a><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-33618633579109099262014-01-05T06:42:09.165+05:302014-01-05T06:42:09.165+05:30साधू साधू साधू साधू Arun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-5265949070022594612014-01-04T22:38:02.573+05:302014-01-04T22:38:02.573+05:30sahi kataksh ..................Happy new year........sahi kataksh ..................Happy new year............Dr. sandhya tiwarihttps://www.blogger.com/profile/15507922940991842783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-4562370405888171932014-01-04T20:48:41.143+05:302014-01-04T20:48:41.143+05:30काफी उम्दा प्रस्तुति.....
आपकी इस प्रविष्टि् की च...काफी उम्दा प्रस्तुति.....<br /><br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (05-01-2014) को <b><a href="http://charchamanch.blogspot.com/2014/01/charcha1483.html" rel="nofollow">"तकलीफ जिंदगी है...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1483"</a></b> पर भी रहेगी...!!!<br /><br />आपको नव वर्ष की ढेरो-ढेरो शुभकामनाएँ...!!<br /><br />- मिश्रा राहुलMisra Raahulhttps://www.blogger.com/profile/15154531923724645081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-25478637253544856742014-01-04T18:45:50.257+05:302014-01-04T18:45:50.257+05:30क्या कुछ गहरा कटाक्ष किया है 'आप' ने
रव...क्या कुछ गहरा कटाक्ष किया है 'आप' ने <br />रविकर जी की तैंतिस छत्तीसी भी अच्छी लगी.<br /><br />नववर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ अमृताजी.<br /> Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-18163467939591773922014-01-04T18:29:53.248+05:302014-01-04T18:29:53.248+05:30शून्य हो जाना ही सबसे बेहतर ........... जिसके साथ ...शून्य हो जाना ही सबसे बेहतर ........... जिसके साथ लग जाओ, दस गुना बढ़ोतरी :)<br /><br />बेहतरीन रचना.... !!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-58117950098203717172014-01-04T16:39:12.777+05:302014-01-04T16:39:12.777+05:30शून्य हो जाना बहुत बड़ी बात है !
बहुत खूब ! शून्य हो जाना बहुत बड़ी बात है !<br />बहुत खूब ! सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-49907079639308755662014-01-04T16:39:11.689+05:302014-01-04T16:39:11.689+05:30विकेश जी की बात से शतप्रतिशत सहमत हूँ ...हम लोग चा...विकेश जी की बात से शतप्रतिशत सहमत हूँ ...हम लोग चाहें तो हो सकते हैं शून्य से हट कर 'एक'।<br />Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-40687395540379423472014-01-04T15:21:23.888+05:302014-01-04T15:21:23.888+05:30हम लोग चाहें तो हो सकते हैं शून्य से हट कर 'ए...हम लोग चाहें तो हो सकते हैं शून्य से हट कर 'एक'। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.com