tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post2302328003444062307..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: शुक्रिया ! बोलती हूँ .....Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-47232786925865613612021-07-11T22:16:21.008+05:302021-07-11T22:16:21.008+05:30आज वही राज जो खुला ही है
उसे फिर से मैं खोलती हूँ
...आज वही राज जो खुला ही है<br />उसे फिर से मैं खोलती हूँ<br />कि इस महफ़िल को<br />गुलजार करने वालों !<br />आप सबों को दिल से<br />इन बेतरतीब हर्फों के सहारे ही<br />शुक्रिया ! शुक्रिया ! शुक्रिया !<br />शुक्रिया ! बोलती हूँ<br /> शुक्रिया कहने का लाजवाब अंदाज | शुक्रिया अमृता जी |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-12819505820275528652013-12-09T09:24:09.020+05:302013-12-09T09:24:09.020+05:30साधो ...... आ. अमृता जी ....
यूँ आसान होता हकेलना ...साधो ...... आ. अमृता जी ....<br />यूँ आसान होता हकेलना भीतर, <br />जहर को कलमकशी के लिए ; <br />हर जवाब अमृत होता आदम के, <br />जी लेने की आशिकी के लिए |<br /> ~ प्रदीप यादव ~<br /><br /> Pradeep Yadavhttps://www.blogger.com/profile/06764495107711090668noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-52346344016453512512013-12-09T07:26:08.066+05:302013-12-09T07:26:08.066+05:30असलियत जो भी हो
पर ये कलमकशी भी
फ़ितरतन मैकशी से
जर...असलियत जो भी हो<br />पर ये कलमकशी भी<br />फ़ितरतन मैकशी से<br />जरा सा भी कम नहीं है<br />और ये बेखुदी<br />आहिस्ता-आहिस्ता ही मगर<br />इस खुदी को ही पी जाए<br />तो कोई ग़म नहीं है....<br />बहुत खूब अमृता जी Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11009698002640376332013-12-03T16:47:27.842+05:302013-12-03T16:47:27.842+05:30इस एक शुक्रिया में पूरा इतिहास समेट दिया ...
कौन ...इस एक शुक्रिया में पूरा इतिहास समेट दिया ... <br />कौन कहता है हर्फ़ बेज़ुबां होते हैं ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-17968848491170757852013-12-03T10:46:40.561+05:302013-12-03T10:46:40.561+05:30बेजुबान हर्फों को
बड़ी तरकीब से
सजाने के बावजूद
मतल...बेजुबान हर्फों को<br />बड़ी तरकीब से<br />सजाने के बावजूद<br />मतलब की बस्ती में बस<br />मातम पसरा होता है....<br />कितनी सरलता से गहन भाव अभिव्यक्त किये हैं। हमारा भी शुक्रिया कहना बनता है !Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-42462692492348749012013-12-03T08:27:54.267+05:302013-12-03T08:27:54.267+05:30बेहतरीन काव्य /शायरी के लिए हम भी कह देते हैं &quo...बेहतरीन काव्य /शायरी के लिए हम भी कह देते हैं " शुक्रिा "वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-82754095684177533322013-12-02T19:36:35.686+05:302013-12-02T19:36:35.686+05:30बहुत-बहुत शुक्रिया. शुक्रगुजार होने के इस अंदाज़-ए...बहुत-बहुत शुक्रिया. शुक्रगुजार होने के इस अंदाज़-ए-बयाँ के लिए.वृजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14993147600916233758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-48988168868823107592013-12-02T19:19:31.585+05:302013-12-02T19:19:31.585+05:30सुन्दर अभिव्यक्ति !
नई पोस्ट वो दूल्हा....सुन्दर अभिव्यक्ति !<br />नई पोस्ट <a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/12/blog-post.html#links" rel="nofollow"> वो दूल्हा....</a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-45403803222429675542013-12-01T20:54:44.598+05:302013-12-01T20:54:44.598+05:30behud sarthak or gudh bhav se saze har shabd....behud sarthak or gudh bhav se saze har shabd....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08486476255134733859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-72174941025337140122013-12-01T18:32:35.015+05:302013-12-01T18:32:35.015+05:30तह से निकले भाव अपने अनुकूल आश्रय पा जायें।तह से निकले भाव अपने अनुकूल आश्रय पा जायें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-89750349432345862352013-11-30T15:32:13.174+05:302013-11-30T15:32:13.174+05:30सुभानल्लाह .......... कितने तीर अभी बाकी है छुपे...सुभानल्लाह .......... कितने तीर अभी बाकी है छुपे रुस्तम तेरे तरकश में ……… <br /><br />कोई तो आकर<br />मुझको समझाए<br />कि महज दिल्लगी नहीं है<br />उम्दा शायरी करना<br />गर करना ही है तो पहले<br />इक दर्द का दरिया खोदो<br />फिर उसमें कूद-कूदकर<br />सीखो ख़ुदकुशी करके मरना ....<br /><br />हाय ……… हम सुनाये हाल-ए-दिल और वो फरमाएं 'क्या' ???? इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-14488802118254697072013-11-29T22:33:17.440+05:302013-11-29T22:33:17.440+05:30असलियत जो भी हो
पर ये कलमकशी भी
फ़ितरतन मैकशी से
जर...असलियत जो भी हो<br />पर ये कलमकशी भी<br />फ़ितरतन मैकशी से<br />जरा सा भी कम नहीं है<br />और ये बेखुदी<br />आहिस्ता-आहिस्ता ही मगर<br />इस खुदी को ही पी जाए<br />तो कोई ग़म नहीं है....इस बात पर तो तालियों के साथ शुक्रिया बनता है। :-) Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-11441428577309979042013-11-29T21:24:31.456+05:302013-11-29T21:24:31.456+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. <br />आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 30/11/2013 को <a href="http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/" rel="nofollow">मेरा ये मन पंछी बन उड़ जाता है...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 052) </a><br />- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... <br />nayee duniahttps://www.blogger.com/profile/12166123843123960109noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-76908157313620768062013-11-29T21:14:18.072+05:302013-11-29T21:14:18.072+05:30बेहद ज़रूरी है कि अपनी आवाज़ सुनाई देती रहे, आजकल रा...बेहद ज़रूरी है कि अपनी आवाज़ सुनाई देती रहे, आजकल राज़ तो खुला होता है रोशनीनुमा हर्फों में, बस ज़हन ने काले परदे डाल रखें हैं.<br />हमेशा की तरह बेहतरीन अभिव्यक्ति।<br />और हाँ, आपको भी शुक्रिया कि आपकी अभिव्यक्तियों से कहीं ढ़ेर सा सुकून मिलता रहा है. <br /><br />सादर<br />मधुरेश Madhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-30391578726338647102013-11-29T20:04:37.913+05:302013-11-29T20:04:37.913+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-75387918494319545822013-11-29T19:37:55.732+05:302013-11-29T19:37:55.732+05:30शुक्रिया ! बोलती हूँ .....
इससे ज्यादा
बेचारगी का ...शुक्रिया ! बोलती हूँ .....<br />इससे ज्यादा<br />बेचारगी का आलम<br />और क्या होता है<br />कि बेतरतीब से बिखरे<br />बेजुबान हर्फों को<br />बड़ी तरकीब से<br />सजाने के बावजूद<br />मतलब की बस्ती में बस<br />मातम पसरा होता है....<br /><br />वो उँगलियों के सहारे<br />कागज़ पर खड़ी कलम<br />इस हाले-दिल को<br />खूब जानती है<br />और अपनी मज़बूरी पर<br />कोई मलाल न करते हुए<br />घिसट-घिसट कर ही सही <br />दिए हुकुम को बस मानती है....<br /><br />कोई तो आकर<br />मुझको समझाए<br />कि महज दिल्लगी नहीं है<br />उम्दा शायरी करना<br />गर करना ही है तो पहले<br />इक दर्द का दरिया खोदो<br />फिर उसमें कूद-कूदकर<br />सीखो ख़ुदकुशी करके मरना ....<br /><br />शायद हर्फ़-दर-हर्फ़<br />महल बनाने वालों ने ही<br />मुझे इसतरह बहकाया है<br />व मेरे नाजुक लबों पर<br />उस 'आह-वाह' का<br />असली-नकली जाम लगाकर<br />हाय! किसकदर परकाया है....<br /><br />असलियत जो भी हो<br />पर ये कलमकशी भी<br />फ़ितरतन मैकशी से<br />जरा सा भी कम नहीं है<br />और ये बेखुदी<br />आहिस्ता-आहिस्ता ही मगर<br />इस खुदी को ही पी जाए<br />तो कोई ग़म नहीं है....<br /><br />बहुत खूब बाँधा है भाव और अर्थ को नज़म सा प्रवाह है रचना में। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-69537174013690567022013-11-29T16:15:32.699+05:302013-11-29T16:15:32.699+05:30कोमल भावो की अभिवयक्ति ..कोमल भावो की अभिवयक्ति ..विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-63542127095589681082013-11-29T15:24:12.820+05:302013-11-29T15:24:12.820+05:30असलियत जो भी हो, बेतरतीब हर्फों के सहारे शुक्रिया ...असलियत जो भी हो, बेतरतीब हर्फों के सहारे शुक्रिया ..शुक्रिया .................Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-5816059251728043542013-11-29T14:50:16.467+05:302013-11-29T14:50:16.467+05:30शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया ओ बेतरतीब हर्फों से तरत...शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया ओ बेतरतीब हर्फों से तरतीब मतलब निकालनेवाले तेरा लख-लख शुक्रिया। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-22521277108907611942013-11-29T14:48:46.581+05:302013-11-29T14:48:46.581+05:30बहुत ही बेहतरीन, शुभकामनाएं.
रामराम.बहुत ही बेहतरीन, शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-9694706767234321852013-11-29T14:05:16.374+05:302013-11-29T14:05:16.374+05:30शुक्रिया ! बोलती हूँ .....
इससे ज्यादा
बेचारगी का ...शुक्रिया ! बोलती हूँ .....<br />इससे ज्यादा<br />बेचारगी का आलम<br />और क्या होता है<br />कि बेतरतीब से बिखरे<br />बेजुबान हर्फों को<br />बड़ी तरकीब से<br />सजाने के बावजूद<br />मतलब की बस्ती में बस<br />मातम पसरा होता है....<br />बहुत अच्छी कविता |आभार जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-24250779278659351572013-11-29T13:16:53.762+05:302013-11-29T13:16:53.762+05:30ये हुऩर भी कम नहीं .... शुक्रिया बोलने का लहज़ा
...ये हुऩर भी कम नहीं .... शुक्रिया बोलने का लहज़ा <br />हर्फ-दर-हर <br />एक और शुक्रिया कहता हुआ :)सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-59130125697801476142013-11-29T11:03:30.941+05:302013-11-29T11:03:30.941+05:30 रचना बनती रहे तो यहाँ भी महफ़िल गुलजार होती रहेगी.... रचना बनती रहे तो यहाँ भी महफ़िल गुलजार होती रहेगी............. खूबसूरत शुक्रिया ........Ranjana vermahttps://www.blogger.com/profile/18228698425578643882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-82394479119353122372013-11-29T10:49:35.176+05:302013-11-29T10:49:35.176+05:30सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीया-सुन्दर प्रस्तुति-<br />आभार आदरणीया-रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-35523606986411651372013-11-29T08:26:07.921+05:302013-11-29T08:26:07.921+05:30मतलब ढूँढने चलें तो यहाँ इस सृष्टि का भी कोई नहीं ...मतलब ढूँढने चलें तो यहाँ इस सृष्टि का भी कोई नहीं है...कृष्ण की लीला है बस..तो अपन भी बेमतलब ही सही...कुछ करते चलें आखिर कुछ तो हरेक को करना है न...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com