tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post2156926935920386181..comments2024-01-12T00:46:48.465+05:30Comments on Amrita Tanmay: तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी ...Amrita Tanmayhttp://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-29168961423134162232013-09-26T14:16:23.287+05:302013-09-26T14:16:23.287+05:30kavita ka aapne bhut achha varnan kiya haikavita ka aapne bhut achha varnan kiya haicharansinghrajputhttps://www.blogger.com/profile/08230006786575094592noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-9384854242998575302013-09-08T21:04:19.331+05:302013-09-08T21:04:19.331+05:30बेहतरीन काव्य-धारा के प्रवाह में समूची प्रकृति उतर...बेहतरीन काव्य-धारा के प्रवाह में समूची प्रकृति उतर आई है. दोहराव की सुंदर उपमा है....लिखे और पढ़े जाने के संदर्भ में. वृजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14993147600916233758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-51819254401148925742013-09-07T20:28:00.455+05:302013-09-07T20:28:00.455+05:30इस धरती से उस आकाश तक
मैं ही लिखी जाती हूँ
और मैं ...इस धरती से उस आकाश तक<br />मैं ही लिखी जाती हूँ<br />और मैं ही पढ़ी जाती हूँ....<br />इस छोर से उस छोर तक की<br />एक उन्मुक्त उद्गारा हूँ मैं<br />हाँ! कल-कल-कल-कल करती हुई<br />अनंत की अनवरत काव्य-धारा हूँ मैं .<br /><br />Waaaaaaaaah.Sarik Khan Filmcritichttps://www.blogger.com/profile/17714145637617737121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-68969047487888886382013-09-05T18:45:17.656+05:302013-09-05T18:45:17.656+05:30प्रकृति की लय ताल से सम बैठाती एक सुकोमल अभिव्यक्त...प्रकृति की लय ताल से सम बैठाती एक सुकोमल अभिव्यक्ति Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-16014754676977018722013-09-05T15:28:02.718+05:302013-09-05T15:28:02.718+05:30सुभानाल्लाह सुभानाल्लाह इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-10522377515936771952013-09-05T11:07:04.639+05:302013-09-05T11:07:04.639+05:30मन को सहलाती ...उन्मुक्त .....पहाड़ों से कल-कल करती...मन को सहलाती ...उन्मुक्त .....पहाड़ों से कल-कल करती नदी सी रचना <br />.....बहुत ही प्यारी Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15421768457680984416noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-43360521475279219582013-09-04T21:11:54.029+05:302013-09-04T21:11:54.029+05:30एक लय की कविता में
तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी
वाह .....एक लय की कविता में<br />तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी<br /><br />वाह ...<br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-62733506578426903922013-09-04T18:24:47.862+05:302013-09-04T18:24:47.862+05:30इस धरती से उस आकाश तक
मैं ही लिखी जाती हूँ
और मैं ...इस धरती से उस आकाश तक<br />मैं ही लिखी जाती हूँ<br />और मैं ही पढ़ी जाती हूँ....<br />इस छोर से उस छोर तक की<br />एक उन्मुक्त उद्गारा हूँ मैं<br />हाँ! कल-कल-कल-कल करती हुई<br />अनंत की अनवरत काव्य-धारा हूँ मैं .<br /><br />एक-एक पंक्ति गहन भाव लिये हुए हैं<br />और खुद के प्रति आदरांजलि अर्पित करती प्रतीत होती हैं।।।Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-14177882456566167052013-09-04T10:45:56.177+05:302013-09-04T10:45:56.177+05:30इस छोर से उस छोर तक की
एक उन्मुक्त उद्गारा हूँ मैं...इस छोर से उस छोर तक की<br />एक उन्मुक्त उद्गारा हूँ मैं<br />हाँ! कल-कल-कल-कल करती हुई<br />अनंत की अनवरत काव्य-धारा हूँ मैं,,,बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-53399170551745453722013-09-04T09:35:36.417+05:302013-09-04T09:35:36.417+05:30अत्यन्त सुंदर ,रचना ,असीम अनंत दायरा ....अदभुत |
न...अत्यन्त सुंदर ,रचना ,असीम अनंत दायरा ....अदभुत |<br />नई पोस्ट-<a href="http://drakyadav.blogspot.in/" rel="nofollow">“जिम्मेदारियाँ..................... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ....."</a>Dr ajay yadavhttps://www.blogger.com/profile/17231136774360906876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-58855706974526432692013-09-02T18:48:45.298+05:302013-09-02T18:48:45.298+05:30सृजन महत्ता और सार्थकता बताती बेजोड़ अभिव्यक्ति......सृजन महत्ता और सार्थकता बताती बेजोड़ अभिव्यक्ति.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-39596817359682951542013-09-02T16:56:43.033+05:302013-09-02T16:56:43.033+05:30बहुत सुंदर !!बहुत सुंदर !!रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-19582861540566619002013-09-02T16:45:43.977+05:302013-09-02T16:45:43.977+05:30नमस्कार आपकी यह रचना कल मंगलवार (03-09-2013) को ब...नमस्कार आपकी यह रचना कल मंगलवार (03-09-2013) को <a href="http://blogprasaran.blogspot.in/" rel="nofollow">ब्लॉग प्रसारण </a> पर लिंक की गई है कृपया पधारें.अरुन अनन्तhttps://www.blogger.com/profile/02927778303930940566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-41629082758043982142013-09-02T14:44:48.018+05:302013-09-02T14:44:48.018+05:30इस धरती से उस आकाश तक
मैं ही लिखी जाती हूँ
और मैं ...इस धरती से उस आकाश तक<br />मैं ही लिखी जाती हूँ<br />और मैं ही पढ़ी जाती हूँ....<br />इस छोर से उस छोर तक की<br />एक उन्मुक्त उद्गारा हूँ मैं<br />हाँ! कल-कल-कल-कल करती हुई<br />अनंत की अनवरत काव्य-धारा हूँ मैं ...<br /><br />मैं प्राकृति हूं ... प्रेम हूं ... शब्द हूं ... नाद हूं ... मैं ही हूं वो माया जो साब ओर है ... अनुपम रचना ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-50477139683992106412013-09-02T13:20:51.032+05:302013-09-02T13:20:51.032+05:30इस धरती से उस आकाश तक
मैं ही लिखी जाती हूँ
और मैं ...इस धरती से उस आकाश तक<br />मैं ही लिखी जाती हूँ<br />और मैं ही पढ़ी जाती हूँ....<br />इस छोर से उस छोर तक की<br />एक उन्मुक्त उद्गारा हूँ मैं<br />हाँ! कल-कल-कल-कल करती हुई<br />अनंत की अनवरत काव्य-धारा हूँ मैं .<br />..बहुत खुबसूरत भाव <br />latest post<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/08/blog-post_31.html#links" rel="nofollow"> नसीहत </a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-18804398036429913292013-09-02T12:44:46.991+05:302013-09-02T12:44:46.991+05:30जब-जब
हवाओं की छन्दों को
छू-छू कर बेसुध राग फूटेंग...जब-जब<br />हवाओं की छन्दों को<br />छू-छू कर बेसुध राग फूटेंगे<br />जिसपर जग-साँसें गीत गायेंगी<br />थिरक उठेगा ये जीवन<br />अपने ही उल्लास से भरकर<br />एक लय की कविता में<br />तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी<br />निर्झर-सी झनकारों में<br /><br />अद्भुत अमृता जी, बहुत गहन और सुंदर भाव कुसुम..बधाई !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-68220216151047881912013-09-02T12:05:26.936+05:302013-09-02T12:05:26.936+05:30असाधारण बिंबों के माध्यम से कही गई अनंत काव्य-धारा...असाधारण बिंबों के माध्यम से कही गई अनंत काव्य-धारा की सुरीली कथा. Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-57165600283610093752013-09-02T10:51:44.089+05:302013-09-02T10:51:44.089+05:30कण कण में व्याप्त कविता ... बहुत सुंदर कण कण में व्याप्त कविता ... बहुत सुंदर संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-70435359989073570502013-09-02T10:44:48.274+05:302013-09-02T10:44:48.274+05:30इस धरती से उस आकाश तक
मैं ही लिखी जाती हूँ
और मैं ...इस धरती से उस आकाश तक<br />मैं ही लिखी जाती हूँ<br />और मैं ही पढ़ी जाती हूँ....<br />इस छोर से उस छोर तक की<br />एक उन्मुक्त उद्गारा हूँ मैं<br />हाँ! कल-कल-कल-कल करती हुई<br />अनंत की अनवरत काव्य-धारा हूँ मैं .<br />बहुत सुन्दर.<br />कोलाज जिन्दगी के : अगर हम जिन्दगी को गौर से देखें तो यह एक कोलाज की तरह ही है. अच्छे -बुरे लोगों का साथ ,खुशनुमा और दुखभरे समय के रंग,और भी बहुत कुछ जो सब एक साथ ही चलता रहता है. <br />http://dehatrkj.blogspot.in/2013/09/blog-post.html<br /> राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-21585012178226496892013-09-02T09:44:05.572+05:302013-09-02T09:44:05.572+05:30कितना सुन्दर चित्रण है उस चिन्मयता का जो प्रकृति क...कितना सुन्दर चित्रण है उस चिन्मयता का जो प्रकृति की ताल और लय में व्यक्त होती और काव्य में मुखर हो उठती है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-7417029776873457882013-09-02T08:27:41.295+05:302013-09-02T08:27:41.295+05:30सच कहा तुमने और इसीलिए नहीं रहता यह ध्यान -
सत्य ...सच कहा तुमने और इसीलिए नहीं रहता यह ध्यान -<br /><br />सत्य ही रहता नहीं ये ध्यान ,<br /><br />तुम कविता ,कुसुम या कामिनी हो। <br /><br />इस धरती से उस आकाश तक<br />मैं ही लिखी जाती हूँ<br />और मैं ही पढ़ी जाती हूँ....<br />इस छोर से उस छोर तक की<br />एक उन्मुक्त उद्गारा हूँ मैं<br />हाँ! कल-कल-कल-कल करती हुई<br />अनंत की अनवरत काव्य-धारा हूँ मैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-12431618277461954562013-09-02T08:16:26.245+05:302013-09-02T08:16:26.245+05:30जब-जब
हवाओं की छन्दों को
छू-छू कर बेसुध राग फूटेंग...जब-जब<br />हवाओं की छन्दों को<br />छू-छू कर बेसुध राग फूटेंगे<br />जिसपर जग-साँसें गीत गायेंगी<br />थिरक उठेगा ये जीवन<br />अपने ही उल्लास से भरकर<br />एक लय की कविता में<br />तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी<br />निर्झर-सी झनकारों में<br /><br />वाह बहुत सुंदर , Dr. Shoryahttps://www.blogger.com/profile/03251125311923382578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-77278627055813489432013-09-02T06:14:33.102+05:302013-09-02T06:14:33.102+05:30तारों से आती आशा के सन्देश को
कोने-कोने की किलकारी...तारों से आती आशा के सन्देश को<br />कोने-कोने की किलकारी बनायेंगे<br />और एक प्रार्थना बिखरने लगेगी<br />कण-कण की कविता से<br />तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी<br /><br />बहुत सुन्दर हमेशा की तरह Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-51552933190477696762013-09-02T02:26:29.095+05:302013-09-02T02:26:29.095+05:30bahut sunder prastutibahut sunder prastutitbsinghhttps://www.blogger.com/profile/07736038280400862671noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4304125366269866195.post-59811387368274562152013-09-01T22:28:01.932+05:302013-09-01T22:28:01.932+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - <a href="http://hindiblogsamuh.blogspot.in/" rel="nofollow">सोमवार -02/09/2013</a> को <br /><a href="http://hindiblogsamuh.blogspot.in/" rel="nofollow"> मैंने तो अपनी भाषा को प्यार किया है - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः11 </a> पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra <br /> <br /><br /><br /><br />Darshan jangrahttps://www.blogger.com/profile/09680060236733028168noreply@blogger.com