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Saturday, August 27, 2016

खोल रही हूँ खुद को ........

खोल रही हूँ खुद को
खाली खोल से
खोल कर
खोखले खोल को ......
ओह !
खोल में कितने खोल ?
खोल पर कितने खोल ?
क्या खोल का खोट है
या खोल ही खोट है ?
आह !
खोट ही खोट
और खोट पर
ये कैसा नोंच खसोंट ?
फिर खसोंट से खून
या खून का ही खून ?
खोज रही हूँ खुद को
या खो रही हूँ खुद को ?
हाँ !
खाली खोल से
खोल रही हूँ खुद को .