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Sunday, October 11, 2015

मामूल मिजाजी .......

अजनबी बवंडरों का कोई डर
अब न मुझको घेरता है
इस फौलादी पीठ पर मानो
हर हमला हौले से हाथ फेरता है

जो चलूँ तो यूँ लगता है कि
जन्नत भी क़दमों के नीचे है
उस आसमान की क्या औकात ?
वो तो अदब से मेरे पीछे है

इसकदर मेरे चलने में ही
कसम से ये कायनात थरथराती है
निखालिस ख़्वाब या हकीकत में
मुझसे इलाहीयात भी शर्माती है

जबान की ज्यादती नहीं ये , असल में
जवानी है , जनून है, जंग परस्ती है
मेरी मौज के मदहोश मैखाने में
मामूल मिजाजी की मटरगश्ती है

हाँ! खुद का तख़्त जीता है मैंने
और बुलंदियों पर मैं ठाठ से बैठी हूँ
मैं खुर्राट हूँ , मैं सम्राट हूँ
सोच , सिकंदर से भी ऐंठी हूँ .


इलाहीयात --- ईश्वरीय बातें
मामूल --- आशा से भरा 

26 comments:

  1. बहुत खूब..बना रहे ये जज्बाये जोश सदा..आमीन !

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपैया - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. आशा, हिम्मत और विश्वास की लहर पर सवार हो कर समंदर के ऊपर-ऊपर चलना ही बेहतर रास्ता है. कविता उसी का मज़बूत एहसास कराती चलती है.

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  4. हाँ! खुद का तख़्त जीता है मैंने
    और बुलंदियों पर मैं ठाठ से बैठी हूँ
    मैं खुर्राट हूँ , मैं सम्राट हूँ
    सोच , सिकंदर से भी ऐंठी हूँ ...................ये जोश गजब है। इसमें बहुत सी बातें झकझोरती हैं।

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  5. जबान की ज्यादती नहीं ये , असल में
    जवानी है , जनून है, जंग परस्ती है
    मेरी मौज के मदहोश मैखाने में
    मामूल मिजाजी की मटरगश्ती है.

    क्या खूब लिखा है अमृता जी.

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  6. खूब, इसी हौसले का आसरा है |

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  7. हाँ! खुद का तख़्त जीता है मैंने
    और बुलंदियों पर मैं ठाठ से बैठी हूँ
    मैं खुर्राट हूँ , मैं सम्राट हूँ
    सोच , सिकंदर से भी ऐंठी हूँ .
    ...वाह...लाज़वाब...यह ज़ज्बा बना रहे...

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  8. Bahut Khoob Amrita Ji

    Khaskar Ye Line-

    हाँ! खुद का तख़्त जीता है मैंने
    और बुलंदियों पर मैं ठाठ से बैठी हूँ
    मैं खुर्राट हूँ , मैं सम्राट हूँ
    सोच , सिकंदर से भी ऐंठी हूँ .

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  9. यही कामयाब सोच व हौसला जीवन को जीवन बनाती है. आपकी कविता कितनी बेफिक्र होकर तख़्त ओ ताज पर विराजमान है, इसका सहज अनुमान लगाना सबके बस की बात नहीं।

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  10. गहन भाव अभिव्यक्ति।

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  11. भावपूर्ण रचना। बधाई।

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  12. भावपूर्ण रचना। बधाई।

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  13. बहुत ही सुंदर और भावपूर्णं रचना की प्रस्‍तुति।

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  14. स्वाभिमान के साथ जीना ही जीवन है ।
    प्रेरणादायी रचना ।

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  15. हाँ! खुद का तख़्त जीता है मैंने
    और बुलंदियों पर मैं ठाठ से बैठी हूँ
    मैं खुर्राट हूँ , मैं सम्राट हूँ
    सोच , सिकंदर से भी ऐंठी हूँ .


    वाह ! खुद का जरा सा इल्म हमे कितना भर देता है ..लबरेज कर देता है .....सुन्दर !

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  16. क्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
    आप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
    नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
    नयी पोस्ट@धीरे-धीरे से

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  17. सुन्दर रचना,

    आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #मिट्टीकेदिये पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/mitti-ke-diye.html

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  18. मेरी मौज के मदहोश मैखाने में
    मामूल मिजाजी की मटरगश्ती है...

    बहुत ही बढ़िया कृति.. स्वच्छंद कृति...
    ब्लॉग पर लौट आया हूँ.. बहतु दिनों के बाद ब्लॉग भ्रमण कर रहा हूँ.. नयी रचना पोस्ट की है.. एक बार जरूर भ्रमण कर मार्गदर्शन करें..!

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  19. संघर्षयुक्त जीवन से लड़ने के लिए एकमात्र शस्त्र आत्मविश्वास ही है ।
    प्रेरक कविता ।

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  20. औरतें ले आती हैं
    अलगनी से उतारकर
    भूलभुलैया से खोजकर
    अपनी पहचान
    तोड़ देती है वह आइना
    जिसमें उनका चेहरा स्पष्ट नहीं होता
    !!!
    औरतें तभी तक अपरिचित होती हैं परिस्थिति से
    अपने आप से
    जब तक उनकी सहनशक्ति उनके साथ होती है !!!
    http://bulletinofblog.blogspot.in/2015/12/2015_26.html

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  21. Are waaah kya baaaat hai .....is hausle ko salaaaam

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  22. बेहद खूबसूरत रचना....

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  23. हाँ! खुद का तख़्त जीता है मैंने
    और बुलंदियों पर मैं ठाठ से बैठी हूँ
    मैं खुर्राट हूँ , मैं सम्राट हूँ
    सोच , सिकंदर से भी ऐंठी हूँ ....
    वाह ... इतना मान अभिमान या स्वाभिमान .... पर यही है जीवन की शान ... मान या न मान ...
    लाजवाब रचना ....

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