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Monday, March 23, 2015

क्या हर्ज है ?

कोई मंजिल मिल जाती कोई मुकाम मिल जाता
जिंदगी की जानलेवा अदाओं को काबिल नाम मिल जाता

मुसाफ़िराना गुफ़्तगू के महज मुश्किल से इशारे हैं
मतलब जो समझे वो कुछ जीते वर्ना सब तो हारे हैं

कागज़ का एक उड़ता टुकड़ा है जिसपर कुछ लिखा है
ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है

बदखती का ये आलम है तो तुझे लापता ही कहना है
समझी हूँ तुझे न समझी थी न ही कभी समझना है

तुझे जीना न आया तो तुझसे बेज़ोश क्यों होऊं ?
बस ख़्वाब है तू सोच कर अपना होश क्यों खोऊं ?

दर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
ये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?

जहां ज़िंदा दफ़न होकर जिंदाँ से रस्में यूँ जोड़ लेते हैं
वहां साया भी सरफ़रोशी की कसमें यूँ तोड़ देते हैं

अपनी मदहोशी में कभी शेर होकर जिलाओ तो मैं मानूं
ये जिंदगी ! कभी शराबे-सेर होकर पिलाओ तो मैं जानूं

लगी रह तू जिंदगी अपना अलग ही गुल खिलाने में
ये माशूकाना बेखबरी है तो क्या हर्ज है तुझपर मुस्कुराने में ?

25 comments:

  1. लगी रह तू जिंदगी अपना अलग ही गुल खिलाने में
    ये माशूकाना बेखबरी है तो क्या हर्ज है तुझपर मुस्कुराने में ?..
    इस बेखबरी पे मुकुराना हर किसी को नसीब कहाँ होता है ... गम को हंस के झेलना भी किसी किसी की किस्मत में होता है ... हर शेर लाजवाब ... बेनूर ...

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  2. मदहोशी में कभी शेर होकर जिलाओ तो.............यह मुश्किल है।

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  3. वाह...सुपर्ब ! :)

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  4. मिज़ाज का यह तीखापन बहुत पसंद आया-
    बदखती का ये आलम है तो तुझे लापता ही कहना है
    समझी हूँ तुझे, न समझी थी, न ही कभी समझना है

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  5. कोई मंजिल मिल जाती कोई मुकाम मिल जाता
    जिंदगी की जानलेवा अदाओं को काबिल नाम मिल जाता
    Waah.... Behad Umda

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  6. एक पहेली है जिन्दगी...कभी दुश्मन तो कभी सहेली है जिन्दगी...

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  7. दर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
    ये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?

    ................ लाजवाब शेर

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  8. हर लम्हे में कुर्बत हो जीस्त से तो ही सच्ची जिंदगानी है...वर्ना क्या है....सब फानी है.

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  9. दर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
    ये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?

    फ़लसफ़ाना ग़ज़ल का सुंदर अंदाज़ ।

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  10. ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है...
    मंजिल-मुकाम व जानलेवा अदाओं के काबिल नाम की जरुरत के बिना जिंदगी हम तक भी पहुँच गयी है। तारीफ़ के लिए शब्द नहीं है मेरे पास.

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  11. Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us. Government Jobs.

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  12. बेहतरीन .............. सुन्दर पंक्तियाँ

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  13. शायद इसलिए ही ज़िंदगी की कोई मुकम्बल परिभाषा नहीं होती।

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  14. तुझे जीना न आया तो तुझसे बेज़ोश क्यों होऊं ?
    बस ख़्वाब है तू सोच कर अपना होश क्यों खोऊं ?

    सच ही है. लाजवाब

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  15. दर्द का फ़लसफ़ा है तू या फ़ुरक़त का कोई फ़साना है
    ये जिंदगी ! तू जिंदगी ही है तो क्यों ये शोख़ वीराना है ?

    बहुत ही सुंदर रचना ।

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  16. आदरणीया एक मुद्दत बाद आपकी रचनाओं तक आने का मौका मिला ,,आज तो आपका शायरान अंदाज देखने को मिला एक निवेदन हमेशा की तरह कर रहा हूँ कि उर्दू के शब्दों जो यदा कदा ही सुनने में मिलते हैं उनका अर्थ भी रचना के नीचे होंगे तो आपकी बात हम जैसे अति साधारण लिखने वालों और पढने वालों तक ज्यादा अच्छे से पहुचेगे,,मेरे मशविरे को अन्यथा मत लीजियेगा ,,ढेर सारी शुभकामनाओं और आपकी लेखनी को नमन के साथ अपने ब्लॉग से जुड़ने का निमंत्रण भी प्रेषित कर रहा हूँ सादर

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  17. आज आपका शायराना अंदाज देखने को मिला ..बिलकुल हट के ..आदरणीया एक निवेदन फिर कर रहा हूँ यदि आप उर्दू के शब्दों का अर्थ भी लिखेंगी तो हम जैसे सीखने वालों को काफी मदद मिलेगी ,बधाई के साथ

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  18. कोई मंजिल मिल जाती कोई मुकाम मिल जाता
    जिंदगी की जानलेवा अदाओं को काबिल नाम मिल जाता

    ख़ास है यह ग़ज़ल ।

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  19. ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है - सही है।

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  20. मतलब जो समझे वो कुछ जीते वर्ना सब तो हारे हैं
    बहुत बढ़िया!

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  21. मुसाफ़िराना गुफ़्तगू के महज मुश्किल से इशारे हैं
    मतलब जो समझे वो कुछ जीते वर्ना सब तो हारे हैं

    कागज़ का एक उड़ता टुकड़ा है जिसपर कुछ लिखा है
    ये जिंदगी ! बेऐतबारी में ही तो तेरा पता दिखा है

    बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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