Social:

Thursday, October 31, 2013

कवित्व-दीप ....

सत्य को सत्यता की सत्ता से भी
उपलक्षित करने के लिए
श्रेष्ठ को श्रेष्ठता की श्रेणी से भी
उपदर्शित करने के लिए
और सुन्दर को सुंदरता की समृद्धि से भी
उपपादित करने के लिए
विभिन्न रूपों और विभिन्न स्तरों पर
शब्दों एवं अर्थों के सहभावों व समभावों की
अभिनव अभिव्यक्ति अनवरत होते रहना चाहिए
और चिर प्रतिद्वंद्वी अन्धकार मिटता रहे
इसलिए कवित्व-दीप सतत जलते रहना चाहिए....

आदि काल से ही कवि को
कालज्ञ , सर्वज्ञ , द्रष्टा अथवा ऋषि
अमम आत्मनिष्ठा से कहा जाता है
प्रमाणत: उसकी रचनात्मक कल्पनाशीलता में
आकाश की व्याप्ति भी वाङ्मुख होकर
निर्बाध बहा जाता है
इसलिए तो भिन्न-भिन्न आयामों से
सम्पूर्ण मानवीय ज्ञान को
कवित्व के आलोक में पढ़ा जाता है
इस स्वयं प्रकाशित एवं आप्त उद्घाटित
सहजानुभूति के लिए
हर ह्रदय में प्रेमानुराग प्रज्वलित होते रहना चाहिए
और ये चिर प्रतिद्वंद्वी अन्धकार मिटता रहे
इसलिए कवित्व-दीप सतत जलते रहना चाहिए....

मन उद्दाम भाव-भूमि से लेकर
उद्दिष्ट अनुभव-आकाश तक कुलांचे भरता है
अपने ही चाल की विशिष्टता से विस्तार पा
चमकृत होता रहता है
और अकथ आनंद-आस्वाद को
पल-प्रतिपल पुन: पुन: पाता रहता है
इस प्रेय उद्गार एवं गेय मल्हार की
अभिव्यक्ति के लिए
अप्रतिम तथा अमान्य संवेग
सदैव प्रस्फुटित होते रहना चाहिए
और चिर प्रतिद्वंद्वी अन्धकार मिटता रहे
इसलिए कवित्व-दीप सतत जलते रहना चाहिए....

अत: अतिशयोक्ति नहीं है कि
कवित्व ही
समस्त वस्तुओं का मूल है
अमृत-सा ये अमर फूल है
ये चेतना का चिंतन है
तो अस्तित्व का ये कीर्तन है
प्रेम का ये समर्पण है
तो विरह में भी मिलन है
ये समृद्धि का प्रहसन है
तो दरिद्रों का भी धन है
दुःख में ये धैर्य है
तो सुख का शौर्य है
हर पाश का ये प्रतिपाश है
तो अन्धकार में प्रकाश है.....

दीपों के त्योहार से हमें और क्या चाहिए ?
बस ये चिर प्रतिद्वंद्वी अन्धकार मिटता रहे
इसलिए कवित्व-दीप सतत जलते रहना चाहिए .



( उपलक्षित---संकेतित , उपदर्शित---व्याख्या करना
उपपादित---सिद्ध करना , वाङ्मुख---ग्रंथ की  भूमिका
 उद्दाम---स्वतंत्र , उद्दिष्ट---चाहा हुआ )
 

29 comments:

  1. बहुत सुन्दर................उत्कृष्ट रचना!!!!
    दीपोत्सव की अनेकों शुभकामनाएं!!!
    अनु

    ReplyDelete
  2. सुन्दर प्रस्तुति
    शुभकामनायें आदरेया-

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर, हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  4. चिर प्रतिद्वंद्वी अन्धकार मिटता रहे
    इसलिए कवित्व-दीप सतत जलते रहना चाहिए....
    अहा! क्‍या बात कहीं है आपने इन पंक्तियो में
    शब्‍दश: भावमय करती अभिव्‍यक्ति
    दीपोत्‍सव की अनंत शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  5. अभिव्‍यक्ति से कवित्‍व के इतने उजले उदाहरण प्रस्‍तुत कर दिए गए हैं कि कविता में निहित उपकारी, ऊर्जस्वित, सकार भावनाएं पद्य विधा के उद्देश्‍य की परिभाषा बन गईं हैं।

    ReplyDelete
  6. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  7. साधो ... सधी हुई रचना के लिए,
    मेरे साधुवाद प्रेषित करता हूँ ... आ. अमृता जी ..

    ReplyDelete
  8. उत्कृष्ट सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई की पात्र हैं आप ...!!

    ReplyDelete
  9. सच में ....इतने सुन्दर व दिव्य पोस्ट को पढ़ने के बाद भला हमें और क्या चाहिए .....इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि ये शब्द दीवाली का सबसे अनमोल उपहार है.................

    ReplyDelete
  10. सशक्त भाव सम्प्रेषण उजला पक्ष आया सामने जीवन का। रुक मत लिखता जा।

    दिवाली मुबारक

    सत्य को सत्यता की सत्ता से भी
    उपलक्षित करने के लिए
    श्रेष्ठ को श्रेष्ठता की श्रेणी से भी
    उपदर्शित करने के लिए
    और सुन्दर को सुंदरता की समृद्धि से भी
    उपपादित करने के लिए
    विभिन्न रूपों और विभिन्न स्तरों पर
    शब्दों एवं अर्थों के सहभावों व समभावों की
    अभिनव अभिव्यक्ति अनवरत होते रहना चाहिए
    और चिर प्रतिद्वंद्वी अन्धकार मिटता रहे
    इसलिए कवित्व-दीप सतत जलते रहना चाहिए....


    ReplyDelete
  11. सत्य को सत्यता की सत्ता से भी
    उपलक्षित करने के लिए
    श्रेष्ठ को श्रेष्ठता की श्रेणी से भी
    उपदर्शित करने के लिए
    और सुन्दर को सुंदरता की समृद्धि से भी
    उपपादित करने के लिए
    विभिन्न रूपों और विभिन्न स्तरों पर
    शब्दों एवं अर्थों के सहभावों व समभावों की
    अभिनव अभिव्यक्ति अनवरत होते रहना चाहिए
    और चिर प्रतिद्वंद्वी अन्धकार मिटता रहे
    इसलिए कवित्व-दीप सतत जलते रहना चाहिए....

    ReplyDelete
  12. प्रज्ज्वलित रहे यह दीप सदा. शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  13. दीप जलाओ प्रेम के, भरो नेह का तेल।
    अपने भारत में रहे, जन-गण-मन में मेल।।
    --
    सुप्रभात...।
    आरोग्यदेव धन्वन्तरी महाराज की जयन्ती
    धनतेरस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर,..............दीपोत्‍सव की शुभकामनाएँ...........

    ReplyDelete
  15. कवयित्री को सपरिवार दीपमालिका की अनंत असीम शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  16. बहुत सुंदर प्रस्तुति ,,,
    हार्दिक शुभकामनाएं.

    RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना

    ReplyDelete
  17. दीप पर्व आपको सपरिवार शुभ हो !

    कल 03/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  18. बहुत ही बढ़िया शब्द चयन है आपका.... कविता का भाव भी बढ़िया.
    दीपोत्सव कि शुभकामनाएं....

    ReplyDelete
  19. बहुत सुन्दर
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !!

    ReplyDelete
  20. http://www.parikalpnaa.com/2013/11/blog-post_4.html

    ReplyDelete
  21. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    सुंदर अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  22. दीपावली की शुभकामनाएं और बधाइयां अमृता जी.

    ReplyDelete
  23. मेरे ब्लॉग कि नयी पोस्ट आपके और आपके ब्लॉग के ज़िक्र से रोशन है । वक़्त मिलते ही ज़रूर देखें ।
    http://jazbaattheemotions.blogspot.in/2013/11/10-4.html

    ReplyDelete
  24. अति अति सुन्दर ……य़े कवित्व दीप सदा यूँ ही प्रज्वल्लित रहे यही दुआ है |

    ReplyDelete
  25. आपकी ये रचना मैंने फेसबुक पर भी साझा की है आप भी देखें - https://www.facebook.com/imranansari84

    ReplyDelete
  26. कमाल !!! लेखनी में प्रभावी आकर्षण है ...

    ReplyDelete
  27. अभिव्यक्त होना व्यष्टि का समष्टि से जुड़ना है कनेक्ट होना है। कवित्व शिखर है अपना ही।

    ReplyDelete
  28. सत्य उद्घाटित हुआ . अति सुन्दर .

    ReplyDelete