Social:

Wednesday, March 20, 2013

तुमसे होली खेलना है ....


पिचकारी को कड़ाही में तला
बाल्टी में मालपुए को घोल दिया
गुब्बारे पर दही-मसाला छिड़ककर
बड़े में सब रंग भर दिया ....

अबकी बार जमकर जो
तुमसे होली खेलना है .....

ठंडई से फर्श को धो दिया
गुलाल से मिठाई बना दिया
मेवा से झालर टांग कर
गुझिया से सारा घर सजाया ....

अबकी बार जमकर जो
तुमसे होली खेलना है ....

जानती हूँ
सबकुछ उल्टा-पुल्टा हो रहा है
और सही करने के चक्कर में
कॉफी में सुबह को उबाल दिया
धूप का पकौड़ा बना कर
शाम को चटनी के लिए पीसा
और गिलास में रात को भर दिया ....

मानती हूँ
सबकुछ उल्टा-पुल्टा हो रहा है
पर अबकी बार जमकर जो
तुमसे होली खेलना है .

36 comments:

  1. आपका स्वागत है |एक अच्छी कविता की पिचकारी जिसमें भावनाओं के खुबसूरत रंग -गुलाल भरे हों उससे अपने पाठकों से होली खेलना ही चाहिए |शुक्रिया अमृता जी |

    ReplyDelete
  2. रंग ऐसा चढ़ा जो लाल ....तेरे रंग में डूबे धमाल ......

    ReplyDelete
    Replies
    1. waah bahut sundar ...........sare bimb anand aa gaye padh kar , happy holi

      Delete
  3. कविता का असर तो बिलकुल भांग वाला है :) होली की अग्रिम शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  4. khoobshurat rango se sarabor aur kuch kuch nasili prastuti,behatareen Amrita ji,sadar

    ReplyDelete
  5. मुश्किल को आसान कैसे किया .... :))
    होली की शुभकामनायें ......

    ReplyDelete
  6. होली के रंगों से सराबोर सुन्दर रचना !!
    आभार !!

    ReplyDelete
  7. सुन्दर रचना ..होली की बहुत बहुत शुभकामनायें ...

    ReplyDelete
  8. वाह... अमृता जी कल्पना करके बहुत आनंद आ रहा है, कितनी सारी गुझिया... बहुत सुन्दर रचना... होली की अग्रिम शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  9. होली का भाव हो ...भांग का माहोल हो तो उल्टा पुल्टा भी चलता है ... मगर शर्त है की होली में वो आ रहे हों ...
    बहुत खूब ...

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर--
    शुभकामनायें--

    ReplyDelete
  11. तुम हो कितनी भोली, खेलेंगे हम होली.......

    ReplyDelete
  12. यह फागुनी धमाल तो अपना रंग दिखा गया ... लाजवाब प्रस्‍तुति

    ReplyDelete
  13. बढ़िया प्रस्तुति फाग की .होली से पहले ही चढ़ रही है भांग .धूप के पकौड़े ,रात की ठंडाई ..वाह क्या मौलिक कल्पना है .एक कविता का एक अंश याद आ गया -हमारी बीबी सुबह को फ्रिज ,दोपहर को कूलर रात को टी वी है ,हमारे पास सिर्फ बीबी है .फाग मुबारक .फाग की प्रीत और रीत मुबारक .

    ReplyDelete
  14. अब न छोड़ूँ...ना ना ना ना।
    सुन्दर पंक्तियाँ..

    ReplyDelete
  15. आपकी पोस्ट 21 - 03- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें ।

    ReplyDelete
  16. स्वागत होना चाहिए ...

    ReplyDelete
  17. उल्टा पुल्टा हो तभी, होली में आनंद आता है, सुंदर रचना...........

    ReplyDelete
  18. रंग जमने लगा है..... सुंदर भाव

    ReplyDelete
  19. बिरज में धूम मची ...होरी की ....

    ReplyDelete
  20. :) असली होली तो यही है.

    ReplyDelete
  21. लगता है भंग कुछ ज्यादा चढ़ गयी है..वही प्रीत की भंग..

    ReplyDelete
  22. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  23. majedar rachna hai amrita ji waise to ye innovative khyal hai lekin aur bhaav aa gaya padhte hue ki kahi ye aapne bhaang pee kar to nahi likh daali rachna :-)
    bahut anokhi rachna badhai :-)

    मेरी नई कविता पर आपकी उपस्थिति चाहती हूँ Os ki boond: सिलवटें ....

    ReplyDelete
  24. बहुत सुन्दर रचना | बधाई |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  25. एकदम मस्त तैयारी है होली की :)

    ReplyDelete
  26. वाह क्या बात है.......होली की अग्रिम शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  27. आज तो चारों तरफ खाने पीने की ही चीजें हैं बढ़िया है खाते जाओ खेलते जाओ ...एक नयापन लिए ताजगी से भरी रचना सादर

    ReplyDelete
  28. vaah! holi me pakwan ya pakwanon me holi...jee bharkar khelo....pichkari aise maaro ki moch aa jaye pakodon ko bhi...!!

    ReplyDelete
  29. भांग का असर लगता है :-)

    ReplyDelete
  30. होली की झोंक में आपने तो उलटबाँसी लिख डाली -कबीर हो गईं क्या !

    ReplyDelete
  31. हाहा, सच्ची सबकुछ उल्टा पुल्टा हो रहा है ... अनोखी बेहतरीन रचना ..
    होली की अग्रिम शुभकामनाएं
    सादर
    मधुरेश

    ReplyDelete
  32. इस उलटे पुल्टे में रंग और सौंधापन है !
    पर्व की बहुत शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  33. .हा हा . मस्त. होली की शुभकामनायें .

    ReplyDelete
  34. फागुन में फगुनाये लोग .....

    ReplyDelete