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Saturday, March 31, 2012

मेक-ओवर


इस 'आज' की
बौखलाई कविता से
( समाचारवाचिका सी )
संतुलित संवेदना भी जाहिर होती तो
सहनीय होती उसकी बौखलाहट
शब्द वाया भावों की
थोपी जिम्मेदारियों से
कटघरे में घेर कर भी
बरी कर दी जाती
( समाचार सी पढ़ ली जाती )
इस 'आज' के
हालातों - ज़ज्बातों को वह
बिना लाग-लपेट के कहती रहती
ख़ुशी-गम से निकली आह-वाह को
ख़ुशी-ख़ुशी सहती रहती....
पर इस 'आज' की
बौखलाई कविता
एकालाप से त्रस्त कविता
कंठ के आक्षेप से ग्रस्त कविता
अब चुप ही रहना चाहती है
कोई लाख बोलवाये पर
मुँह नहीं खोलना चाहती है....
जबकि इस 'आज' का
बौराया कवि ( मैं भी )
सब रसों का रस चूस-चूस कर
अपना रस टपका-टपका कर
कविता कहता है
और खुद ही इतना बोल जाता है
कि बड़ी मुश्किल से
इस 'आज' की कविता में
ढूंढी गयी रही-सही
खूबसूरती भी
खुद कवि के ही काया-क्लिनिक में
अत्यधिक रंग-रोगन करके
शब्दित मेक-ओवर की
सुलभ शिकार हो जाती है .

40 comments:

  1. कवि का कटाक्ष, कवि पर कटाक्ष।

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  2. बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  3. यही तो है कविता का री -मॉडल ,री -मिक्स ,शब्दों की बाजीगरी ,मेक -ओवर 'आज 'की (अ -)कविता का ,नव -कविता का .कहतें हैं इसे शब्दित मेक ओवर .

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  4. आज की कविता में आती जाती लहरें हैं , जो सुनामी होना चाहती हैं

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  5. कविता की सुन्दरता बढ़ाने के प्रयास में न जाने क्या क्या करते हैं कवि।

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  6. बड़े गूढ़ अर्थ लिए.........
    एक मर्तबा पढ़ी...फिर पढ़ी.....

    बहुत खूब...
    अनु

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  7. आज की कविता भावों का द्वंद्व है ...गेयता भले ही कम हो गूढ़ता ज्यादा है मेक ओवर के चक्कर में यदि कविता शिकार हो जाती है तो डॉक्टर ( कवि ) की निश्चय रूप से गलती है ... बढ़िया कटाक्ष किया है

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  8. बहुत सटीक और विचारपूर्ण कविता

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  9. अपने तो ऊपर से निकल गया जी ये मेक ओवर :-)

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  10. अमृता, आप की काव्य विधा और संरचना मे प्रयुक्त शब्द जब भावों के रंग में रंग जाते हैं तो एक इंद्रधनुषी प्रखर भावोद्गीत की उत्पत्ति स्वतः हो जाती.. आपकी कविताओं को पढ़ने का सुयोग मिलना भी एक उपलब्धि है....और इसे समझने के लिए बार बार पढ़ना बिलकुल वैसे ही है जैसे मंदिर मे जा कर आरती की बेला मे बजती घण्टियों की धुन में रची बसी मंत्र की शक्ति पुजा करना....यह हमें पढ़ने और लिखने दोनों की ताकत देती है.. लिखते रहिए और प्रेरणा का श्रोत्र बनते रहिए...शुभम भूयात...

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  11. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें |
    बढ़िया प्रस्तुति ||

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  12. गहन भाव लिए ...उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  13. कटाक्ष अच्छा है.......
    बड़े चिंतन मनन का परिणाम है
    बहुत खूब

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  14. बड़ी ही भाव प्रवण रचना, वाह !!!!!

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  15. .................बहुत सुंदर
    पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ

    मैं ब्लॉगजगत में नया हूँ कृपया मेरा मार्ग दर्शन करे
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in

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  16. एकालाप से त्रस्त कविता ...
    ... अब चुप ही रहना चाहती है
    सुन्दर चिंतन,
    सादर

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  17. बौखलाई सी कविता ....
    काया -क्लिनिक में रंग रोगन कर तैयार की गई ...मेक ओवर कि गई कविता ......
    बहुत अनूठे बिम्ब इस्तेमाल किये हैं अमृता जी ....
    दृढ़ता से रखी अपनी बात ...
    बहुत सुंदर ..

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  18. मेक ओवर के चक्कर में सारा किया धरा गुड़-गोबर न हो जाय। इतनी सावधानी तो जरूर बरती जानी चाहिए। मेकअप के बाद रेडी हुई कविता में समाचार सी भावहीनता का आगमन स्वतः हो जाता। जिससे आजादी का रास्ता लिखने वाले को खुद ही खोजना पड़ता है। इस प्रयास में हम केवल प्रोत्साहन देने वाले की भूमिका निभा सकते हैं। तारीफ के अलावा अगर लेखन के आस-पास भी बात करने की परंपरा शुरू हो तो शायद कुछ बात बन सकती है।

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  19. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    --
    अन्तर्राष्ट्रीय मूर्खता दिवस की अग्रिम बधायी स्वीकार करें!

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  20. aapka kekhan anootha hai...sahitya samaj ka darpahota hai aapne sraahity ko darpan dikha diya apne is behtarin kavyabhivyakti se....utkrist rachna ke liye ke liye sadar badhayee aaur amantran ke sath

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  21. सही कटाक्ष..भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  22. अंतर्द्वान्दात्मक, गहन भाव युक्त

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  23. एकालाप से त्रस्त कविता
    कंठ के आक्षेप से ग्रस्त कविता
    सुन्दर व्यंग मनमाफिक

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  24. पढ़ने वाले में नैतिक ऊहापोह पैदा करे, तयशुदा प्रपत्तियां हिला दे ऐसी रचना कम ही मिलती हैं।

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  25. कविता के कथ्य और शैली में नवीनता झलक रही है।

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  26. आज की कविता और कवि के दर्द और चिंतन को कुशलता से प्रस्तुत किया आपने!

    आभार.

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  27. मैक ओवर भी जरुरी है.

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  28. नए बिम्ब को ले कर .. अपने आप से बात करती सी कविता ... बहुत खूब ...

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  29. हम तो अभी भी रंग रोगन ढूढ़ रहे है कविता के मेक ओवर के लिए . गूढ़ कटाक्ष .

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  30. कवि का कटाक्ष क्यों ,प्रसंग क्या ? संदर्भ क्या ?

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  31. अनूठा विषय और उसका लाज़वाब मेक ओवर ....बहुत सटीक अभिव्यक्ति..आभार

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  32. मेक ओवर का ज़माना है...हर कहीं...

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  33. कवि पर कटाक्ष, लेकिन कवियों के भी प्रकार होते है।

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  34. बहुत अच्छा हें

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  35. मै जितना समझ पा रहा हूँ... उसके हिसाब से यह एक निर्मम प्रहार है और खुद के लिए चेतावनी भी.. सुन्दर लगा.

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  36. शब्दों से न सजाया जाए तो कविता कैसे बनेगी. अपनी कविता के गालों पर बहुत अधिक और औघड़ रंग मलने वालों को क्षमा दान मिले. उनकी कोशिश को कोशिश की मान्यता मिले :))

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