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Saturday, December 24, 2011

पहुनाई


घुमता हुआ चाक
ठहरी    है   कील
बौराया सा वर्तुल
नापे    है     मील
इतरा -इतरा कर
बहके    है  नागर
माटी  का पुतला
है  राज़  उजागर
कंचन  की   बेड़ी
सपनों की झाँकी
आँसू  की लड़ियाँ
पाँसी   में   पाँखी
भर आये  मनवा
उलाहना के बोल
फूट     न     पाए
बूझे   तब    मोल
बिन   बताये   ही
जो  हाँक   लगाई
दुविधा में पथिक
क्षण  की पहुनाई
न - नुकुर     करे
भंग   होवे   शील
घूम    रहा   चाक
ठहरी    है    कील .



40 comments:

  1. घूम रहा चाक ठहरी है कील.......बहुत ही शानदार पोस्ट.......

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  2. पहुनाई ... एक अलग सांचा

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  3. ख़ूबसूरत शब्दों से सुसज्जित उम्दा रचना के लिए बधाई!
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  4. कोई केन्द्र में बैठा है
    इस दुनिया के,
    जो घूम रही है।

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  5. बहुत सुन्दर ...!

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  6. अमृता जी बहुत गहन भाव दिए हैं आज रचना को ..
    जितनी बार पढ़ रही हूँ ...रिसती जा रही है ...अंदर ...कुछ ठहरी ठहरी ...सुकून सी देती हुई रचना ....बहुत ही सुंदर ...!!

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  7. वाह क्या बात है ! सुंदर रचना !

    आभार !!

    मेरी नई रचना ( अनमने से ख़याल )

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  8. वाह ....बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  9. bahut sundar...bahut khub...
    shaandaar shabd prayog....
    bahut sikhne milta hai aapki rachnao ko padhkar..dhanyavaad

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  10. आदरणीय अमृता जी,
    आपकी रचनाएं सचमुच अद्बुत होती हैं... आवाक कर देती हैं...
    जितनी सहजता से आप गहन भाव गूँथ देती हैं वह अपूर्व है....
    सादर बधाई स्वीकारें.

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  11. बुझौव्वल सरीखी कविता को बूझने में थोड़ा वक्त लगा। समझता गया अच्छा लगता गया। इसकी जितनी भी तारीफ की जाये कम है। शीर्षक बेहतरीन है। अंत मार्मिक सत्य को उजागर करता है। इसे लिखकर आपने अपनी पहुनाई चुका दी । इसे पढ़कर हम धन्य हुए...आभार।

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  12. काल चक्र की चाकी तो घूंमती ही रहेगी...

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  13. सुंदर अभिव्यक्ति..

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  14. यही है जीवन और जगत की गति....और कील से बंधे चक्के की नियति... विचार मग्न करती कविता...

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  15. कविता में जीवन का स्पंदन !

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  16. घूम रहा चाक
    ठहरी है कील .

    शाश्वत की काव्यात्मक अभिव्यक्ति...

    साधु-साधु....

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  17. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट उपेंद्र नाथ अश्क पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  18. गज़ब की सोच और गज़ब का शब्द चयन ...गुरु हैं आप

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  19. सुन्दर अर्थ पूर्ण नए प्रतीक रचती रचना .बधाई अमृता जी ,आपके संग साथ सभी ब्लॉग कर्मियों को बड़ा दिन मुबारक .ईशामसीह का जन्म दिन मुबारक .नव वर्ष की पूर्व वेला मुबारक .
    वीरुभाई ,सी -४ ,अनुराधा ,नेवल ऑफिसर्स फेमिली रेज़िदेंशियल एरिया ,(नोफ्रा ),कोलाबा ,मुंबई -४००-००५ ./०९३५०९८६६८५ /०९६१९०२२९१४ आप ब्ब्लोग पर तशरीफ़ लाए शुक्रिया .

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  20. बड़ा दिन मुबारक नव वर्ष की पूर्व वेला भी .शुक्रिया आपका उत्साह वर्धन के लिए .ईसामसीह का जन्म दिन मुबारक .नव वर्ष की पूर्व वेला शुभ हो .

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  21. क्षण की पहुनाई... अद्भुत भाव...

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  22. कितनी सहजता से कितनी बड़ी बात कह दी आपने -पढ़ें तो लगे लोक-कथन , विचार करें तो गहरे उतर जाएँ !

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  23. घूम रहा है चाक
    ठहरी है कील

    बहुत ही सुन्दर है आपकी दलील
    इस सुन्दर प्रस्तुति ने चुराया है मेरा दिल.
    जो भी पढ़े आपको उसका दिल जायेगा खिल.

    हनुमान कहें पुकार कर मुझ से आकर मिल.

    आ रहीं हैं न आप मेरे ब्लॉग पर.

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  24. कम शब्दों में बड़ी बात कह जाना, अद्भुत!

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  25. दुविधा में पथिक , क्षण भर की पहुनाई ...बहुत सुंदर कविता

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  26. सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार

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  27. गहन भावों को समेटे भावप्रवण रचना ..

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  28. kuch duvidhayon ka naam hi jeevan hai...

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  29. बहुत सुन्दर रचना

    Gyan Darpan
    ..

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  30. न - नुकुर करे
    भंग होवे शील
    घूम रहा चाक
    ठहरी है कील .

    Amrita ji bahut sundar abhivykti hai ... bahut adhik mn ko prabhavit karane wali rachan lgai. Abhar.

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  31. जगत की पहुनाई. बहुत ही सुंदर भाव से भरी अद्भुत कविता.

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  32. कितने कम शब्द, कितनी सुंदर रचना और कितने गहन भाव!

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  33. गहन भाव की बहुत सुंदर प्रस्तुति...

    WELCOME to new post--जिन्दगीं--

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