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Friday, August 26, 2011

कैसे मैं...

कैसे मैं कह दूँ
कि तुम क्या जानो
प्रेम की तीव्रता को
जबकि हर बार
मैंने छुआ है
तुम्हारे प्रबल वेग से
टूटती उसकी सीमाओं को...

कैसे मैं कह दूँ
कि मैं न बोलूं तुमसे
जबकि हर बार
मैंने देखा है
उलाहना के बोल को
मनुहार में बदलते हुए ....

कैसे मैं कह दूँ
कि तुम क्या जानो
ह्रदय में उठती हूक को
जबकि हर बार
मैंने सोखा है
तुम्हारे तुलनात्मक ताप से
कई गुणित प्रवाहित प्रेम को...

कैसे मैं कह दूँ
कि मैं न रूठूँ तुमसे
जबकि हर बार
मैंने चाहा है
मिलन की मधुर घड़ी
कभी न बदले
विदाई की बेला में....

अब कैसे मैं कहूँ
अनगिना अनकहा को
जबकि तुमने जो
धर दिया है
अधर को
........अधर पर .

50 comments:

  1. कोमल से एहसासों से गुंथी अच्छी रचना

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  2. kaise main kah dun
    ki main na ruthoon tumse
    jabki...

    Bahut hi umda rachna.. Aabhar..

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  3. बहुत सुंदर कविता और उसके भाव

    कैसे मैं कह दूं
    कि तुम क्या जानो
    ह्दय मे उठती हूक को
    .......
    ....
    बहुत सुंदर

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  4. प्रेम की तीव्रता को गहराई तक महसूस कराती दिल को छूती हुई कविता...बधाई! जो प्रेम करना जानता है वही दूसरे के प्रेम को समझ सकता है...

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  5. milan ki madhur ghadi vidai me na badle ......... bahut khub.

    khabhi- kabhi hamare blog par bhi aaiye .
    http://sapne-shashi.blogspot.com

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  6. कैसे मैं लिखूं कि
    कितनी अद्भुत है यह कविता!
    जबकि पढ़ते ही निःशब्द हो चुके हैं
    भाव
    धड़कता है दिल
    चलती नहीं उँगलियाँ
    लैपटॉप पर।

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  7. प्रेम में उलाहनों की सूची कहीं पीछे छूट जाती है. बहुत सुंदर कविता.

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  8. अद्भुत रचना....
    सादर बधाई..

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  9. प्रेम की गहराई में उतरती इस पोस्ट के लिए आपको शुभकामनायें.............सुन्दर|

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  10. प्यार की गहराई बताती रचना....

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  11. गहन और सुन्दर अभिव्यक्ति ...

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  12. बहुत कोमल एहसास ....... आभार !

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  13. कैसे मैं कह दूं
    कि तुम क्या जानो
    ह्दय मे उठती हूक को
    ...

    बहुत खूब कहा है ...।

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  14. अंतिम लाईनें पूरी कविता को प्रेम का उदात्त संस्कार देते हुए पाठकों में भी सहसा एक प्रेमाग्नि प्रज्वलित कर जा रही हैं ! उफ़!

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  15. tum kya jano... aur main kaise kahun ... bahut hi gahri ...

    aap apne blog ki rachnayen khol den taki main suvidhanusaar le sakun .... band rakhne se iski suraksha kahan hai, koi dekhker bhi likh sakta hai n

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  16. आदर्श अभिव्यक्ति।

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  17. मानवीय भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति. अच्छी लगी यह कविता.

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  18. लाजवाब रचना ......बहुत खूब

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  19. तुलनात्मक ताप वाला हिसा काफी प्रभावित करता है

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  20. प्रीत की रीत में हम लेते रहे हिंडोले , हाँ को ना समझे , ऐसा दिल बोलें.

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  21. बेहद सुंदर अहसास वाली कविता है..वैसे एक अनुरोध है, कि इस काल्पनिक रोमानी दुनिया से निकलकर वास्तविकता के जगत में प्रवेश करें. मौजूदा हालात और सच्चाइयों के बारे में भी विचार प्रस्तुत करें.
    -महेंद्र यादव
    thirdfrontindia.blogspot.com

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  22. bahut hi pyaari prem bhari kavita .. badhayi sweekare.

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  23. बहुत सुन्दर रचना,खूबसूरत प्रस्तुति .

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  24. बहुत खूब ... कोमल भावनाओं की लाजवाब प्रस्तुति ...

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  25. आप दस्ताने पहन कर छू रहे हैं आग को
    आप के खून का रंग हो गया है सांवला॥-दुष्यंत

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  26. जन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.

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  27. शाश्वत भाव की सुकोमल प्रस्तुति।

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  28. pahli baar aayi hoon...bahut accha likhti hain aap...panktiyaan man ko choo gayi..

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  29. अरि आज तो बधाई गाओ रंग महल में ,अन्ना जी की आरती गाओ रंग महल में ,जन गण मन की आरती गाओ रंग महल में .

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  30. अरि आज तो बधाई गाओ रंग महल में ,अन्ना जी की आरती गाओ रंग महल में ,जन गण मन की आरती गाओ रंग महल में .
    अमृता सखी भाव ,शख्य भाव की अप्रतिम रचना ,रूठना ,मनाना ,मन जाना ,मान जाना ,मनुहार करना ,उपालम्भ और आलंबन यही तो प्रेम के रंग हैं जहां "हाँ " और "न "का विलोम अर्थ होता है जैसे इस पद में है -.......मुरली लै लुकाई ,.......दें कहत नत जाई .....बेहतरीन रचना प्रेम की परिणति और नियति दोनों की .
    शनिवार, २७ अगस्त २०११
    संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए . शनिवार, २७ अगस्त २०११
    संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए . शनिवार, २७ अगस्त २०११
    संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए . शनिवार, २७ अगस्त २०११
    संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए . शनिवार, २७ अगस्त २०११
    संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए . http://veerubhai1947.blogspot.com/शनिवार, २७ अगस्त २०११
    संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए .

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  31. अब कैसे म कहूँ अनिगना अनकहा को जबक तुमने जो धर दया है अधर को ........
    Bas kya kahu shabd phutte hi nahi..
    Badhai.

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  32. दिल को छू लेने वाली रचना बहुत अच्छी लगी .....

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  33. बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  34. कोमल अहसासों को बहुत प्रभावी रूप से चित्रित करती बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  35. मैं समय न मिलने और कुछ व्यक्तिगत कारणों से देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हू.
    बहुत दिनों के अंतराल के बाद आपको पुनः आज के पोस्ट पर देख कर अच्छा लगा !
    " ये इश्क नहीं आसां , बस इतना समझ लीजे ,
    इक आग का दरिया है और डूब के जाना है "
    बहुत ही गहरे भावों को समेटे उत्कृष्ट रचना.....लाजवाब..........

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  36. jab ehsaas hi bolne lagen,to kuchh kahne ki jarurat hi kya hai....

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  37. जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
    दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
    ईद मुबारक

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  38. कैसे मैं कह दूँ
    कि मैं न रूठूँ तुमसे
    जबकि हर बार
    मैंने चाहा है
    मिलन की मधुर घड़ी
    कभी न बदले
    विदाई की बेला में....

    अदभुत अनुपम अभिव्यक्ति.
    कैसे मैं कहूँ कि आपकी इस सुन्दर
    अभिव्यक्ति ने मेरा दिल चोरी
    कर लिया है.
    शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.

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  39. मिताजी,
    आपकी कविता मुझे बरबस निमंअन कविता की यद् दिला दी .
    विवशता में जिया अपना यह सफ़र,
    हर पल किसी एहसास में,
    मरुस्थल की मरीचिका की तरह ,
    चलते शिथिल होते गात प्राण ,
    और कहीं से शरू यह सफ़र,
    शुन्य में होंगे विलीन,
    फिर भी कैसे कहूं
    हो गए तुम मेरे प्राण......

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  40. 'कैसे मैं कह दूँ'
    कहने की बात ही कहाँ ! अब तो सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं ...
    प्रेम में समर्पण की अद्भुत अभिव्यक्ति ..
    प्रेमरस में डूबती-उतराती रचना .

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  41. अद्भुत रचना.

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  42. बहुत बेहतरीन रचना....

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  43. कहर ढा रही है आज आपकी कवितायेँ...कसम से..

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