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Friday, August 12, 2011

प्रीत की रीत

ऊँघता चाँद
ऊभ - चुभ तारे
ठिठका सा बादल
ठहरी हवाएँ
सिमटा अँधेरा
सहमी सी दिशाएं
साँस रोके हैं
बेला-चमेली
संग उनके
मौलीश्री भी हो ली..
नदी किनारे
चकवा उदास
अजब सी
अनबुझी प्यास
हीरे सा पल
यूँ ही बीता जाये
राह तक तक
वह रीता जाये.....
कलंक की मारी
चकई बिचारी
दे जी भर भर
रात को गाली...
कोसे कभी
भाग के लिखान को
कभी कोसे
विधना के विधान को..
प्रीत की रीत
यही जब होई
चकवा को
न मिले चकई
तब भी प्रीत
करे क्यूँ कोई ?


55 comments:

  1. मधुकर प्रीत किये पछितानी ....ये रचना क्या है ....कमाल ही है अमृता जी ....मैं कर ही नहीं पा रही हूँ इसकी तारीफ़ ....
    अद्भुत भाव हैं ....
    बधाई और शुभकामनायें .. ऐसा ही अमृत बरसता रहे आपकी कलम से ...!!

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  2. Preet ki reet yahi jab hoi
    chakawa ko na mile chakai
    tab bhi preet kare kyun koi..

    Udwelit karti rachna.. badhai..

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  3. आपने इस शैली/छंद में पहले भी कविताएँ लिखी हैं. मैं हैरान हूँ कि यह छंद कौन-सा है. कई पंक्तियाँ अन्य पंक्तियों के बिंबों के साथ कई तरह से जुड़ती जाती हैं.
    फिलहाल यही कहूँगा कि यह अद्भुत रचना है.

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  4. बहुत अच्छी रचना
    तमाम ऐसे शब्दों को जिंदा कर दिया आपने, जो आमतौर पर इस्तेमाल से बाहर हो गए हैं।

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  5. बहुत ही सुन्दर विरह की असीम वेदना समेटे ये पोस्ट लाजवाब लगी........

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  6. बेहतरीन अभिव्यक्ति के साथ सुन्दर रचना .......

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  7. सुँदर शब्दों में प्रीत की रीत समझाईस. चकवा चकई तो निमित्त मात्र है . बाकी अनुपमा जी की टिपण्णी से हम भी इत्तेफाक रखते है .

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  8. अद्भुत संगम है यह बिम्बों एवं भावों का....
    सादर...

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  9. सुन्‍दर शब्‍दों का संगम है इस रचना में आभार ।

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  10. कलंक की मारी
    चकई बिचारी
    दे जी भर भर
    रात को गाली...
    कोसे कभी
    भाग के लिखान को
    कभी कोसे
    विधना के विधान को..

    बहुत खूबसूरत शब्दों में लिखी है प्रीत की रीत

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  11. कल हलचल पर आपके पोस्ट की चर्चा है |कृपया अवश्य पधारें.....!!

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  12. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के तेताला का आकर्षण बनी है
    तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
    अवगत कराइयेगा ।

    http://tetalaa.blogspot.com/

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  13. बहुत ही बढ़िया।

    सादर

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  14. Masha allah kya tarif karen hame to kuch sujhat nahi hai.. Very nice,
    jai hind jai bharat

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  15. बेहतरीन अभिवयक्ति....

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  16. @तब भी प्रीत क्यूँ करे कोई.
    वाह,बढ़िया रचना.

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  17. प्रीत के रंग और वेदना लिए बेहतरीन भाव

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  18. शायद प्रीत की यही रीत है । उत्तम प्रस्तुति...

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  19. शब्दों और भावों का अद्भुत संयोजन..बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति...

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  20. हीरे सा पल यूँ ही बीता जाए
    रह तक तक वह यूँ ही रीता जाये ...
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  21. अजब प्रीत की रीत ... बहुत सुंदर रचना

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  22. बहुत खूब....
    प्यारी कविता।

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  23. प्रीत की रीत निराली।

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  24. बहुत सुन्दर, शानदार और भावपूर्ण रचना! उम्दा प्रस्तुती!

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  25. शब्द -२ बोलते है
    प्रीत का मन टटोलते है
    हम रंग मोहोब्बत का पन्नो पे छोड़ते है
    बस ख़तम करो टिपण्णी कवी भुत बोलते है
    ......बेहतरीन रचना ,,,,..

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  26. विरह की वेदना को व्याख्यायित करती रचना...सुन्दर...!!

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  27. वाह इस रचना में तो आपने सब कुछ भर दिया रस प्रेम पीढा मन को लुभाती बहुत सुन्दर रचना वाह

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  28. चकवा ,चकवी...प्रेम के प्रतीक...

    कविता बहुत अच्छी लगी।

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  29. प्रेम की पीड़ा और मिलन की चाह बखूबी दर्शाती सुंदर रचना.

    स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की शुभकामनायें.

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  30. प्रेम को सभी भावो समेटती रचना....

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  31. सुंदर मन की सुंदर परिकल्पना ,मार्मिक ,प्रसंग ,उडान सच्चे अर्थों में सकारात्मक सृजन रुचिकर है ,बेहद संवेदनशील प्रसंग को सरलता से प्रस्तुत करने की शैली बहुत पसंद आई ..........शुभकामनाये जी /

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  32. यही तो प्रीत की रीत है...टोटल सरेंडर...

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  33. स्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।

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  34. सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  35. Mera saawan ke baad preet ki reet bahut niraali lagi.
    ठहर हवाएँ िसमटा अँधेरा सहमी सी दशाएं साँस रोके ह बेला-चमेली
    bahut bahut badhai.

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  36. चकवा चकई में फिर भी प्रेम की शाश्वतता तो है !
    बहुत सुन्दर कविता!

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  37. यौमे आज़ादी की साल गिरह मुबारक .कलंक की मारी
    चकई बिचारी
    दे जी भर भर
    रात को गाली...
    कोसे कभी
    भाग के लिखान को
    कभी कोसे
    विधना के विधान को.. ....जो मैं ऐसा जानती प्रीत किये दुःख होय ,नगर ढिंढोरा पीटती प्रीत न करियो कोय ,"लिखान"शब्द का इतना सुन्दर और महीन प्रयोग क्या कहने हैं अमृता जी के .चकवा -चकवी की मार्फ़त विरह भाव की एक अलग काव्यात्मक प्रस्तुति .

    Sunday, August 14, २०११
    आज़ादी का गीत ......

    उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहाबादी की नज़्म ‘लम्हा-ए-आज़ादी’ का एक बड़ा लोकप्रिय शेर है:

    कि आज़ादी का इक लम्हा है बेहतर
    ग़ुलामी की हयाते-जाविदाँ से

    आइये हम इस आज़ादी को 'जश्ने आज़ादी' बनाएं और इसका लुफ्त उठाएं ......

    मनायेंगे ज़मीने -हिंद पर हम ज़श्ने आज़ादी
    वतन के इश्क में हम सरों का ताज रखेंगे.

    रविवार, १४ अगस्त २०११
    संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....
    Sunday, August 14, 2011
    चिट्ठी आई है ! अन्ना जी की PM के नाम !

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  38. वाह....बेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  39. वियोग की विवशता प्रेम के नैरन्तर्य को ख़त्म कर सकती है भला!
    चकवा चकई का प्रेम,प्रेम के इसी पहलू को इंगित करता है ?
    लगता है मुझे अब चकवा चकई के बारे में लिखना पडेगा!

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  40. बहुत ही सुन्दर ....बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  41. खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर भावमयी रचना. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  42. बहुत भावपूर्ण कविता |
    बधाई

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  43. नमस्कार....
    बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
    मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
    आपका ब्लागर मित्र
    नीलकमल वैष्णव "अनिश"

    इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्

    1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

    2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव

    3- http://neelkamal5545.blogspot.com

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  44. बहुत खूब ....सुन्दर प्रस्तुति .

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  45. प्रीत की तो सीट ही ऐसी है ... मिलन कम जुदाई ज्यादा है ... अनुपम रचना है ...

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  46. बहुत ही सुंदर कविता अमृता जी बधाई और शुभकामनाएं

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  47. बहुत उम्दा रचना...

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  48. Amrita,

    TEEN KAVITAIN PARHI. ATAM RAS AAJ KE PRANI KA SUCH BATAATI HAI. MERY SAAWAN AUR PREET KI REET DONO HI PREMIKA KA VIHOH ACHHI TARAH BATAATI HAIN.

    Take care

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  49. अदभुत भावपूर्ण प्रस्तुति.
    विरह के अहसास से दिल को कचोटती.
    आभार.

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  50. ओह, खूबसूरत!!!

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  51. उत्तम श्रृंगार की अनुपम व्यंजना ....
    साधू ....आदरणीया अमृता जी सराहनीय कवित्त
    आप श्रृंगार को, विशेषकर संयोग विधा को मन
    के आईने में इस तरह उतारती हैं की शब्द चपलता,
    विचारों झंकृत कर देती है ....

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