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Saturday, April 30, 2011

समग्र-सार

ढाई - अक्षर   की  कथा
आधा सुख,आधी व्यथा


चार   क्षणों  का   जीवन
कभी विरह,कभी मिलन

  
मोम-प्रस्तर  से ये  शब्द
आज चकित,कल स्तब्ध


अर्थ  से  भी    गहरा  अर्थ
कभी उपयोगी,कभी व्यर्थ


मेघाच्छन्न है हृदयाकाश
कभी अँधेरा,कभी प्रकाश


समग्र-सार  है   यथातथ्य
आधा मिथ्या,आधा सत्य . 

46 comments:

  1. जीवन की सच्चाई से भरी ...
    मुग्ध कर गयी आपकी कथा ...
    मिथ्या ही मिथ्या है ....सच तो बहुत ढूंढना पड़ता है ..!

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  2. Excellent creation Amrita ji .

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  3. अमृता जी ..
    बहुत सुन्दर ...जीवन का सार प्रस्तुत कर दिया आपने ..बधाई

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  4. हाय! उस पण्डित का क्या होगा जिसने ढाई-आखर का पाठ पढ़ा है:)

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  5. आधा मिथ्या आधा सत्य , यही जीवन का सत्य है .क्या बात है बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  6. बहुत खूब...हर पंक्ति प्रेरणा सूत्र...लाज़वाब प्रस्तुति

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  7. adha mithy aadha satya ..bahut sunder...

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  8. समग्र-सार है यथातथ्य
    आधा मिथ्या,आधा सत्य .bhut hi acchi rachna...

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  9. पूरा जीवन दर्शन समाया है इस समग्र सार में।

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  10. isse behtar abhivyakti dhai akhar par nahi ho sakti..Ek ek pankti gootharth se bhari...saari panktiyan ved ki samagrata samete huye udweg ko parishkrit kar prasfutit karti huyi...
    Bahut badhiya Amrita...Hardik Badhayee.

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  11. गहन अभिव्यक्ति ....प्रभावित करती हैं पंक्तियाँ

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  12. मुग्ध कर देने वाली सुंदर सुंदर पंक्तियाँ...बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई..शुभकामनाएँ..

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  13. वाह वाह! बहुत खूब!

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  14. आनंद आ गया पढ़कर इत्ती सुन्दर सधी भावपूर्ण कम शब्दों की कविता -
    (संक्षिप्तता सौन्दर्य की आत्मा है इस लिहाज से )
    और जीवन के दुहरे रंगों के कंट्रास्ट और विपर्यय को खूब अभिव्यक्ति दी है आपने

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  15. वाह .. क्या लाजवाब लिखा है .. छोटे छोटे शब्द और लंबी ... दूर की बात ...

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  16. ! मेरी बधाई स्वीकार करें !
    बहुत ही प्यारी लगी,ये रचना
    .बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई..शुभकामनाएँ..

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  17. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया अच्छा लगा
    सुंदर रचना ...विचारों की गहन अभिव्यक्ति

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  18. arth... kabhi gahra kabhi uthla , bahut achhi rachna

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  19. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...अच्छी लगी

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  20. शब्दों - शब्दों खेल है
    सच्चाई से मेल है
    जीवन-दर्शन का स्मरण
    करना है सब अनुसरण .

    अभिवादन .

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  21. आपकी अभिव्यक्ति मन को छू गयी।बहुत ही सुंदर।मेरे पोस्च पर आपका स्वागत है।

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  22. बहुत ही सुन्दर रचना
    दिल को छू गयी

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  23. आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
    मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html

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  24. बहुत प्रभावित किया कविता ने. ....अर्थ से भी गहरा अर्थ ....कभी उपयोगी कभी व्यर्थ .....ज्यादातर व्यर्थ ही . संरचनात्मक संक्षिप्तता कविता की संप्रेषणीयता बढ़ा दे रही है.

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  25. जीवन वाकई उलटबांसी है। गडबडझाला याद आया

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  26. ढाई अक्षर की कथा
    आधा सुख आधी व्यथा.... बहुत बढिया।

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  27. वाह!
    समग्र सार है पूरा सत्य.

    गागर में सागर भर दिया आपने तो.

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  28. समग्र सार है यथातथ्य

    आधा मिथ्या आधा सत्य..

    पूरा सत्य कौन जान पाया है..
    सब जानने के बाद भी बहुत कुछ अनजाना रह जाता है..
    चाहे बात इंसान की हो,भगवान् की हो या किसी घटना की हो..
    लेकिन जानने वाला इसी खुशफहमी में रहता है कि वह सब जानता है..!!

    सुन्दर अर्थपूर्ण रचना..!!

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  29. बहुत सुन्दर .......एक दुसरे के विलोम शब्दों का बखूबी इस्तेमाल........छोटी किन्तु सशक्त पोस्ट......प्रशंसनीय |

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  30. सार्थक, सुन्दर ...शुभकामनायें

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  31. अमृता जी बिलकुल नये अंदाज में लिखी दार्शनिक कविता बधाई और शुभकामनाएं |

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  32. "समग्र सार है यथातथ्य
    आधा मिथ्या आधा सत्य"

    बेहद खूबसूरत रचना ....अपना प्रभाव छोड़ने में पूर्ण समर्थ !
    शुभकामनायें !

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  33. इतना संक्षिप्त प्रोफाइल ? होमिओपैथी में अपनी जानकारी शेयर करिए अमृता !

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  34. sashakt svar !
    Badhaai !
    veerubhai !

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  35. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  36. मन की पीडा शब्दो मे उतर आयी है

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  37. अमृता जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति की है आपने.
    कम शब्दों में ही गहरे अर्थों का प्रेषण किया है.
    इस अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
    आप विशालजी के ब्लॉग 'अध्यात्म-पथ'पर 'परन्तु' कह कर टिपण्णी छोड़ आयीं हैं.कृपया 'परन्तु'के रहस्य को सुलझाएं.वैसे मैंने विशालजी से आपकी तरफ से पूँछ लिया है.
    आप मेरे ब्लॉग पर आयीं ,इसके लिए भी बहुत बहुत आभार.
    कृपया, एक बार फिर आयें.नई पोस्ट कल जारी कर दी है.आपके सुविचारों की आनंद वृष्टि की अपेक्षा है.

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  38. प्रेम से जी लो,प्यार छिपा है.
    आशा का भण्डार छिपा है.
    क्या कहने हैं इस कविता के,
    इस कविता में सार छिपा है.

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  39. शब्दों और विचारों का अद्भुत संगम.सीधी सरल भाषा और गूढ़ रहस्य.लाजवाब प्रस्तुति

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  40. सब कहते अर्द्ध सत्य
    यह कहती पूर्ण सत्य

    जीवन दर्शन, महायुद्ध
    कविता करती मंत्रमुग्ध
    ..बहुत बधाई।

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  41. मुझे लगता है की , अब मियन क्या कहूँ , आपने तो निशब्द कर दिया है मुझे .. जीवा दर्शा और प्रेम की गहनता दोनों का ही समावेश है इसमें . और क्या लिखू, कुछ सम्जः नहीं आ रहा है , दो दिन पहले पढ़ी थी इसे , अब तक मन में समायी हुई है ..

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  42. अमृता जी आप ने बड़ी ही तन्मयता से इस प्रेम की अभिव्यक्ति की प्रेम की परिभाषा खत्म ही नहीं होती जितना झांकिये जितना आंकिये सब कम है
    हर शब्द सुन्दर सुंदर बोल
    बधाई हो आप को

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  43. बहुत ही बढ़िया रचना. जीवन के दोनों पक्षों को साथ लेकर चलने का उपक्रम. यह रचना छोटी बहर की ग़ज़ल का आनंद देती है.

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  44. यही अनुभूति प्रायः ग्राह्य नहीं होती, और हम भटकते रहते हैं ..

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